http://web.archive.org/web/20140419213310/http://hindini.com/fursatiya/archives/902
ब्लागर समारोह का उद्घाटन और सत्यार्थ मित्र का विमोचन
By फ़ुरसतिया on October 23, 2009
और ये शानदार टाइप उद्घाटन हो गया।
नामवर जी दीप जला चुके हैं। ज्ञानजी विषय प्रवर्तन कर चुके। रवि भाई ब्लाग की जानकारी दे चुके। अजित भाई सत्यार्थ मित्र के बारे में बता चुके। किताब विमोचित हो चुकी। किताब के बारे में दो लोग बता चुके यह कहते कि उन्होंने किताब पूरी पढ़ी नहीं।
ई वाली पोस्ट चिट्ठाचर्चा पर जा नहीं पाई।ब्लागर बैठा हुआ है। इस लिये इधर ले आये। मीनू खरे की शिकायत थी उधर कि उनका फोटो नहीं आया उसे दूर कर दिया इधर।
ज्ञानजी ने बताया कि ब्लाग को लोग अलग अलग रूप में समझते हैं। कोई साहित्य, कोई मीडिया, कोई अभिव्यक्ति के रूप में। ज्ञान जी ने अपनी पोस्ट के रूप में ही बड़े संक्षेप में अपनी बात कह दी और मुस्करा के बैठ गये। अभी भी वे मुस्करा ही रहे हैं।
इसके बाद रविरतलामी आये। उन्होंने ब्लाग के बारे में बताया। एक ब्लाग पोस्ट बकरी की लेड़ी का हवाला देते हुये शुरु किया। उन्होंने ब्लागिंग के खतरे भी बताये। राजनीतिक ब्लाग को एक खतरा बताया। आशानुरुप अफ़लातून ने पूरा खड़े होकर विरोध किया। रविरतलामी ने शरीफ़ ब्लागर की तरह अपनी बात वापस ले ली या इधर-उधर कर दी।
इसके बाद आये नामवर जी। उन्होंने कहा –उद्घाटित चीज का क्या उद्घाटन। जिसका घूंघट उठ चुका है उसकी नकाब फ़िर क्या खोलना। शायद वे यह कहना चाहते थे कि उद्घाटन के पहले रविरतलामी ज्ञान बांट चुके हैं। बाद में सिद्धार्थ ने अच्छे संचालक की तरह इसके लिये भी सॉरी बोल दिया। लेव जी।
नामवर जी ने ब्लाग के बारे में अपनी समझ बताई। जब उन्होंने कहा कि चिट्ठाकारी शब्द वर्धा विश्वविद्यालय ने दिया तब हमें अपने भाई आलोक आदि चिट्ठाकार याद आये। तुम वहां चंड़ीगढ़ में हो भैया। और तुम्हारे मानस शब्द का अपहरण हो गया।
नामवर जी ने ब्लाग के बारे में बताते हुये कहा- पूत के पांव पालने में दिख रहे हैं। इसकी मह्त्ता पता चल रही है। ब्लाग अभिव्यक्ति का विस्फ़ोट है। इसके खतरे भी उन्होंने बताये।
इसके बाद सिद्धार्थ की किताब का विमोचन हुआ। सत्यार्थ मित्र के बारे में उन लोगों ने बताया जो इसको पढ़े नहीं थे। जय हो।
मंच कुशल लोग कुछ नहीं पता होने पर भी बहुत कुछ ज्ञान बांट जाते हैं।
अब धन्यवाद हो रहा है।
बहुत शानदार च जानदार मौका है। प्रमोदजी ने अजित जी से जो कहा था वह हुआ। मौज करो जी। अजित जी की किताब भी टहलरही है। हाथ दर हाथ।
आप मौज से रहिये।
नामवर जी दीप जला चुके हैं। ज्ञानजी विषय प्रवर्तन कर चुके। रवि भाई ब्लाग की जानकारी दे चुके। अजित भाई सत्यार्थ मित्र के बारे में बता चुके। किताब विमोचित हो चुकी। किताब के बारे में दो लोग बता चुके यह कहते कि उन्होंने किताब पूरी पढ़ी नहीं।
ई वाली पोस्ट चिट्ठाचर्चा पर जा नहीं पाई।ब्लागर बैठा हुआ है। इस लिये इधर ले आये। मीनू खरे की शिकायत थी उधर कि उनका फोटो नहीं आया उसे दूर कर दिया इधर।
ज्ञानजी ने बताया कि ब्लाग को लोग अलग अलग रूप में समझते हैं। कोई साहित्य, कोई मीडिया, कोई अभिव्यक्ति के रूप में। ज्ञान जी ने अपनी पोस्ट के रूप में ही बड़े संक्षेप में अपनी बात कह दी और मुस्करा के बैठ गये। अभी भी वे मुस्करा ही रहे हैं।
