Thursday, January 24, 2008

इनाम का फ़तवा -कुछ चिल्लर विचार

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इनाम का फ़तवा -कुछ चिल्लर विचार

आज काफ़ी दिन बाद लिखना हो रहा है।
इस बीच तमाम घटनायें हो गयीं। हमें पता ही न चला और दिन दहाड़े हमारे सम्मान का फ़तवा जारी हो गया।
इसकी सूचना हमें समीरलालजी ने फोन पर दी। हम रास्ते में थे। समीरजी ने फोनिया के बताया कि हमें ‘सृजन सम्मान’ के लिये सुना गया है। हमने पूछा -ये कैसे हुआ? आपका क्या हाल है? उड़नतश्तरी के क्या हाल हैं? उसको कौन सा इनाम मिला?
समीरलाल जी , जिनको अब इनाम पाने की आदत सी हो गयी है बोले कि उनका नाम कहीं है ही नहीं। बाद में हमें पता चला कि वे छोटे शहर के नहीं थे इसलिये उनका नाम शामिल ही नहीं था दौड़ में इसलिये उनके साथ न्याय हो गया। :)
अब सारे महानगरवासियों और प्रवासियों को समझ लेना चाहिये कि इनाम पाना है तो अपने शहर-गांव देहात लौटना होगा। ई नहीं होगा कि केक रखो भी और खाओ भी।:)
जिन नियमों के चलते हमारा ब्लाग टाप पर रहा उससे यह भी लगा कि हमारा निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिये हमारी सीट सुरक्षित बनायी गयी। पहले बड़े शहरों के लोगों को शामिल नहीं किया गया फिर तकनीक के जानकार लोगों के नम्बर काटे गये और हम टाप कर गये। :)
बाद में तमाम लोगों ने इस इनाम की बहुत लानत-मनालन की। खासकर दीपक भारतदीपजी ने बहुत मेहनत की। मुझे बहुत मजा आ रहा था जब वे रविरतलामी जी की खिंचाई कर रहे थे और हंसी आ रही थी जिस तरह रविरतलामी सफ़ाई दे रहे थे। सच में मेरे तमाम मौज लेने के आइडिये इस मुये नेट की अनुपलब्धता ने गंवा दिये।
जब दीपक भारतदीप ने एक लेख लिखकर आवाहन किया कि इन पुरस्कारों का बहिष्कार किया जाये तो मुझे बहुत डर लगा। मुझे अपनी हालत उ.प्र. के पुलिसकर्मियों की सी लगी जिनको सरकार बदलने पर बर्खास्त कर दिया गया था। बहिष्कार की बात पढ़ते ही मेरे मन में हाहाकार मच गया। लगा इनाम अब गया, तब गया। ये गया, वो गया। हम गाना भी गुनगुनाने लगे- अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं।
बाद में दीपक भारतदीप के उत्साह के तवे पर शास्त्री ने पानी डाला और वे छ्न्न करके छुप हो गये। और भी तमाम लोगों ने लिखा लेकिन दीपकजी जैसी मेहनत और समर्पण किसी में नहीं दिखी। :)
कुछ लोगों ने ममताजी को उनके स्वाभिमान की याद दिला दी और उन्होंने कहा सृजन सम्मान लेने से मना कर दिया। रवि रतलामी जी बेचारे सीधे-सीधे छ्त्तीसगढ़िया ब्लागर! चालाकी से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। वर्ना कोई धांसू सा सेंटिमेंटलिता हुआ जुमला मारते और सब शान्त हो जाता। :)
मैं इनाम की घोषणा सुनकर कुछ भयभीत भी गया। ऐसा इसलिये कि हिंदी ब्लाग जगत में यह परम्परा रही है कि जिसको इनाम मिल जाता है वह लिखना बन्द कर देता है जैसे चुनाव होने के बाद नेता जनसम्पर्क बन्द कर देता है। :) मैंने सोचा कि अब बंद हुआ हमारा बिंदास लेखन अतुल अरोरा, शशिसिंह, आलोक कुमार सरीखे तमाम शायंस्मरणीय महापुरुषों की तरह। इन विभूतियों को जहां इनाम मिला ये बैठ गये। लिख बन्द कर दिया या कमी कर दी। ‘ इतिहास अपने को दोहराता है’ सोच-सोचकर हमारा भूगोल गड़बड़ा रहा था।
लेकिन बाद में यह सोचकर कि , जो होगा देखा जायेगा अभी तो खुश हो लिया जाये ,हम किलकिच च पुलकित हो गये। लेकिन बता आज पा रहे हैं। का करें नेट गड़बड़ था न जी।
