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पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं
By फ़ुरसतिया on April 10, 2012
कविता सिखाते हुये
गुरुजी से अनौपचारिक बाते होंने लगीं। बोले कि पुराने जमाने में लोग
लय,ताल,छंद में कविता लिखते थे। इस तरह की कवितायें देखने में ऐसे लगतीं
थीं जैसे स्कूल ड्रेस में बच्चे। देखने में खूबसूरत। एक लाइन में खड़े बच्चे
जैसे देखने में सुन्दर लगते हैं वैसे ही लय ताल में लिखी कवितायें लगतीं
थीं। अरे लिखी नहीं भाई रची हुई! कवि कभी कविता लिखता नहीं है वो हमेशा
कविता रचता है। इस बात पर ही कवि और लेखक की परिभाषायें भी तय हुई हैं किसी लेखक की लिखी हुई चीज को जब बराबर-बराबर खानों में लिखकर छाप दिया जाता है तो वह कविता बन जाती है।
किसी लेखक की लिखी हुई चीज को जब बराबर-बराबर खानों में लिखकर छाप दिया जाता है तो वह कविता बन जाती है।
लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे जमाना आधुनिक होता गया लोगों की सोच में
बदलाव आया। जैसे पहले लोग शराफ़त और शालीनता की इज्जत करते थे। लेकिन आज के
जमाने में शरीफ़ और सज्जन को लोग लप्पूझन्ना टाइप मानते हैं। गुंडई और
उजड्डता को ज्यादा भाव देते हैं। इसी तरह लोगों के कविता के बारे में भी
विचार बदले। अब तुकांत कविताओं भी लोग जान-बूझकर अतुकांत बनाकर पेश करते
हैं।
बकौल परसाईजी- मरघटी कवितायें सुनाकर वाह-वाही पाने वाले घंटों तक अपना श्रृंगार करके अपने चेहरे बहदवास और लुटे-पिटे बनाते थे। उसई तरह अतुकांत कविता लिखने वाले अपनी कवितायें तुक में लिखकर मेरा मतलब रचकर फ़िर उनको बेतुका बनाते हैं। इसके बाद जनता के सामने पेश करते हैं और ज्ञानी कवि कहलाते हैं।
कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये।
एक चेले ने सवाल किया कि गुरुजी और सब तो ठीक लेकिन कविता की रचना के सबसे जरूरी तत्व क्या है?
गुरुजी ने समझाया कि कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये। जो समझ में आ रहा है उसे तुरंत लिख डालना चाहिये। आई मीन रच डालना चाहिये। जो न समझ में आये उसे तो उससे और पहले रच डालना चाहिये। पहले मसाला तैयार करो इसके बाद कुछ न कुछ तो बनेगा ही। बस उसी को श्रोता/पाठक के सामने परस दो।
एक चेले ने गुरुजी से उदाहरण सहित व्याख्या करने को कहा। गुरुजी के सामने तब तक नाश्ता आ गया था। नाश्ते में गरमा-गरम पूरियां थीं। गुरुजी
ने तुरंत कविता रचने लगे। मजाक-मजाक में गुरुजी ने छह फ़ुटकर बंद रच डाले। आप भी वो फ़रमायें जिसे शाइर लोग मुलाहिजा के नाम से जानते हैं
इधर गुरुजी अपने खाते पर व्यस्त का स्टेटस लगाकर और सरदर्द की गोली पानी से निगलकर अपने पुराने चेलों की कवितायें दुरस्त करने लगे।
आप क्या कर रहे हैं। आप भी कुछ आशु काव्य रच डालिये। जो होगा देखा जायेगा।
सूचना: फोटो फ़्लिकर से साभार! कविता कहां से चुराई ऊ हम न बतायेंगे।
बकौल परसाईजी- मरघटी कवितायें सुनाकर वाह-वाही पाने वाले घंटों तक अपना श्रृंगार करके अपने चेहरे बहदवास और लुटे-पिटे बनाते थे। उसई तरह अतुकांत कविता लिखने वाले अपनी कवितायें तुक में लिखकर मेरा मतलब रचकर फ़िर उनको बेतुका बनाते हैं। इसके बाद जनता के सामने पेश करते हैं और ज्ञानी कवि कहलाते हैं।
गुरुजी ने समझाया कि कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये। जो समझ में आ रहा है उसे तुरंत लिख डालना चाहिये। आई मीन रच डालना चाहिये। जो न समझ में आये उसे तो उससे और पहले रच डालना चाहिये। पहले मसाला तैयार करो इसके बाद कुछ न कुछ तो बनेगा ही। बस उसी को श्रोता/पाठक के सामने परस दो।
