Tuesday, April 10, 2012

पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं

http://web.archive.org/web/20140419215523/http://hindini.com/fursatiya/archives/2831

पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं

कविता सिखाते हुये गुरुजी से अनौपचारिक बाते होंने लगीं। बोले कि पुराने जमाने में लोग लय,ताल,छंद में कविता लिखते थे। इस तरह की कवितायें देखने में ऐसे लगतीं थीं जैसे स्कूल ड्रेस में बच्चे। देखने में खूबसूरत। एक लाइन में खड़े बच्चे जैसे देखने में सुन्दर लगते हैं वैसे ही लय ताल में लिखी कवितायें लगतीं थीं। अरे लिखी नहीं भाई रची हुई! कवि कभी कविता लिखता नहीं है वो हमेशा कविता रचता है। इस बात पर ही कवि और लेखक की परिभाषायें भी तय हुई हैं किसी लेखक की लिखी हुई चीज को जब बराबर-बराबर खानों में लिखकर छाप दिया जाता है तो वह कविता बन जाती है।
किसी लेखक की लिखी हुई चीज को जब बराबर-बराबर खानों में लिखकर छाप दिया जाता है तो वह कविता बन जाती है।
लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे जमाना आधुनिक होता गया लोगों की सोच में बदलाव आया। जैसे पहले लोग शराफ़त और शालीनता की इज्जत करते थे। लेकिन आज के जमाने में शरीफ़ और सज्जन को लोग लप्पूझन्ना टाइप मानते हैं। गुंडई और उजड्डता को ज्यादा भाव देते हैं। इसी तरह लोगों के कविता के बारे में भी विचार बदले। अब तुकांत कविताओं भी लोग जान-बूझकर अतुकांत बनाकर पेश करते हैं।
बकौल परसाईजी- मरघटी कवितायें सुनाकर वाह-वाही पाने वाले घंटों तक अपना श्रृंगार करके अपने चेहरे बहदवास और लुटे-पिटे बनाते थे। उसई तरह अतुकांत कविता लिखने वाले अपनी कवितायें तुक में लिखकर मेरा मतलब रचकर फ़िर उनको बेतुका बनाते हैं। इसके बाद जनता के सामने पेश करते हैं और ज्ञानी कवि कहलाते हैं।
कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये।
एक चेले ने सवाल किया कि गुरुजी और सब तो ठीक लेकिन कविता की रचना के सबसे जरूरी तत्व क्या है?
गुरुजी ने समझाया कि कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये। जो समझ में आ रहा है उसे तुरंत लिख डालना चाहिये। आई मीन रच डालना चाहिये। जो न समझ में आये उसे तो उससे और पहले रच डालना चाहिये। पहले मसाला तैयार करो इसके बाद कुछ न कुछ तो बनेगा ही। बस उसी को श्रोता/पाठक के सामने परस दो।
एक चेले ने गुरुजी से उदाहरण सहित व्याख्या करने को कहा। गुरुजी के सामने तब तक नाश्ता आ गया था। नाश्ते में गरमा-गरम पूरियां थीं। गुरुजी
ने तुरंत कविता रचने लगे। मजाक-मजाक में गुरुजी ने छह फ़ुटकर बंद रच डाले। आप भी वो फ़रमायें जिसे शाइर लोग मुलाहिजा के नाम से जानते हैं :)
  1. पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं,
    क्या बन-ठन के प्लेट में आई हुई हैं,
    आलू्-सब्जी का भी साथ है सुंदर,
    खाने को तबियत ललचाई हुई है।
  2. गई थीं कढाही में तो बहुत दुबली थीं,
    जैसे किसी गरीब की सूखी लुगाई हो,
    कढ़ाही से तो कुछ ऐसे फ़ूलकर निकली,
    जैसे किसी नेता की काली कमाई हो।

  3. देश में बहुत सी समस्यायें हैं भैये,
    सबसे जालिम उनमें से ये मंहगाई है,
    सैकड़ों अप्सराओं से घिरे थे जो कभी,
    एक से निभाने में कांख निकल आई है।
  4. फ़ेसबुक के भी मजे यारों क्या कहिये,
    दोस्ती-दुश्मनी खूब मजे में निभाई है,
    खुश हुये तो लाइक करके फ़ूट लिये ,
    अन्फ़्रेंड करके दुश्मनी भी खूब निभाई है।