इनामों का चक्कर सच में घनचक्कर होता है। जिस पैमाने पर इनाम दिये जाते हैं अक्सर वे ही अनदेखे हो जाते हैं। जैसे यहां महानगरों के ब्लागर न लेने की बात हुयी थी लेकिन अभय तिवारी जो मुम्बई में हैं फिलहाल और महावीरजी जो विदेश में हैं अभी के नाम शामिल हैं। आलोक पुराणिक नोयडा के हैं जो कि एक जिला भी नहीं है लेकिन उनका नाम बकनर की तरह बाहर हो रहा। उनको राखी सावन्त या मल्लिका सहरावत से इस बात की शिकायत करनी चाहिये। :)
अभी तरकश में भी जो नाम इनाम के लिये प्रस्तावित हैं उनमें तमाम वे नाम शामिल नहीं हैं जो ब्लाग जगत के बेहतरीन लिख्खाड़ हैं। ये होना अपरिहार्य है। चुनाव का मजा ही इसी में है। जो चुना जाता है उससे ज्यादा काबिल लोग रह जाते हैं। :)
यह सदा से होता आया है कि सम्मानित करने वाले व्यक्ति/संस्था की हमेशा ही लानत-मलानत होती रही। पिछले साल तक इंडीब्लागीस अवार्ड ब्लागजगत का सबसे आकर्षक आयोजन था। उसकी तमाम सार्थकता के बावजूद देबाशीष इतना झेल गये ,थक गये और अकेले पड़ गये कि इस बार अभी तक इसका आयोजन नहीं कर पाये।
किसी भी आयोजन को खराब बता देना बहुत आसान है। लेकिन उससे बेहतर या उससे घटिया भी आयोजन कर पाना बहुत कठिन काम है।
सबकी अपनी-अपनी नजर होती है। मेरी नजर में आज की तारीख में ज्ञानदत्त जी सर्वश्रेष्ठ ब्लागर हैं। नियमित लेखन, विविधता और नित नयी जानकारियों से युक्त उनका ब्लाग ब्लागिंग के लिहाज से सबसे अच्छा ब्लाग है। लेकिन उनकी तकनीकी स्मार्टनेस को देखकर निर्णायक द्वय ने उनके नम्बर घटा दिये।( अच्छा किया वर्ना हम कहां रहते :) )
अनिल रघुराज नियमित और सार्थक लेखन के चलते किसी भी इनाम पाने वाली सूची में अवश्य शामिल होने चाहिये लेकिन नामांकन प्रक्रिया में लोगों की उदासीनता के कारण उनका नाम तरकश की लिस्ट में शामिल नहीं हो पाया। मैं इसमें किसी को दोष नहीं दे रहा केवल यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि ये इनाम प्रक्रिया के अपरिहार्य साइड इफ़ेक्ट हैं।
इस लिस्ट में भी मैंने ज्ञानजी और प्रत्यक्षा जी को वोट दिया है। लेकिन मुझे अंदेशा है कि सबसे ज्यादा वोट नहीं पायेंगे क्योंकि इनके प्रशंसक अपना वोट देकर चुप हो जायेंगे जबकि दूसरे लोग मेहनत करेंगे। कुछ लोग संभव है अपने नये-नये ईमेल बनायें वोटिंग करने के नये-नये तरीके अपनायें और टाप कर जायें। मुझे खुशी है कि हमें यह सब लटके-झटके नहीं करने पड़े। :)
मेरा ब्लाग सृजन सम्मान के लिये चुना गया। यह एक खुशनुमा अहसास है। रवि रतलामी और बालेंदु शर्मा जी ने मेरे लिये जो लिखा वह हमें ठेलते हुये कह रहा है -कुछ तो उनके लिखे को सार्थक कर । :)
मैं इतने दिन सक्रिय रहा। ऐसा नहीं कि मुझे अपने बारे में कोई गलतफ़हमी हो कि हम बहुत धांसू च फ़ांसू बोले तो कालजयी टाइप सार्थक लेखन करते हैं। हमसे अच्छा और बहुत अच्छा लिखने वाले बहुत लोग हैं। वास्त्व में अपना लिखा बाद में जब भी पढ़ा बहुत शरम आयी। ये क्या-क्या अगड़म-बगड़म लिखते रहे। इसीलिये अपने लिखे को किताब के रूप में छपाने का जब भी विचार आया तो हमेशा अनुत्तरित रहा यह सवाल उठा कि उसमें शामिल कौन सा लेख करोगे? लेकिन यह भी लगता रहा कि न लिखने से अच्छा है खराब लिखते रहना। है कि नहीं। :)
अब जब इनाम की घोषणा हो ही गयी है तो हमारे सामने उनका शुक्रिया अदा करने के सिवाय कोई चारा नहीं है। सो हम दिल तहा के शुक्रिया अदा कर रहे हैं सृजन सम्मान के लिये। सम्मानित होने के रायपुर जा पाते हैं कि नहीं यह समय बतायेगा लेकिन जाने का मन तो है। दोस्तों से मिलने का मन है। अजितजी ,रविरतलामीजी , संजीत और तमाम साथी जो वहां मिल सकते हैं उनसे मिलने की उत्सुकता है।

24 responses to “इनाम का फ़तवा -कुछ चिल्लर विचार”

  1. रजनी भार्गव
    अनूप जी आपको वापस फ़ुल फ़ोर्म में देख कर बहुत अच्छा लगा.आपका लेख बढि़या लगा.
