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जीतू- जन्मदिन के बहाने इधर उधर की
By फ़ुरसतिया on September 9, 2009
आज नौ सितम्बर है। जीतेन्द्र का जन्मदिन आज के ही दिन पड़ता है। वे भी हमारी तरह सितम्बरी लाल हैं। कहते हैं कि सितम्बर में पैदा हुये लोग कलात्मक प्रतिभा से युक्त होते हैं। लेकिन जीतेन्द्र को देखकर लगता नहीं कि वे उन पर इस सितम्बरी प्रदूषण का कोई असर है। लगता है कि कोई भी नियम सिद्ध करने के लिये अपवाद की शाश्वत आवश्यकता के चलते भगवान ने जीतेन्द्र को उतार दिया धरती पर। कलात्मक प्रतिभा की कमी अगले ने अपनी तमाम तरह की कलाकारियों के जरिये पूरी की। कलाकारी का काम कुछ ज्यादा बढ़ गया तो हफ़्ते भर बाद हमको बुला लिया। एक अकेला थक जायेगा , मिलकर वाट लगाना।
संयोग है कि आज के ही दिन रवीश कुमार ने हिन्दुस्तान अखबार में जीतेन्द्र के बारे लेख लिखा है-ब्लॉग वार्ता : कानपुर से कुवैत तक का पन्ना । अपनेपांच साल के ब्लागिंग कैरियर के दौरान जीतेन्द्र ने न जाने कित्ते गुल खिलाये हैं। दौड़-धूप,उठा-पटक, ताम-झाम, मान-मनौव्वल, लेखन-सम्पादन, लड़ाई-झगड़ा , प्रेम-मोहब्बत गरज कि कोई ऐसी कारगुजारी नहीं छोड़ी जीतेन्द्र ने जो इस दौरान न की हो जीतेन्द्र ने। बहुत बड़ी रेन्ज है काबिलियत और बेवकूफ़ियों की जीतेन्द्र के पास। जो हरकत चाहो मिल जायेगी। ग्राहक ससुरा निराश नहीं जा सकता।
बालक जीतू को लोगों से अपने लिये प्यार-मोहब्बत , उपहार-सुपहार मांगने में फ़ालतू की शर्माना अच्छा नहीं लगता। बिन्दास -हमको बधाई दो, हमको उपहार दो, हम पैदा हुये हैं! हमारे बारे में लेख लिखो! हमसे अपने बारे में पहला लेख बालक ने बालहठ करके ही लिखवा लिया था। अब पता चला है कि कल जन्मदिन के मौके पर अपने घर वालों को पटाकर सबसे अच्छा मोबाइल सेट उपहार में हथिया लिया है।
आज का जीतेन्द्र का जन्मदिन उनकी जिन्दगी का खास है। आज 09.09.09 है। इस तरह तिथि साम्य वाला ऐतिहासिक दिन शायद उनकी जिंदगी में अब दोबारा न होगा।
जीतन्द्र को जन्मदिन की मुबारकबाद। अपने तमाम लफ़ड़ों से उबरकर बालक जल्द ही ब्लागिंग की दुनिया में वापसी करे।
आज ही मीनू खरे जी का भी जन्मदिन है। उनको भी जन्मदिन की बधाई और मंगलकामनायें।
कल इसी तरह पता चला कि अनूप भार्गवजी का भी जन्मदिन है। उनका परिवार यहां ही है तो जन्मदिन के बहाने अमेरिका से भारत चले आये। कल सुना है प्रत्यक्षाजी ने उनसे पार्टी ऐंठ ली। अनूप भार्गवजी ने भी दे दी। इंतजाम तो ससुराल वालों को करना था न!
अनूप भार्गव जी को भी जन्मदिन मुबारक।
जन्मदिन की मुबारकबाद कोई अचानक दे तो जिसका जन्मदिन होता है उसको सुखद आश्चर्य होता है। बहुत छोटी से शुभकामना लोग ताजिन्दगी याद रखते हैं।
शाहजहांपुर में एक आडिट के दौरान मुझे पता लगा कि जो आडीटर आये हैं उनका उस दिन जन्मदिन था। वे उसी दिन आये थे और दो घंटे बाद ओपेनिंग मीटिंग होनी थी। मीटिंग की शुरुआत उनके द्वारा जन्मदिन केक काटने से हुई। आडिटर बर्थडे बेबी बन गया। औपचारिक लफ़ड़े की शुरुआत एकदम घरेलू अन्दाज में हुई तो आडिटर साहब दिन भर पुलकित च हुलसित रहे। ब्यूरो आफ़ इंडियन स्टैन्डर्ड के चन्द्रमोहन जी आज दस साल से ज्यादा पहले की उस सुहानी सुबह को आजतक भी बड़ी शिद्दत से याद करते हैं।
पिछले महीने मैंने अपनी उत्पादनशाला के सभी कर्मचारियों के जन्मतारीख पता कीं। शाप में जाने से पहले मैं वह लिस्ट देख लेता हूं और जिसका जन्मदिन होता है उसको बधाई देकर उसके घर-परिवार के बारे में विस्तार से जानकारी लेता हूं। सबसे पहला जन्मदिन एक महिला का था। वे अपने पति की असामयिक मृत्यु के बाद नौकरी पर लगीं हैं। उनको तथा और लोगों को भी मेरी इस पहल पर आश्चर्य हुआ शायद कि मैं इस तरह शाप फ़्लोर पर उनके जन्मदिन पर बधाई दे रहा हूं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था शायद!