इसके बाद रविरतलामी आये। उन्होंने ब्लाग के बारे में बताया। एक ब्लाग पोस्ट बकरी की लेड़ी का हवाला देते हुये शुरु किया। उन्होंने ब्लागिंग के खतरे भी बताये। राजनीतिक ब्लाग को एक खतरा बताया। आशानुरुप अफ़लातून ने पूरा खड़े होकर विरोध किया। रविरतलामी ने शरीफ़ ब्लागर की तरह अपनी बात वापस ले ली या इधर-उधर कर दी।
इसके बाद आये नामवर जी। उन्होंने कहा –उद्घाटित चीज का क्या उद्घाटन। जिसका घूंघट उठ चुका है उसकी नकाब फ़िर क्या खोलना। शायद वे यह कहना चाहते थे कि उद्घाटन के पहले रविरतलामी ज्ञान बांट चुके हैं। बाद में सिद्धार्थ ने अच्छे संचालक की तरह इसके लिये भी सॉरी बोल दिया। लेव जी।
नामवर जी ने ब्लाग के बारे में अपनी समझ बताई। जब उन्होंने कहा कि चिट्ठाकारी शब्द वर्धा विश्वविद्यालय ने दिया तब हमें अपने भाई आलोक आदि चिट्ठाकार याद आये। तुम वहां चंड़ीगढ़ में हो भैया। और तुम्हारे मानस शब्द का अपहरण हो गया।
नामवर जी ने ब्लाग के बारे में बताते हुये कहा- पूत के पांव पालने में दिख रहे हैं। इसकी मह्त्ता पता चल रही है। ब्लाग अभिव्यक्ति का विस्फ़ोट है। इसके खतरे भी उन्होंने बताये।
इसके बाद सिद्धार्थ की किताब का विमोचन हुआ। सत्यार्थ मित्र के बारे में उन लोगों ने बताया जो इसको पढ़े नहीं थे। जय हो।
मंच कुशल लोग कुछ नहीं पता होने पर भी बहुत कुछ ज्ञान बांट जाते हैं।
अब धन्यवाद हो रहा है।
बहुत शानदार च जानदार मौका है। प्रमोदजी ने अजित जी से जो कहा था वह हुआ। मौज करो जी। अजित जी की किताब भी टहलरही है। हाथ दर हाथ।
आप मौज से रहिये।
Posted in सूचना | 35 Responses
sari jankari hamne ghar baithe pai
Ise kahte hain bloggery idhar vimochan udhar post on line very smart. Aapke blog ne fursatia nahi fatakia ka kaam kiya hai.
I like this. Main bhi tha vimochan me, iski pahli post par pahli pritikriya sweekar karein.
Aapke madhyam se Siddharth ji ko bahut badhai….
-Puneet
नामवर जी की यही तो विशेषता है । वे पिछले 50 से भी अधिक वर्षो से ज्ञान बाँट रहे हैं ।उनके ज्ञान से साहित्य जगत लाभांवित हो रहा है । उम्मीद है ब्लॉगजगत भी होगा । ब्लॉग में साहित्य की उपस्थिति को लेकर वे क्या बोले यह जानने की उत्सुकता थी । राजनीति की उपस्थिति के बयान से जो दृश्य उपस्थित हुआ होगा उसकी कल्पना हम कर सकते हैं । उन्होंने कहा –उद्घाटित चीज का क्या उद्घाटन। इस बात के भी अनेक अर्थ हैं । किन खतरों की ओर उनका इशारा था यह जानने हेतु भी हम उत्सुक हैं । तस्वीरें देखकर अच्छा लगा । सभी के चेहरे पर प्रसन्नता एवं उत्साह दिखाई दे रहा है ।सत्यार्थ मित्र के विमोचन के लिये अजित वडनेरकर जी को बधाई । वैसे भी विमोचन से पूर्व कोई कहाँ किताब पढ़ता है । इस पर समीक्षा गोष्ठी होगी तब पढ़ी जायेगी । उम्मीद है विस्तृत रपट शीघ्र ही पढने को मिलेगी ।- शरद कोकास
नामवर जी कौन से? जो आलोचक हैं या कोई ब्लॉगर?
उन्हें बताओ भाई कि हमारे आदि चिट्ठाकार ‘चिट्ठा’ समेत बहुत से शब्दों के प्रवर्तक हैं.