एक चेले ने गुरुजी से उदाहरण सहित व्याख्या करने को कहा। गुरुजी के सामने तब तक नाश्ता आ गया था। नाश्ते में गरमा-गरम पूरियां थीं। गुरुजी
- पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं,
क्या बन-ठन के प्लेट में आई हुई हैं,
आलू्-सब्जी का भी साथ है सुंदर,
खाने को तबियत ललचाई हुई है। - गई थीं कढाही में तो बहुत दुबली थीं,
जैसे किसी गरीब की सूखी लुगाई हो,
कढ़ाही से तो कुछ ऐसे फ़ूलकर निकली,
जैसे किसी नेता की काली कमाई हो। - देश में बहुत सी समस्यायें हैं भैये,
सबसे जालिम उनमें से ये मंहगाई है,
सैकड़ों अप्सराओं से घिरे थे जो कभी,
एक से निभाने में कांख निकल आई है। - फ़ेसबुक के भी मजे यारों क्या कहिये,
दोस्ती-दुश्मनी खूब मजे में निभाई है,
खुश हुये तो लाइक करके फ़ूट लिये ,
अन्फ़्रेंड करके दुश्मनी भी खूब निभाई है। - एक टिप्पणी मिली पोस्ट को अकेले में,
पोस्ट ने उसको छाती से सटा सा लिया,
कहां घूमती फ़िरी थी बावली आज तक,
तेरी याद में ब्लॉग की जान पे बन आई है। - अक्ल की बात से बड़ा डर लगता है
अंदर जरूर कोई घपला है, हमेशा लगता है,
कुछ न कुछ बेवकूफ़ी हमेशा करते रहना
दोस्ती निभाते रहो जैसे अब तक निभाई है।
इधर गुरुजी अपने खाते पर व्यस्त का स्टेटस लगाकर और सरदर्द की गोली पानी से निगलकर अपने पुराने चेलों की कवितायें दुरस्त करने लगे।
आप क्या कर रहे हैं। आप भी कुछ आशु काव्य रच डालिये। जो होगा देखा जायेगा।
सूचना: फोटो फ़्लिकर से साभार! कविता कहां से चुराई ऊ हम न बतायेंगे।
Posted in कविता, बस यूं ही | 51 Responses
भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..जरदारी साहब आपका स्वागत है लेकिन
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..नन्ही कली..
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..मेरा साया!!
अहा सब्जी के संग पूड़ी और पाव भर कचौड़ी
तीतर को बटेर नहीं कहते , ना कहते शेर को भालू|
जलेबी को समोसा नहीं कहते , न कहते चुकंदर को आलू ||
सूरज उगा सबेरा भया, सूरज ढला शाम हो गयी |
कल तक ये बात छुपी हुई थी, आज से ये आम हो गयी ||
इसमे से किसी भी लाइन का कोई मतलब नहीं है, पर “आत्मविश्वास” से लबरेज़ हैं हम
आपकी शिक्षा काम आ रही है
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..पोस्ट के बदले पोस्ट!!!
उपरोक्त पंक्तियों पर हमारी आपत्ती दर्ज की जाए!
लपूझन्ना का अपमान नहीं सहेगा ब्लागीस्तान !
आशीष श्रीवास्तव ‘झालीया वाले!’ की हालिया प्रविष्टी..सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)
गजब!
sushma की हालिया प्रविष्टी..तुम रामकली, श्यामकली, परुली की बेटी
गुरूजी के आगे पूड़ी आई,
उन्होंने झट से की कबिताई .
पर बात यह समझ न आई,
पूड़ी-सब्जी के बीच में कहाँ समाई
महंगाई और काली कमाई ?
…आजकल फेसबुकिया कवि ही सबसे बड़े रचनाकार सिद्ध हो रहे हैं,उनके आगे असली कवियों की बोलती बंद हो जाती है !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..विचार जो रिश्तेदारी निभाते हैं !
कवि कवि होता है। कवि कोई असली-नकली नहीं होता। खराब कवि के अच्छे बनने की संभावनायें एक अच्छे कवि के मुकाबले कहीं ज्यादा होती हैं।
वाह वाह
शुक्रिया ।
कवीता ऐसा जबर कर दिया
ऑनलाइन गुरुजी हैं पूरे लठैत
श्रोताओं को क्या खबर कर दिया?
