Sunday, January 27, 2008

बेटे भी संवेदनशील होते हैं

http://web.archive.org/web/20140331065739/http://hindini.com/fursatiya/archives/388

बेटे भी संवेदनशील होते हैं

आजकल ब्लाग-जगत में बेटियों की के बारे में कई अच्छी-अच्छी पोस्टें आयी हैं। विमल वर्मा जी अपनी बिटिया प्यारी पंचमी के जन्मदिन पर पोस्ट लिखी। वहीं से मैं बेटियों के ब्लाग पर पहुंचा। इसकी एक बेहतरीन पोस्ट में रवीशकुमार जी ने अपनी बिटिया के बारे में लिखते हुये उसके कारण अपने जीवन में आये बदलाव को रेखांकित करते हुये लिखा है-

बाकी का बदलाव तिन्नी ला रही है। छुट्टी के दिन तय करती है। कहती है आज बाबा खिलाएगा। बाबा घुमाएगा। बाबा होमवर्क कराएगा। मम्मी कुछ नहीं करेगी। मैं करने लगता हूं। वही सब करने लगता हूं जो तिन्नी कहती है। मैं बदलने लगता हूं। बेहतर होने लगता हूं।

यह पढ़ते हुये मैं सोचने लगा कि क्या केवल बेटियां ही संवेदनशील होती हैं? क्या केवल बेटियां ही अपने परिवेश में बेहतर बदलाव लाने का कारण बनती हैं?
मुझे लगता है बच्चे , चाहे वे बेटियां हों या बेटे, संवेदनशील होते हैं। हम बच्चों की संवेदनाओं को बेटों-बेटियों के खाते में डालकर आंकते रहते हैं। यही बेटे-बेटियां आगे चलकर महिला-पुरुष बनते हैं। एक दूसरे की सामान्य सी लगनी वाली बातों में पुरुषवादी/महिलावादी गुण बरामद करते हैं। :)
एक दिन अपने छोटे बेटे अनन्य को उसका होमवर्क कराते हुये हमने उसका लिखा हुआ एक पेज देखा। उसके स्कूल में विषय मिला होगा -माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान। उसका लिखा पढ़ते हुए मुझे लगा कि बेटे भी संवेदनशील होते हैं। आप भी बांचिये इसे। शायद आपको भी लगे कि बच्चे चाहे वे बेटियां हों या बेटे ,संवेदनशील होते हैं।

माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान


एक बेटे की पोस्ट
माता-पिता का हमारे जीवन में भगवान समान स्थान है। माता-पिता हमारे लिये सब कुछ होते हैं। अगर वो न होते तो हम न होते। मुसीबत के वक्त वह हमेशा हमारी मदद के लिये होते हैं। वह बहुत मेहनत करके कमाते हैं सिर्फ़ हमारी खुशी के लिये। वह हमें बहुत प्यार करते हैं और कभी हमें निराश नहीं देखना चाहते हैं। अगर हम किसी भी चीज के लिये हिम्मत हार जाते हैं तो वह हमारे अंदर जीतने का भरोसा जताते हैं। वह हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं और चाहते हैं कि हम बड़े होकर एक सच्चे, ईमानदार और अच्छे आदमी बनें। जब हम किसी दुविधा में होते हैं तब वह उसका समाधान निकालने में हमारी मदद करते हैं। वह हमारी खुशी में ही अपनी खुशी समझते हैं और अगर अगर वह कभी डांटते हैं या मारते हैं तो हमें उससे निराश नहीं होना चाहिये क्योंकि वह हमारी भलाई के लिये ही ऐसा करते हैं। अगर हम कभी विद्यालय की ऒर से कहीं जा रहे होते हैं तो वह हमें कभी इन्कार नहीं करते। अगर हमारे परीक्षा में अच्छे नम्बर नहीं आते तो वह हमारे अंदर अगली बार अच्छा करने का भरोसा जताते हैं।
मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं।
अनन्य
19.12.2007

अनन्य की आवाज में कमेंट्री

अनन्य को क्रिकेट का शौक है। इसी के चलते कमेंट्री का भी। एक दिन ऐसे ही कमेंट्री करते हुये हमने टेप किया। आप भी सुने। नीचे हमारे दोनों के करीब चार साल पहले के फोटो जो शिमला में खींचे गये थे।


