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कानपुरनामा बोले तो झाड़े रहो कलट्टरगंज!
By फ़ुरसतिया on May 8, 2008
काफ़ी दिन से मैं अपने शहर कानपुर के बारे में लिखने की सोच रहा
हूं। बचपन से इस शहर में रहा, पला, बढ़ा और आज संयोग कि रोजी-रोटी के लिये
इसी शहर में नौकरी कर रहा हूं। कानपुर के बारे में नेट पर जानकारी है लेकिन
जितनी है या और जो होगी जिसका मुझे पता नहीं उसमें कुछ और जोड़ सकूं इसका
प्रयास करने का मन है।
काफ़ी पहले अतुल अरोरा ने प्रस्ताव रखा था कि कानपुर और आसपास के बारे में जानकारी देने वाली एक साइट बनाई जाये। हां, हौ, अच्छा, बहुत अच्छा, चलो करते हैं, लगते हैं, लगेंगे के बाद हम लोग उस पर आगे कुछ नहीं कर पाये। इसके बाद हम लगातार व्यस्त और मस्त होते चले गये। पस्त क्यों लिखें जी?
अभी हमने एक नया ब्लाग शुरू किया है। नाम हम रखना चाहते थे कानपुर लेकिन वो मिला नहीं। कानपुरियम सोचा और ब्लाग भी बना लिया लेकिन राजीव टंडन जी ने सुझाया कि कानपुरनामा सही रहेगा। कानपुरियम नाम की एक संस्था भी है कानपुर में । इसलिये और भी कानपुरनामा पर मन पक्का हुआ।
इस ब्लाग पर अभी फिलहाल मैंने अपने कुछ पुराने लेख पोस्ट किये हैं। आगे और लेख लिखे, पोस्ट किये जाने का मन है। देखिये कब, कितना कैसे हो पाता है।
इस ब्लाग के पीछे हमारी मंशा कानपुर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की है। मौलिकता की कोई दुहाई और आग्रह नहीं है। यह भी कोई दावा नहीं कि जो छपे वो सबसे पहले हमारे यहां छपे। हम तो जहां से भी कानपुर के बारे में सामग्री मिलेगी उठा के टीप लेंगे। अनुमति लेकर, आभार देकर और इसके बाद न मामला बना तो जबरिया।
अपने कानपुर से जुड़े तमाम सथियों से अनुरोध है कि वे अपने लेख, सुझाव और सहयोग के साथ इस ब्लाग से जुड़ें। ब्लाग की प्रकृति सामूहिक रहेगी। हमारे ब्लाग पूर्वज आलोक, देबा्शीष, रविरतलामी और आदि-आदि से अनुरोध है कि इस पर अपने सुझाव दें। तरकशियों को इस ब्लाग को चमकाने की ठेका दिया गया है। जीतेंन्द्र, अतुल अरोरा, लक्ष्मी शंकर गुप्त जैसे कनपुरियों तमाम लोगों से अनुरोध है कि वे आयें और अपना आलस्य त्याग कर कुछ गली -मोहल्ले के अपने हो-हल्ले के दिन याद करें। जिनके नाम नहीं लिखे वे जानबूझकर इस लिये ताकि वे उलाहना दे सकें। बिना शिकवा-शिकायत भी कोई ब्लाग चलता है भला!
ब्लाग की पंचलाइन कैसी है? झाड़े रहो कलट्टरगंज!
आपके सुझाव , सहयोग और आलोचना का स्वागत है। इधर भी औरउधर भी।
काफ़ी पहले अतुल अरोरा ने प्रस्ताव रखा था कि कानपुर और आसपास के बारे में जानकारी देने वाली एक साइट बनाई जाये। हां, हौ, अच्छा, बहुत अच्छा, चलो करते हैं, लगते हैं, लगेंगे के बाद हम लोग उस पर आगे कुछ नहीं कर पाये। इसके बाद हम लगातार व्यस्त और मस्त होते चले गये। पस्त क्यों लिखें जी?
अभी हमने एक नया ब्लाग शुरू किया है। नाम हम रखना चाहते थे कानपुर लेकिन वो मिला नहीं। कानपुरियम सोचा और ब्लाग भी बना लिया लेकिन राजीव टंडन जी ने सुझाया कि कानपुरनामा सही रहेगा। कानपुरियम नाम की एक संस्था भी है कानपुर में । इसलिये और भी कानपुरनामा पर मन पक्का हुआ।
इस ब्लाग पर अभी फिलहाल मैंने अपने कुछ पुराने लेख पोस्ट किये हैं। आगे और लेख लिखे, पोस्ट किये जाने का मन है। देखिये कब, कितना कैसे हो पाता है।
इस ब्लाग के पीछे हमारी मंशा कानपुर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की है। मौलिकता की कोई दुहाई और आग्रह नहीं है। यह भी कोई दावा नहीं कि जो छपे वो सबसे पहले हमारे यहां छपे। हम तो जहां से भी कानपुर के बारे में सामग्री मिलेगी उठा के टीप लेंगे। अनुमति लेकर, आभार देकर और इसके बाद न मामला बना तो जबरिया।
अपने कानपुर से जुड़े तमाम सथियों से अनुरोध है कि वे अपने लेख, सुझाव और सहयोग के साथ इस ब्लाग से जुड़ें। ब्लाग की प्रकृति सामूहिक रहेगी। हमारे ब्लाग पूर्वज आलोक, देबा्शीष, रविरतलामी और आदि-आदि से अनुरोध है कि इस पर अपने सुझाव दें। तरकशियों को इस ब्लाग को चमकाने की ठेका दिया गया है। जीतेंन्द्र, अतुल अरोरा, लक्ष्मी शंकर गुप्त जैसे कनपुरियों तमाम लोगों से अनुरोध है कि वे आयें और अपना आलस्य त्याग कर कुछ गली -मोहल्ले के अपने हो-हल्ले के दिन याद करें। जिनके नाम नहीं लिखे वे जानबूझकर इस लिये ताकि वे उलाहना दे सकें। बिना शिकवा-शिकायत भी कोई ब्लाग चलता है भला!
ब्लाग की पंचलाइन कैसी है? झाड़े रहो कलट्टरगंज!
आपके सुझाव , सहयोग और आलोचना का स्वागत है। इधर भी औरउधर भी।
Posted in सूचना | 13 Responses
यह पहल शानदार है। शहरों के अनौपचारिक इतिहासों में हमारी रुचि काफी समय से रही है। शुभकामनाएं
हमने तो कई सारी जगहों में टांग फंसा रखी है इसलिए खुद शुरू नहीं कर पाएंगे पर कोई उत्साही जन दिल्लीनामा शुरू करे तो हम तैयार बैठे हैं सहयोग के लिए।
लगता है कभी कानपुर रहे नहीं।
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
शुभकामनाऐं.
-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)