http://web.archive.org/web/20140419155259/http://hindini.com/fursatiya/archives/682
बदला बहुत जमाना बेटा
ब्लाग की लाज बचाना बेटा।
….ब्लाग की लाज बचाना बेटा
By फ़ुरसतिया on September 10, 2009
कल समीरलालजी नेट पर मिले। बोले -भाई साहब हम आपसे बात नहीं करेंगे। आपसे नाराज हैं आप आजकल हमसे मौज नहीं लेते। यह कहते हुये वे बहुत देर तक बात करते रहे।
हमने कहा ऐसा क्या हुआ जो आप बात न करते हुये हमारा घंटा खराब कर दिये। वो बोले आजकल आप हमसे मौज नहीं लेते। कित्ता खराब लगता है मुझे।
हमने कहा भाई मौज लेने का टाइम तो होना चाहिये। जिसको देखो वो कहता है हमसे मौज लो, हमसे मौज लो! कहां से लें इत्ती मौज! टाइमिच नहीं!
वो बोले -आप देखिये टालिये मती हमको। हम आपका इत्ता ख्याल रखते हैं। और किसी के ब्लाग पर हम चाहे जिससे कमेंट करवायें लेकिन आपके ब्लाग पर टिप्पणी लिखने/लिखवाने के बाद सेन्ड का बटन हमी दबाते हैं। ये देखिये निशान पड़ गये हैं। सुकोमल तर्जनी में। ये छिगुनिया केवल आपके ब्लाग पर टिपियाती है। और किसी के ब्लाग की तरफ़ नाखून उठा के भी नहीं देखती। पक्की ब्लागव्रता है।
हमने कहा -सो स्वीट। सो क्यूट।
वो बोले-भाई साहब , ऊ सब मत कहिये। ऊ तो जब से अरविन्द मिश्र ने बताया है तबसे हम अपनी हरेक महिला मित्र से पूछ चुके हैं कि क्या आपने ही मेरे लिये क्यूट कहा था। सबने बेरुखी से मना कर दिया और न जाने कैसी-कैसी नजरों से मुझे देखा। मन तो किया लाज से दोहरे हो जायें लेकिन नहीं हुये। हो जाते तो फ़िर उनको देखते कैसे। मन को मना कर दिये। अभी ये लाज कहीं और धर दो गोडाउन में। समय आने पर धारण करेंगे। कोई एक्स्पायर थोड़ी हो जा रही है।
बहरहाल समीरजी के आग्रह पर हमने कहा-कि ले लेंगे मौज भी। मौज कहीं भागी थोड़ी जा रही है हमको छोड़कर। हमको छोड़कर जायेगी भी किधर?
लेकिन समीरजी ने अनुरोध किया कि नहीं भाई साहब आप अब देर मत करिये। पानी सर से ऊपर गुजर चुका है। लोग न जाने कैसी-कैसी बातें करने लगे हैं। सुनने में अच्छा तो लगता है लेकिन शरम भी आती है बताते हुये। संस्कार पीछा नहीं छोड़ते न!
मन तो किया कि कहें कि वाह गुरु! नये कानून के बाद संस्कार भी पीछे लग लिये। बड़ा गड़बड़झाला है!
लेकिन नहीं कहे। फ़िर तय हुआ कि समीरलालजी अपने बारे में एक कोई कविता लिखेंगे जो सबके बारे में होगी। लेकिन ऐसे लिखेंगे कि वो लगे कि उनके बारे में ही लिखी है। वो कविता हमको भेजेंगे फ़िर हम उसमें जरूरी गड़बड़ी करके अपने ब्लाग पर पोस्ट करेंगे। गड़बड़ी इसलिये कि अगर मात्रा /तुक वगैरह की गड़बड़ी न हुई तो लोग मानते नहीं कि हमने ही लिखी है।
तो देखिये ये कविता समीरलालजी ने मुझे भेजी थी। इसे इधर-उधर थोड़ा बहुत गड़बड़ा के हमने यहां पेश कर दिया है!