अनन्य-सौमित्र

21 responses to “बेटे भी संवेदनशील होते हैं”

  1. anita kumar
    अनूप जी आप सही कहते है, सवाल बेटे बेटी का नहीं, बच्चे सभी संवेदनशील होते हैं। अनन्य बेटे को ढेर सारा प्यार, हमारी तरफ़ से एक चॉकलेट दिलाइए इतनी सुन्दर लिखाई के लिए और इतना सुन्दर निबंध लिखने के लिए।
  2. लावण्या
    हमारी और से भी अनन्य बेटे को आशीष दे और बहुत सारा प्यार –
  3. anita kumar
    अनन्य बेटे की आवाज भी बहुत अच्छी है और बोलने के तरीके में आत्म विश्वास भरपूर झलकता है, वो कहते है न होनहार बियावान के होत चीकने पात,,
  4. Gyan Dutt Pandey
    बहुत अच्छा है यह प्रश्नोत्तर। छोटा शुक्ल बड़ा हो कर बहुत बड़ा शुक्ल बनेगा। उसकी सेंसिटिविटी को सही दिशा दिखाते जायें – बस।
    ————————————————-
    बाकी यह पुरुष-मर्द वादी की फालतू फण्ड की बैठे ठाले रार-वार चलती रहेगी। जब बड़ी ईगो और संकुचित मन जुड़ें तो इसके लिये उर्वर भूमि बनती है। :-) इसे बच्चों में ठेलना उन्हे फण्डामेण्टलिस्ट बनाने के समतुल्य है!
  5. vimal verma
    भाई आपकी बात भी सही है,,बेटे संवेदनशील होते है इसमें कोई दो राय नहीं है, पर शायद बेटियों वाले ब्लॉग पर, सिर्फ़ बेटियों वाले पिताओं का बेटियों के प्रति नज़रिया भर हैं,जो बेटों के पिताओं से थोड़ा भिन्न ज़रूर हैं,अनन्य की कमेंन्ट्री तो दमदार है भाई, मेरी शुभकामनाएं दीजियेगा अनन्य को.
  6. दिनेशराय द्विवेदी
    संवेदना सभी में होती है। बात उस के परवान चढ़ने की है। हम ही उसे आगे बढ़ाने या हटाने के लिये जिम्मेदार होते हैं। यह तो समझ आ गया है कि आप ने उसे कितना परवान चढ़ाया है। संवेदना मानवता की समानुपाती भी है।
  7. eswami
    बडे मियाँ तो बडे मियाँ छोटे मियाँ सुभान अल्लाह!
  8. प्रशान्त प्रियदर्शी
    आपका ये लेख पढ कर मन में आया कि मैं भी तो बेटा ही हूं.. क्या मैं अपने माता पिता को लेकर संवेदनशील नहीं हूं? मेरा उत्तर है, मैं हूं.. उतना ही जितना कि मेरी दीदी थी.. उनके सपने दीदी पर ही जाकर खत्म नहीं हुये थे और ना ही दीदी के ससुराल जाने के बाद वे सपने देखना बंद कर दिये थे..
    खैर मैं कभी आपकी ही तरह फुरसत में और पूरे मूड से इस विषय पर अपने चिट्ठे पर कोई पोस्ट गिराऊंगा..
  9. sanjay bengani
    बहुत सुन्दर…लिखावट व कोमेंट्री. अनन्य को ढ़ेरों शुभकामनाएँ.
  10. Shiv Kumar Mishra
    बहुत बढ़िया पोस्ट है. अनन्य का लिखा हुआ पढ़कर और उसकी कमेंट्री सुनकर मन प्रसन्न हो गया. बच्चे संवेदनशील होते हैं, बेटे और बेटियाँ नहीं.
  11. Sanjeet Tripathi
    यह हुई न बैलेंस वाली बात जी!!
    पसंद आया अनन्य का लिखा।
  12. anuradha srivastav
    संवेदनशीलता बनी रहे …….. कमेंट्री का अन्दाज़ बिल्कुल प्रोफेशनल की तरह से है।
  13. Rachana
    Hi Ananya! this is Rachana a cricktet fan like you and happened to be a blogger once :)…I liked both your commentry and essay very much…the match was quite exciting and your commentry made it interesting too..lots of love to you!
    @ Ananya’s father, thank you for providing space for ananya on your blog.
  14. Manoshi Chatterjee