(~ उस्ताद चक्कू रामपुरी)
(ये कैसा कमेंट सिस्टम है आपका नाम भरने से पहले ही कमेंटवा छाप दिया। दुबारा कर रहे हैं ताकि उस्ताद चक्कू रामपुरी का कॉपीराइटवा लेफ़्ट-राइट सब तरफ़ बना रहे)
Smart Indian – अनुराग शर्मा की हालिया प्रविष्टी..खट्टे अंगूर – कविता
कमेंट में चूंकि कविता था सो वो पोस्ट पर जाने को बावली थी। वो वाला कमेंट हटा दिया।:)
पुडी मचाये ग़दर इ बात है ज्वलंत
कह अनूप गुरु ज्ञान ते २-४ उबरंत
ashish की हालिया प्रविष्टी..सुनो ! मत छेड़ो सुख तान
आपने तो हमारे ऊपर ऐसा हल्ला बोल दिया कि लजाना पड़ेगा।
अब हम समझे कि हम इत्ते दिनों से कविता काहे नहीं ‘रच’ पा रहे हैं. पुरानी ही बार-बार ठेले जा रहे हैं. गुरूजी जी की जय
aradhana की हालिया प्रविष्टी..क्योंकि हर एक दोस्त – – – होता है
dhiru singh की हालिया प्रविष्टी..हिंदी ब्लागिग के नुक्सान के लिए क्या चिट्ठाजगत व् ब्लागवाणी दोषी है
और वो क्लास का चपरासी कहाँ गया ?
परसाई जी की आत्मा (इश्वर उन्हें चिर शांत किये रहे ) अब करीब होने के कारण जरुर आपके मूड पर हावी लग रही है ..
यह सपने में तो नहीं लिख डाली
क्लास का चपरासी कविता लिखने लगा था।
परसाई जी महान लेखक थे। वे तो हमेशा अपन के साथ रहते हैं। याद में।
सपने में कविता क्या लिखें/क्यों लिखें। सपने तो और खूबसूरत चीजें के लिये होते हैं।
हम होते तो खाने पे ध्यान लगाते हहाहाहा
आशीष श्रीवास्तव
shilpa mehta की हालिया प्रविष्टी..रामायण १८
चर्चा मंच पर
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
charchamanch.blogspot.com
चर्चामंच तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया।
स्वाति की हालिया प्रविष्टी..नशा
…………
International Bloggers Conference!
अर्शिया अली की हालिया प्रविष्टी..अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन (न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार)।
गजब करी कविताई है |
मेरी नज़र से यह पोस्ट
जाने कैसे बच पाई है |
shefali pande की हालिया प्रविष्टी..सुगम के माने सौ – सौ ग़म, यह मान लीजिये
हमारे यहाँ पूरी कहा जाता है
SHOAIB की हालिया प्रविष्टी..नम्मा मेट्रो
आपका ब्लॉग हमें बहुत पसंद आया है, और वो वाखी में काबिले तारीफ है. हमें आपको बतानेमे ख़ुशी हो रही है के, जल्द ही आंतरजाल पर एक नया ब्लॉग खुलनेवाला है तो हमारी आपसे गुज़ारिश है के आप इस नए ब्लॉग में आपना सहयोग दे. इस के लिए आपको कुछ लेख लिखने होंगे. और उन्हें निचे दिए गए ई-मेल आयडी पर भेजना होगा. आप सिर्फ और सिर्फ हिंदी जो की हमारी राष्ट्रभाषा है उसीमे लेख लिख सकते है. सभी भारतीय लेखकोंको इक्कठा करनेकी इस मोहिम को आप जरुर सहयोग करेंगे यह हमें विश्वास है. जिस लेखक के १५ से ज्यादा लेख पब्लिश होंगे उन्हें इस ब्लॉग के लेखकोंकी लिस्ट में शमिल किया जायेगा. यह पुरी तरह से मुफ्त होगा. और जब आपका समावेश इन लेखकोंकी लिस्ट में किया जायेगा तब आप आपके लेखोंके साथ साथ विज्ञापन भी भेज सकते है. इसमें इस बात का ख्याल रखा जाय के आपका लेखन पुरी तरह से आपका हो, और पहले कभी आंतरजाल पर प्रसारित न हुआ हो. आप आपने लेख निचे दिए गए ई-मेल पते पर भेज सकते है. धन्यवाद.
IndiaWritesClub@gmail.com
और रही कविताओं की बात तो कवि की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उसे सामने वाले के सर दर्द से कोई लेना-देना नहीं है ,
अभी ‘वाह-वाह’ सिरिअल में एक सज्जन ने कहा था कि कवि तो मुर्दनी में भी जाए तो भीड़ देखकर वहाँ भी अपनी कविता चिपकाने से न चुके |
सादर
We’re interested in advertising on your blog / website. Let me know if you’re interested in discussing further about it.
Thanks
Amandeep singh
aman@accu-ratemedia.com
जारी रहें,
बधाई !!