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क्लास खत्म, घंटा बजा, गुरु प्रकट भे धरे मोबाइल कान
By फ़ुरसतिया on September 5, 2007
सतगुरु हमसे रीझिकर, एक कह्या प्रसंग,
पढ़ना तो फ़िर होयगा, चलो सनीमा संग।
पढ़ना तो फ़िर होयगा, चलो सनीमा संग।
गुरु कुम्हार शिष कुम्भ है, गढ़-गढ़ काढै खोट,
नोट लाऒ ट्यूशन पढ़ो, मिट जायें सब खोट।
नोट लाऒ ट्यूशन पढ़ो, मिट जायें सब खोट।
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांव,
नये जमाने का चलन, अब हेलो, टेक केयर, बाय।
नये जमाने का चलन, अब हेलो, टेक केयर, बाय।
सब धरती कागद करूं,लेखन सब बनराय,
सब जग के लफ़ड़े जोड़ लूं, गुरु गुन लिखा न जाये।
सब जग के लफ़ड़े जोड़ लूं, गुरु गुन लिखा न जाये।
क्लास खत्म, घंटा बजा, गुरु प्रकट भे धरे मोबाइल कान,
सचिन संचुरी पीटि ले , तब शुरू किया जाये व्याख्यान।
सचिन संचुरी पीटि ले , तब शुरू किया जाये व्याख्यान।
चेले बहुत पढ़ा लिये अब चेली भी लाओ साथ,
मटुकनाथ सुनि चहक गये, थामा शिष्या(जूली) का हाथ।
मटुकनाथ सुनि चहक गये, थामा शिष्या(जूली) का हाथ।
डांटत-डांटत सुन री सखी, गुरुवर बहुत गये गरमाय,
चेहरा भट्टी सा लाल है, क्या चाय चढ़ायी जाये।
चेहरा भट्टी सा लाल है, क्या चाय चढ़ायी जाये।
गुरुवर ऐसा चाहिये, जो हरदम होय सहाय,
बिनु आये हाजिर करे, और फिरि नकलौ देय कराय।
बिनु आये हाजिर करे, और फिरि नकलौ देय कराय।
पढ़त-पढ़ावत दिन गया, गया न मनका फ़ेर,
अब तो परचा आउट करो, गुरुजी काहे करत हो देर।
अब तो परचा आउट करो, गुरुजी काहे करत हो देर।
राम-राम कर सब दिन गया, हम रटा राम का नाम,
गुरुजी ने झांसा दे दिया, पूछा- कौन गली गये श्याम!
गुरुजी ने झांसा दे दिया, पूछा- कौन गली गये श्याम!
गुरुवर ऐंठ-ऐंठे फ़िरत , मारत चेले को कंटाप,
चेला शिक्षामंत्री भवा, गुरुजी बोले-क्या लेंगे साहब आप!
चेला शिक्षामंत्री भवा, गुरुजी बोले-क्या लेंगे साहब आप!
पानी बरसत देखकर, गुरु का मन बहुत गया हरषाय,
‘रेनी डे’ कर क्लास में, गरम पकौड़ी रहे छ्नवाय।
‘रेनी डे’ कर क्लास में, गरम पकौड़ी रहे छ्नवाय।
गुरुवर आवत देखि के, लड़िकन करी पुकार,
लगता है अब पिट जायेंगे, है गई इंडिया हार।
लगता है अब पिट जायेंगे, है गई इंडिया हार।
काल्ह करे सो आजकर, आज करे सो अब
सरजी, परचा आउट करो, बहुरि करोगे कब?
सरजी, परचा आउट करो, बहुरि करोगे कब?
चेले ऐसे चाहिये, जिससे गुरुवर को हो आराम,
राशन, सब्जी लाता रहे, करे सबरे घर के काम।
राशन, सब्जी लाता रहे, करे सबरे घर के काम।
सतगुरु की महिमा अनत, अनत किया उपकार,
हमें बचाइन प्रेम से, खुद पैर में लिहिन(वही)कुल्हाड़ी मार।
हमें बचाइन प्रेम से, खुद पैर में लिहिन(वही)कुल्हाड़ी मार।
गुरुवर पहुंचे बोर्ड पर, लगे सिखावन ज्ञान,
अटक गये अधबीच में, मुस्काकर बोले-चलो खिलायें पान!
अटक गये अधबीच में, मुस्काकर बोले-चलो खिलायें पान!
राष्ट्रनिर्माता बन-बैठि के, गुरुवर बमचक दिहिन मचाय,
राजनीति में पैठि के, नारन ते आसमानौ दिहिनि गुंजाय।
राजनीति में पैठि के, नारन ते आसमानौ दिहिनि गुंजाय।
गुरु-चेलन की चक्की देखकर, दिये ‘फुरसतिया’ रोय,
दो पाटन के बीच में, अब ज्ञान बचा न कोय।
दो पाटन के बीच में, अब ज्ञान बचा न कोय।
Posted in बस यूं ही | 18 Responses
राम राम रट दिन गया, रटा राम का नाम
गुरुजी झांसा दे कहे, कौन गली गये श्याम
कौन गली गये श्याम,जरा सा ढ़ूंढ़ के लाना
गुरु जी बुलवाय हैं, तनिक न बात बताना
कहत गुरु गुर्राय कि जरा वो मिल तो जाय
पहले बेतन से पूज लयें,उसी के बाद पढ़ाय.
गजब किया प्रभु आपने , गुरू महिमा दी छाप
पाप-पुन्न इक घाट पर, बेटा- बचा न बाप
कुछ भी नहीं बचा सबको निपटा दिया तंजिया निगाह ने
बाकी चहुचक लिखा है आपने!
फुरसातिया के बाण से कोन्हुउ बच न पाये
बहुत खूब लिखे हैं आपने!!
शिक्षक दिवस मुबारक हो!
न स्टूडेंट को बख्शा, न बचे टीचर।।