    Ananya ko meri bhi badhai. uski hindi mein ek bhi spelling galat nahin dikhi, kaabil-e-taareef…angrezi bhi acchi bolta hai…good.
  15. Indra
    Chhotu ki commentary badi dhuandhar aur dharapravah rahi. Cricket ka asli fan lagta hai – har tarah ke shot aur position yaad hain.
    Chhotu ko anek shubhkamnayen commentary par – school mein protasait kiya jaaye, announcer ya MC banane ke liye -
  16. सृजन शिल्पी
    सही कहा। बेटे भी संवेदनशील होते हैं। बेटियाँ तो होती ही हैं और ताउम्र रहती हैं। पर वे कौन-से कारक होते हैं, जिनके कारण कुछ बेटे बड़े होकर संवेदनशील नहीं रह जाते?
    अननय की संवेदनशीलता, सूझबूझ, प्रतिभा और उत्साह के क्या कहने…उसे पढ़-सुनकर बहुत खुशी हुई। दोनों भतीजों को ढेर सारा प्यारा और आशीष।
  17. सागर चन्द नाहर
    मैं सहमत नहीं, शायद मैं अपने माता पिता के प्रति उतना संवेदनशील नहीं होऊंगा जितना मेरी दोनों बहनें। बच्चे संवेदनशील होते हैं पर बेटियाँ ज्यादा होती है। बेटे यथार्थ पर ज्यादा जीते हैं।
    सबने आपकी बात को समर्थन दिया है पर सत्य सब जानते हैं। :)
  18. tushar verma
    aapke bete ki commentary sun ke bahut accha laga.
  19. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] बेटे भी संवेदनशील होते हैं [...]
  20. rahul
    यह बहुत अचा हे .
  21. Reena
    बेटे भी संवेदनशील होते हैं इस बात से मैं १०० % सहमत हूँ फुरसतिया जी , मैंने खुद अपने बेटे में देखा है , बहुत सोचता है हमारे बारे में, कुछ ग़लती हो जाए उससे, तो बहुत देर तक उसका अन्दर ही अन्दर उस पर विचार सागर मंथन चलता है , मैं बात भूलकर किसी और काम में मग्न हो गयी होती हूँ तो वो आकर मुझसे अपनी ग़लती की माफ़ी मांगता है , तब मुझे लगता है कि तौबा इतनी देर तक बेचारा खुद से जूझता रहा, जब तक उसे न लगे के उसे मैंने दिल से माफ़ कर दिया मुझसे माफ़ी मांगता है,हम पति पत्नी में कभी किसी बात पर नोक झोंक हो जाए तो वो हम दोनों को बहुत समझदारी से शांत रहने को कहता है और अपनी तरफ से हमें समझाता है के नहीं mom आपकी यहाँ ग़लती है या पापा आप यहाँ ग़लत हैं सोचने पर लगता भी है के कितना आसानी से उसने समझ लिया के कौन कहाँ ग़लत है , मैं कोई बहुत स्ट्रिक्ट माँ नहीं हूँ और न ही मेरे पति एक स्ट्रिक्ट पिता , बहुत दोस्ताना सम्बन्ध हैं हमारे अपने बेटे से , वो हर बार बिना झिजके मुझसे अपनी हर बात कह पता है , मुझे बहुत ख़ुशी होती है इस बात पर, कई बार तो मुझे गर्व होता है के मैं उसकी माँ हूँ, आपके लेख को पढ़ मन भर आया मेरा , मैं समझ सकती हूँ के अपने बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ता देख माँ बाप कितने खुश होते हैं , आपके अपने बेटे अनन्य के लेख को पढ़ मन में उमड़े विचारों मैं भली भांति समझ सकती हूँ, उन विचारों नें ही आपको हमारे साथ अनन्य के लेख और कमेंटरी को बांटने की प्रेरणा दी , वैसे कहना चाहूंगी कि पूत के पाँव पालने में ही नज़र आने लग गए हैं , इतने सधे हुए शब्द और सटीक भाषा hummm बहुत तरक्की करेगा |
    Reena की हालिया प्रविष्टी..टिटवाल का कुत्ता …ek kahaani

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