  2. अनूप भार्गव
    अनूप जी:
    आप ने तो हमारा नाम रख लिया । :-)
    बहुत बहुत बधाई ।
    अनूप
  3. लावण्या
    अनूप जी ,
    आप काहे अपने लेखन को कम बतला रहे हैं ?
    आप ” धाँसू च फांसू ” से भी बढिया लिखते हो
    -बहुत बहुत बधाई !
  4. नीरज रोहिल्ला
    जो चुना जाता है उससे ज्यादा काबिल लोग रह जाते हैं। :)
    चलो, मान ली आप की बात । हम तो सागर भाई की तरह टंकी पर चढने वाले थे लेकिन आपके इस वाक्य को सुनकर नीचे आ रहे हैं :-)
    इसे कहते हैं, मस्त बमचिक फ़ुरसतिया पोस्ट, पढकर और टुन्न हो गये (बुधवार को १० किमी दौडकर और ४ बीयर पीकर पहले से ही थोडा टुन्न थे)।
    बाकी बातें कल सुबह,
  5. Tarun
    चलिये आप वापस आये और रंग में आये, उस दिन आपको बधाई देने से पहले ही आपके नेट का विकिट गिर गया था, आज कह देते हैं सम्मान पाने के लिये बधाई।
  6. शास्त्री जे सी फिलिप्
    “मैं इनाम की घोषणा सुनकर कुछ भयभीत भी गया। ऐसा इसलिये कि हिंदी ब्लाग जगत में यह परम्परा रही है कि जिसको इनाम मिल जाता है वह लिखना बन्द कर देता है जैसे चुनाव होने के बाद नेता जनसम्पर्क बन्द कर देता है।”
    लेकिन आपने तो मिलने के पहले ही लिखना बंद कर दिया था. अब जरा नियमित लिखें. पढने पर काफी ऊर्जा मिल जाती है!!
  7. आलोक पुराणिक
    बहुत दिनों बाद, लौटे।
    स्वागत है।
    पुरस्कृत लेखक के बारे में परसाईजी ने लिखा है कि वह अच्छे बच्चे की तरह हो जाता है आगा पीछा देखकर लिखता है। जिस लेखन के चलते उसे पुरस्कार मिलता है, उसे छो़ड़कर और कामों में लग जाता है।
    जमाये रहिये।
  8. Debashish
    हमारे लिये तो आप हमेशा स्टार ब्लॉगर हैं इनाम विनाम गया तेल लेने! मुझे भी लगता है कि तरकश की वोटिंग लिस्ट में और नाम जोड़े जा सकते थे।
  9. रवि
    जैसे यहां महानगरों के ब्लागर न लेने की बात हुयी थी लेकिन अभय तिवारी जो मुम्बई में हैं फिलहाल और महावीरजी जो विदेश में हैं अभी के नाम शामिल हैं।
    नाम तो पूरे 2700 चिट्ठाकारों के शामिल थे. हमने अंतिम सूची आते आते तक हर एक को छांट बीन कर अलग किया. फिर भी ये चंद नाम जाने अनजाने अंतिम सूची में रह गए. यदि ये टॉप तीन पर आते तो जाहिर है, फ़ाइनल स्क्रूटनी में फिर से बाहर हो जाते. और इस बारे में मैंने पहले भी स्पष्टीकरण दे दिया है – शायद आपकी नजर से नहीं गुजरा होगा.
    बहरहाल, आपकी गैर मौजूदगी इस इनाम विवाद में सालती रही नहीं तो एक बार इसी तरह की मौज लेते तो ….
    एक बार फिर से आपको बधाई.