ब्लाग की लाज बचाना बेटा।
काम भले न कोई करना
ब्लाग को न बिसराना बेटा।
ब्लाग को न बिसराना बेटा।
खान-पान तो होते ही हैं
पहले पोस्ट चढ़ाना बेटा।
पहले पोस्ट चढ़ाना बेटा।
सुबह उठो तो ब्लाग को ताको
सोते में भी गले लगाना बेटा।
सोते में भी गले लगाना बेटा।
कूड़ा देखो या करकट देखो
अपने ब्लाग पर ले आना बेटा।
अपने ब्लाग पर ले आना बेटा।
ब्लाग जहां कोई सूना देखो
झट से तुम टिपियाना बेटा।
झट से तुम टिपियाना बेटा।
समझ न आये बातें यदि तो
वाह वा,सुन्दर कह आना बेटा।
वाह वा,सुन्दर कह आना बेटा।
न पड़ना लफ़ड़े में काहू के
बस अपनी जान बचाना बेटा।
बस अपनी जान बचाना बेटा।
लाला-लड़ाई में बैर पुराना
इसको न बिसराना बेटा।
इसको न बिसराना बेटा।
पढ़ना पोस्ट दौड़ते-भागते
पढ़ लिये कह भग आना बेटा।
पढ़ लिये कह भग आना बेटा।
एक टिप्पणी यदि कोई देवे
उसको दस दे आना बेटा।
उसको दस दे आना बेटा।
कोई तुम्हे यदि अच्छा बोले
शर्मा के खूब लजाना बेटा।
शर्मा के खूब लजाना बेटा।
कोई तुम्हें यदि छेड़े-छाड़े
झट टंकी पर चढ़ जाना बेटा।
झट टंकी पर चढ़ जाना बेटा।
गला खराब है तबियत ढीली
कह गाना हचक के गाना बेटा।
कह गाना हचक के गाना बेटा।
पर अपना गाना कभी न सुनना
पहले रूई कान में सटाना बेटा।
पहले रूई कान में सटाना बेटा।
क्यूट कहेंगे दुनिया वाले
लेकिन मत घबराना बेटा।
लेकिन मत घबराना बेटा।
स्वीट कहेंगे मिर्ची लगती जिनको
उससे भी न भरमाना बेटा।
उससे भी न भरमाना बेटा।
जहां अकड़ना बहुत जरूरी
विनम्रता से झुक जाना बेटा।
विनम्रता से झुक जाना बेटा।
जाता है सब तो जाने देना
बस अपना ब्लाग बचाना बेटा।
बस अपना ब्लाग बचाना बेटा।
फ़ुरसतिया मौज अगर लेता है,
बस धीरे से मुस्काना बेटा।
बस धीरे से मुस्काना बेटा।
ऊपर की फ़ोटॊ समीरलालजी की सबसे अच्छी फोटुओं में से एक लगती है। इसे मैंने अमित के ब्लाग से लिया। साभार। अमित के ब्लाग पर ब्लाग जगत की सबसे बेहतरीन फोटो हैं! और इस कविता के बारे में भी बाद में पता चला कि समीरलाल ने इसी की नकल मार के कालजयी कविता लिख मारी।
शशि सिंह जन्मदिन मुबारक
आज शशि का जन्मदिन है। आज ही दिन पिछले साल भी था। इस बीच शशि एक बिटिया के पिता भी बने। बाकी तो गुजारे दिन बस। ब्लाग जगत से वे जानवर विशेष के अंग विशेष की तरह गायब रहे। महान आत्माओं की तरह लिखेंगे है नहीं और बयान जारी करेंगे भाईजी- क्वॉलिटी कंटेंट का अभाव है ब्लागिंग में !
शशि के पिछले जन्मदिन के किस्से यहां बांचें!
शशि सिंह को जन्मदिन मुबारक!
आदमी हूं, आदमी से (?)प्यार करता हूं…
और शशि भाई को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
अब आप मौज नहीं लोगे तो अगला “कुट्टी” ही होगा ना….. आग्रह रख लिया करें..
एकदम असल पैरोडी है ।
समीर जी की टिप्पणी और आपकी मौज
कहां तक पुजे
जब दिमान्ड कर रही है पूरी ब्लॉगर फ़ौज ।
ब्लॉग-मौज का कॉपीराइट्स रजिस्टर करवा लीजिये.नहीं तो लोग तरही मौज लेने लगेंगे….:-)
शशि जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
वाह वा,सुन्दर कह आना बेटा।
वाह वाह, सुंदर…….
yah bhi khoob hai!
जाता है सब तो जाने देना
बस अपना ब्लाग बचाना बेटा।
कोई तुम्हें यदि छेड़े-छाड़े
झट टंकी पर चढ़ जाना
ha ha ha!
-Shashi ji ko janamddin ki dheron badhayeeyan aur nav shishu ke janam par vishesh badhaayee au shubhkamnayen.
बस धीरे से मुस्काना बेटा।
:))
Blog par rachit kavya bahut aachha hai
Dher sari BHADHAI
haha !
बस धीरे से मुस्काना बेटा।
***************************************
पूरी मौज मनाना बेटा..
उनको तुम हड़काना बेटा.
बड़का केक कटवाना बेटा.
तुम सारा खा जाना बेटा.
*~* शशि भाई को जन्मदिन बहुत मुबारक *~*
*
चलो, इस दुनिया में एक नेट तो ऎसा भी है,
जिसमें समीरभाई फँस जाते हैं, और आपकी पकड़ाई आसान हो जाती है ।
उत्तम ऎसी तैसी !
झट से तुम टिपियाना बेटा।”
डबल कविता में बड़ा आया। कुछ हम भी जोड़ आये वहाँ।
जमाए रहिए जी…।