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बेटे भी संवेदनशील होते हैं
By फ़ुरसतिया on January 27, 2008
आजकल ब्लाग-जगत में बेटियों की के बारे में कई अच्छी-अच्छी पोस्टें आयी हैं। विमल वर्मा जी अपनी बिटिया प्यारी पंचमी के जन्मदिन पर पोस्ट
लिखी। वहीं से मैं बेटियों के ब्लाग पर पहुंचा। इसकी एक बेहतरीन पोस्ट में
रवीशकुमार जी ने अपनी बिटिया के बारे में लिखते हुये उसके कारण अपने जीवन
में आये बदलाव को रेखांकित करते हुये लिखा है-
यह पढ़ते हुये मैं सोचने लगा कि क्या केवल बेटियां ही संवेदनशील होती हैं? क्या केवल बेटियां ही अपने परिवेश में बेहतर बदलाव लाने का कारण बनती हैं?
मुझे लगता है बच्चे , चाहे वे बेटियां हों या बेटे, संवेदनशील होते हैं। हम बच्चों की संवेदनाओं को बेटों-बेटियों के खाते में डालकर आंकते रहते हैं। यही बेटे-बेटियां आगे चलकर महिला-पुरुष बनते हैं। एक दूसरे की सामान्य सी लगनी वाली बातों में पुरुषवादी/महिलावादी गुण बरामद करते हैं।
एक दिन अपने छोटे बेटे अनन्य को उसका होमवर्क कराते हुये हमने उसका लिखा हुआ एक पेज देखा। उसके स्कूल में विषय मिला होगा -माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान। उसका लिखा पढ़ते हुए मुझे लगा कि बेटे भी संवेदनशील होते हैं। आप भी बांचिये इसे। शायद आपको भी लगे कि बच्चे चाहे वे बेटियां हों या बेटे ,संवेदनशील होते हैं।
मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं।
अनन्य
19.12.2007
बाकी का बदलाव तिन्नी ला रही है। छुट्टी के दिन तय करती है। कहती है आज बाबा खिलाएगा। बाबा घुमाएगा। बाबा होमवर्क कराएगा। मम्मी कुछ नहीं करेगी। मैं करने लगता हूं। वही सब करने लगता हूं जो तिन्नी कहती है। मैं बदलने लगता हूं। बेहतर होने लगता हूं।
यह पढ़ते हुये मैं सोचने लगा कि क्या केवल बेटियां ही संवेदनशील होती हैं? क्या केवल बेटियां ही अपने परिवेश में बेहतर बदलाव लाने का कारण बनती हैं?
मुझे लगता है बच्चे , चाहे वे बेटियां हों या बेटे, संवेदनशील होते हैं। हम बच्चों की संवेदनाओं को बेटों-बेटियों के खाते में डालकर आंकते रहते हैं। यही बेटे-बेटियां आगे चलकर महिला-पुरुष बनते हैं। एक दूसरे की सामान्य सी लगनी वाली बातों में पुरुषवादी/महिलावादी गुण बरामद करते हैं।
एक दिन अपने छोटे बेटे अनन्य को उसका होमवर्क कराते हुये हमने उसका लिखा हुआ एक पेज देखा। उसके स्कूल में विषय मिला होगा -माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान। उसका लिखा पढ़ते हुए मुझे लगा कि बेटे भी संवेदनशील होते हैं। आप भी बांचिये इसे। शायद आपको भी लगे कि बच्चे चाहे वे बेटियां हों या बेटे ,संवेदनशील होते हैं।
माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान
माता-पिता का हमारे जीवन में भगवान समान स्थान है। माता-पिता हमारे लिये सब कुछ होते हैं। अगर वो न होते तो हम न होते। मुसीबत के वक्त वह हमेशा हमारी मदद के लिये होते हैं। वह बहुत मेहनत करके कमाते हैं सिर्फ़ हमारी खुशी के लिये। वह हमें बहुत प्यार करते हैं और कभी हमें निराश नहीं देखना चाहते हैं। अगर हम किसी भी चीज के लिये हिम्मत हार जाते हैं तो वह हमारे अंदर जीतने का भरोसा जताते हैं। वह हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं और चाहते हैं कि हम बड़े होकर एक सच्चे, ईमानदार और अच्छे आदमी बनें। जब हम किसी दुविधा में होते हैं तब वह उसका समाधान निकालने में हमारी मदद करते हैं। वह हमारी खुशी में ही अपनी खुशी समझते हैं और अगर अगर वह कभी डांटते हैं या मारते हैं तो हमें उससे निराश नहीं होना चाहिये क्योंकि वह हमारी भलाई के लिये ही ऐसा करते हैं। अगर हम कभी विद्यालय की ऒर से कहीं जा रहे होते हैं तो वह हमें कभी इन्कार नहीं करते। अगर हमारे परीक्षा में अच्छे नम्बर नहीं आते तो वह हमारे अंदर अगली बार अच्छा करने का भरोसा जताते हैं।मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं।
अनन्य
19.12.2007
अनन्य की आवाज में कमेंट्री
अनन्य को क्रिकेट का शौक है। इसी के चलते कमेंट्री का भी। एक दिन ऐसे ही कमेंट्री करते हुये हमने टेप किया। आप भी सुने। नीचे हमारे दोनों के करीब चार साल पहले के फोटो जो शिमला में खींचे गये थे।
Posted in इंक-ब्लागिंग, पाडकास्टिंग | 21 Responses
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बाकी यह पुरुष-मर्द वादी की फालतू फण्ड की बैठे ठाले रार-वार चलती रहेगी। जब बड़ी ईगो और संकुचित मन जुड़ें तो इसके लिये उर्वर भूमि बनती है। इसे बच्चों में ठेलना उन्हे फण्डामेण्टलिस्ट बनाने के समतुल्य है!
खैर मैं कभी आपकी ही तरह फुरसत में और पूरे मूड से इस विषय पर अपने चिट्ठे पर कोई पोस्ट गिराऊंगा..
पसंद आया अनन्य का लिखा।
@ Ananya’s father, thank you for providing space for ananya on your blog.
Chhotu ko anek shubhkamnayen commentary par – school mein protasait kiya jaaye, announcer ya MC banane ke liye -
अननय की संवेदनशीलता, सूझबूझ, प्रतिभा और उत्साह के क्या कहने…उसे पढ़-सुनकर बहुत खुशी हुई। दोनों भतीजों को ढेर सारा प्यारा और आशीष।
सबने आपकी बात को समर्थन दिया है पर सत्य सब जानते हैं।
Reena की हालिया प्रविष्टी..टिटवाल का कुत्ता …ek kahaani