नामवरजी दुसरों के माल का अपहरण इस तकनीकी युग में सम्भव नहीं अतः आलोक का शब्द उन्ही का रहेगा.
और ये नामवर यहाँ क्या कर रहे है? ब्लॉगिंग तो कचरा चीज है… भई….
रामराम.
इतनी जल्दी सारे समाचार समेट लिए – बधाई। रही बात नामवर जी की, तो हर नामवर चीज़ पर उनका पहला हक बनता है- भले ही वो कोई शब्द ही क्यों न हो! जय हो- लाल सलाम:)
सही आज़ादी तभी आयेगी जब् हर किसी को स्वतंत्रता होगी के वो
अपनी बातें , खुलकर रखें – राजनीति भी व्यक्ति और समाज से ही
निकलकर चली है —
- लावण्या
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
http://www.vyangya.blog.co.in
बढिया रिपोर्ताजत्मक पोस्ट ।
report ekdam dhansu ch faansu hai…abhi to headline hai…baaki bhi aane dijiye dheere dheere
aapki speed ki daad dete hain, kahan to ham soch rahe the ki abhi jaayenge, aayenge sustayenge tab jaake post aaygi…par yahan to aankhon dekha haal…bada tej channel hai
8 दिसंबर 2011 के ‘हिंदुस्तान’ दैनिक में ब्लॉगर्स मीट के बारे में प्रकाशित
आर्टिकल पढ़कर लगा था कि संसद मार्ग में हिन्दी ब्लॉगर्स मीटिंग होने
जा रही थी, लेकिन वहाँ जाने पर देखा कि वह हिन्दी ब्लॉगर्स मीटिंग नहीं
थी l
वहाँ सभी अंग्रेजी में बोल रहे थे और आयोजक कंपनी अपने
उत्पाद का प्रचार कर रही थी l
हमें अविलंब हिन्दी ब्लॉगर्स की एक वृहत मीटिंग बुलानी
चाहिए, जिसमें ब्लॉगर्स की समस्या, उसका समाधान, ब्लॉग
लेखन एवं उसके स्तर पर व्यापक बहस हो l
ब्लॉग लेखन अन्य लेखन की तरह एक संस्कृति है, जिससे
जनता उसी तरह प्रभावित होती है जिस तरह अन्य रचनाओं से l
हमें विशाल हिन्दी भाषा – भाषियों की भाषा में, उनके हित
के लिए कार्य करना है न कि विदेशी भाषा में और न ही व्यापारियों
जैसा l भारत में अंग्रेजी भाषा का उपयोग स्वार्थपरता के सिवाय कुछ
भी नहीं है l
ब्लॉग लेखन ने हमें अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता दी है l आज
हम अपनी रचनाओं के प्रकाशन के लिए किसी अन्य के मोहताज नहीं हैं l
हम स्वयं प्रकाशित हैं l इसे जन कल्याण में लगाना है l
जीतेन्द्र जीत
मो. 09717725718
ई – मेल : jeetendra.jeet.letter@gmail.com
http:// kamalahindi.blogspot.com
जीतेन्द्र जीत
हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने ‘तीन पीढ़ी : तीन दिन’ कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार, 6 अगस्त 2012 को सायं 5.30 बजे ‘कहानी पाठ’ का आयोजन किया। तीन पीढ़ी से- नयी पीढ़ी के विवेक मिश्र, द्वितीय पीढ़ी से चित्रा मुदगल और तीसरी पीढ़ी से कथा वाचन में राजेंद्र यादव थे।
1. विवेक मिश्र की कहानी का शीर्षक ‘ए गंगा तुम बहती हो क्यों’ सुनकर लगा कि लेखक कुछ तथ्य
की बातें कहना चाहता है लेकिन कहानी इसका पुष्टि नहीं करती।
2. चित्रा मुदगल की कहानी ‘बेईमान’, पढ़े-लिखे और आधुनिक कहलानेवाले लोगों का व्यवहार, कई
प्रश्न उपस्थित करती है।
3. राजेंद्र यादव अपनी पाँच छोटी-छोटी व्यंग्य एवं अन्य कहानी सुनाये।
यदि आपको लगे कि अपनी या अध्ययन की गयी उत्कृष्ट कहानी रचनात्मक
प्रशिक्षण के दृष्टिकोण से उपयुक्त है, तो भेजें। यहाँ आपके द्वारा उसकी चर्चा की जाएगी।
शीघ्र शुरू होने जा रही ‘हिन्दी कहानी : एक अध्ययन’ कथा गोष्ठी में भाग लेने के लिए आप
सादर आमंत्रित हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें- मो. 09654148379 / 09717725718
http://www.kamalahindi.blogspot.com