  10. eswami
    बहुत बहुत बधाई! :)
  11. ज्ञानदत पाण्डेय
    1. सृजन सम्मान के लिये बहुत बधाई।
    2. रायपुर जायें तो वहां से पंकज अवधिया जी से हड़जोड़ वाली बेल और कोहा का लकड़ी वाला ग्लास लेते आइयेगा!
    3. इस पोस्ट मेँ आपका मुझपर स्नेह देख कर मैं भींग गया हूं।
  12. भुवनेश
    बधाई……………………..;;;
  13. sanjay bengani
    अरे बाप रे..इसे कहते है …को याद किया और…हाजिर. :)
    काफि दिनो से आपकी अनुपस्थिति ने थोड़ी चिंता बढ़ा दी थी, सोचा कुशलक्षेम पुछना चाहिए की यह लेख दिख गया. बहरहाल वापसी देख अच्छा लग रहा है. और ईनाम पाये हो जी, बधाई स्वीकारें और खैर मनाये हम जैसे लोग बड़े शहरों में रहते है. :)
  14. उन्मुक्त
    सम्मान पर बधाई।
  15. Sanjeet Tripathi
    पहले तो बधाई स्वीकारें।
    बड़े दिन बाद आपको पढ़ना अच्छा लगा!!
    स्वागत है रायपुर में, प्रतीक्षा रहेगी!!
  16. anuradha srivastav
    ‘सृजन सम्मान’ के लिये ढेर सारी बधाई……….
  17. प्रमेन्‍द्र
    सम्‍मानितो को ही सम्‍मान मिलता है, आज की तिथि में आपसे काबिल कोई नही है।
    आपको हार्दिक बधाई।
  18. anita kumar
    इनाम पाने के लिए बधाई, आप तो कह देते कि हम तो जबरिया इनाम ले जाएगें कोई हमार का करिबे तो इनाम वैसे ही आप की जेब में होता। आप पुस्तक के रूप में छापो जी बहुत बड़िया लिखते हैं। हां ज्ञान जी के लिए आप ने जो कहा सही है, बाकि तो हर चुनाव प्रक्रिया में कुछ न कुछ सुधार की गुंजाइश तो रहती है। हम तो देख रहे है बेचारे रवि जी जज बन कर बेहाल हो रहे है, अपनी जजमेंट की सफ़ाई देने का सिलसिला अभी तक जारी है, हे भगवान उनकी जजमेंट एक दम सही थी हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं
  19. kakesh
    बधाई तो हमारी भी टिका लीजिये जी. कभी कभी हम जैसे कूड़ा ब्लॉगर्स को भी याद कर लिया कीजिये.
  20. Shiv Kumar Mishra
    अनूप भैया, ईनाम मिलने की बधाई…
    वैसे हम भी ख़ुद को ईनाम का हकदार बताते फिर रहे थे. लेकिन ये बात ऐसे लोगों से कहते फिरे, जो मेरी ब्लागिंग के बारे में नहीं जानते………….:-)
  21. हिंदीब्लॉगर
    ढेर सारी बधाई! आपका चयन कर निर्णायक मंडल भी बधाई का पात्र बन गया है.
  22. मैथिली
    हम तो सबसे पहले आपको मेल के माध्यम से बधाई दे ही चुके हैं. एक बार और दे देते हैं. इसके बदले में अगली बार आप जब दिल्ली आयें तो बदले में लड्डू देकर हिसाब चुकता कर दीजिये.
    आप अपने व्यस्तता में से समय निकाल कर रायपुर अवश्य जाईये. आपको भी अच्छा लगेगा, हमें भी
  23. एक और खिचड़ी पोस्ट
    [...] सबसे पहले उन सभी सुधी पाठको का धन्यवाद जिन्होनें मुझे तरकश पुरस्कारों के लिये नामांकित किया. हालांकि नामांकन में साथ में अ वर्ग के प्रमुख हस्ताक्षरों अजदक,अभय,अनिल,अनामदास,अविनाश को ना देख यह लगा कि इस पुरस्कार का महत्व वैसे ही कम हो गया है और रही सही कसर फुरसतिया जी ने पूरी कर दी.. ईनाम का फतवा जारी करके. लेकिन मेरे लिये नामांकन भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह सही है कि हिन्द युग्म की एक तरफा लहर में मेरी भी जमानत जब्त हो गयी लेकिन फिर भी कुछ पाठक ऎसे हैं जिन्होने मुझे वोट किया. यदि मैं स्वयं का मत हटा दूँ तो 54 लोगों ने मुझे मत दिया.आपके मतों के लिये मैं तहेदिल से आप सभी का आभारी हूँ. [...]
  24. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176

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