अगले दिन जब मैं शापफ़्लोर के दफ़्तर में मीटिंग कर रहा था तो वही महिला कर्मचारिया मेरे लिये चाय लेकर आयी। अपने जन्मदिन की चाय।
एक बार सिलसिला शुरु हुआ तो यह अब नियमित हो गया। जन्मदिन के बहाने विस्तार से हुई बातचीत से वे बातें पता चलीं जिनको अन्यथा हम शायद न जान पाते। कई लोगों को यह भी याद न था कि उनका जन्मदिन था उस दिन।
ऐसे ही एक दिन सुरेश साहनी से मुलाकात हुई। इसके पहले मैं साहनी को एक ऐसे कर्मचारी के रूप में जानता था जो कि अपना काम तो कर लेता है लेकिन अक्सर अपने कार्यस्थल से इधर-उधर रहता है। अपनी सामाजिक और यूनियन सम्बन्धी गतिविधियों के चलते।
साहनी के जन्मदिन पर जब उनसे मुलाकात हुई और विस्तार से बातचीत हुई तो पता चला कि अच्छी-खासी साहित्यिक अभिरुचि के हैं। यह भी कि शायर भी ऊंचे दर्जे के हैं। कवितायें और लेख भी लिखते हैं। उस दिन हंस का अगस्त 2009 का अंक उनकी ड्राअर में था। धीरे-धीरे साहनी से मिलना-जुलना बढ़ गया है। अब साहनी की परेशानी दोहरी है। पहले उनकी खोजाई एक कामगार के रूप में ही होती थी अब उनकी शायरी का प्रगति पर पूछताछ शुरू हो गयी है। उनका ब्लाग भी बन गया है। ब्लाग पर उनकी अभी एक ही प्रवृष्टि है जिस पर उन्होंने लिखा है:
मेरी खुशियां न छीन ले कोई
एहतियातन उदास रहता हूं!फ़कीराना मिजाज है लेकिन
बारहा गमशनास रहता हूं!
अपना खुद का जन्मदिन भी याद आता है जब मुंबई में ब्लागर भाई लोगों ने जिन्दगी में पहली बार मुझसे केक कटवा दिया। जिंदगी में जो पहले कभी नहीं हुआ वो ब्लागिंग के चक्कर में हो गया।
बहुत छोटी-छोटी बातें जिन्दगी में बहुत-बहुत दिन तक खुश नुमा एहसास देती रहती हैं! है कि नहीं!!
संबंधित कड़ियां
१. जन्मदिन के बहाने जीतेन्दर की याद
२. गरियाये कहां हम तो मौज ले रहे हैं!
३. आइडिया जीतू का लेख हमारा
४. अथ कम्पू ब्लागर भेंटवार्ता
५. जीतेंन्द्र, एग्रीगेटर, प्रतिस्पर्धा और हलन्त
६. जीतेंद्र के लेख
७.…अथ लखनऊ भेंटवार्ता कथा
८. अनूप भार्गव सम्मानित
९.अथ मुंबई मिलन कथा
१०.फ़ुरसतिया की आँखों से छलकता खून
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मेरी पसन्द
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
भावना की गोद से उतरकर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें
चांद-तारॊं सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिये
रूठना-मचलना सीखें
हंसे
मुस्करायें
गायें
हर दिये की रोशनी देखकर ललचायें
उंगली जलायें
अपने पावों पर खड़े हों।
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें
चांद-तारॊं सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिये
रूठना-मचलना सीखें
हंसे
मुस्करायें
गायें
हर दिये की रोशनी देखकर ललचायें
उंगली जलायें
अपने पावों पर खड़े हों।
जा,
तेर स्वप्न बड़े हों।
तेर स्वप्न बड़े हों।
दुष्यन्त कुमार
जन्म:१ सितंबर, १९३३ -३० निधन:दिसम्बर, १९७५
जन्म:१ सितंबर, १९३३ -३० निधन:दिसम्बर, १९७५
regards
इसी बहाने अनूप भार्गव जी का जनमदिन पता चला। अब तो वे Belated की सूची में चले गए हैं, जो हर माह के अंतिम दिन आती है।
जीतू जी , अनूप जी और मीनू जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
जन्मदिन की बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ.
♥♥♥♥♥♥
पाकिस्तानी ब्लोगरिया कहे छु छु कर रिया है ?
SELECTION & COLLECTION
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
दुष्यन्त कुमार जी की रचना के लिये आभार ।
हम भी सितम्बरी गद्दी वाले हैं। सरकारी खाते में हमारा जन्म दिन भी सितम्बर का है। बॉर्न कलाकार नहीं, बनाये कलाकार!
खुशनुमा एहसास देती रहती है…”.
इधर-उधर कि बढ़िया रही.
भले ही ब्लॉग का उनवान ‘फुरसतिया’ हो, प्रायोजित सभी कुछ value based लगे.
कभी-कभी तो लेखन व सम्पादकीय किसी प्रतिष्ठित पत्रिका-सा…