मोहल्ले का सबसे बुरा आदमी, निपट गया कल रात,
शरीफ़ हकलान हैं ,अपनी खुराफ़ातें किसके मत्थे मढ़ेंगे।
एक चोर ने दूसरे को पकड़ लिया बीच बाजार में,
कहा शर्म नहीं आती चोरी की चीजें चुराते हुये।
तुम अब मुझे कोई हसीन धोखा दे ही दो,
मैंने चोट खाने पे एक हसीन शेर लिखा है।
देर की अगर तो फ़िर ये शिकायत मत करना,
ये धोखा किससे खाया , ये शेर किसपे लिखा।
-कट्टा कानपुरी
शरीफ़ हकलान हैं ,अपनी खुराफ़ातें किसके मत्थे मढ़ेंगे।
एक चोर ने दूसरे को पकड़ लिया बीच बाजार में,
कहा शर्म नहीं आती चोरी की चीजें चुराते हुये।
तुम अब मुझे कोई हसीन धोखा दे ही दो,
मैंने चोट खाने पे एक हसीन शेर लिखा है।
देर की अगर तो फ़िर ये शिकायत मत करना,
ये धोखा किससे खाया , ये शेर किसपे लिखा।
-कट्टा कानपुरी
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