  5. एक टिप्पणी मिली पोस्ट को अकेले में,
    पोस्ट ने उसको छाती से सटा सा लिया,
    कहां घूमती फ़िरी थी बावली आज तक,
    तेरी याद में ब्लॉग की जान पे बन आई है।
  6. अक्ल की बात से बड़ा डर लगता है
    अंदर जरूर कोई घपला है, हमेशा लगता है,
    कुछ न कुछ बेवकूफ़ी हमेशा करते रहना
    दोस्ती निभाते रहो जैसे अब तक निभाई है।
गुरुजी की बात लगता है चेलों के समझ में अच्छे से आ गयी। वे सब अपने-अपने लैपटाप खोलकर अपने ब्लॉग/फ़ेसबुक/टिवटर पर तुकबंदियां ठेलने में मशगूल हो गये।
इधर गुरुजी अपने खाते पर व्यस्त का स्टेटस लगाकर और सरदर्द की गोली पानी से निगलकर अपने पुराने चेलों की कवितायें दुरस्त करने लगे।
आप क्या कर रहे हैं। आप भी कुछ आशु काव्य रच डालिये। जो होगा देखा जायेगा। :)
सूचना: फोटो फ़्लिकर से साभार! कविता कहां से चुराई ऊ हम न बतायेंगे। :)

51 responses to “पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं”

  1. भारतीय नागरिक
    हमने तो आप की बात पर पहले ही अमल कर लिया है. कई ठोर कवितायें (अब आशु हैं या आंसू निकलने वाली ये तो पता नहीं) रच या लिख डाली हैं. :)
    भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..जरदारी साहब आपका स्वागत है लेकिन
  2. shikha varshney
    ठीक है जी हम चले कविता रचने :):)
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..नन्ही कली..
  3. सलिल वर्मा
    आज हमारी शिक्षा सम्पूर्ण हुई गुरुदेव… यह शिष्य आज से कवि के रूप में स्नातक हुआ.. अंगूठा, इन्क्लुडिंग उंगलियां, छोडकर जो मांगोगे वही मिलेगा, गुरु दक्षिणा रूपी कैपिटेशन फी के रूप में… एडवांस न लेने का धन्यवाद, आपके जीवन पर एक महाकाव्य लिखकर चुका दूंगा.. आसान इंस्टालमेंट में!!
    सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..मेरा साया!!
  4. सतीश पंचम
    उन गुरूजी के घर का पता बताईये……मुझे इसी किसम की कविताई में जबर लुत्फ आता है
    अहा सब्जी के संग पूड़ी और पाव भर कचौड़ी :)
  5. देवांशु निगम
    धन्य है गुरुदेव आप, ग़दर मजा (ज्ञान) आया दूसरी क्लास अटेंड करके | हमारी अटेंडेंस १०० परसेंट है जी | कविता लिखने के “गुर” भी सीख गए हैं, एक – दो लाइन हम भी चिपका देते हैं:
    तीतर को बटेर नहीं कहते , ना कहते शेर को भालू|
    जलेबी को समोसा नहीं कहते , न कहते चुकंदर को आलू ||
    सूरज उगा सबेरा भया, सूरज ढला शाम हो गयी |
    कल तक ये बात छुपी हुई थी, आज से ये आम हो गयी ||
    इसमे से किसी भी लाइन का कोई मतलब नहीं है, पर “आत्मविश्वास” से लबरेज़ हैं हम
    आपकी शिक्षा काम आ रही है :) :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..पोस्ट के बदले पोस्ट!!!
  6. आशीष श्रीवास्तव 'झालीया वाले!'
    “लेकिन आज के जमाने में शरीफ़ और सज्जन को लप्पूझन्ना टाइप मानते हैं। ”
    उपरोक्त पंक्तियों पर हमारी आपत्ती दर्ज की जाए!
    लपूझन्ना का अपमान नहीं सहेगा ब्लागीस्तान !
    आशीष श्रीवास्तव ‘झालीया वाले!’ की हालिया प्रविष्टी..सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)
  7. sushma
    “गुंडई और उजड्डता को ज्यादा भाव देते हैं। इसी तरह लोगों के कविता के बारे में भी विचार बदले। अब तुकांत कविताओं भी लोग जान-बूझकर अतुकांत बनाकर पेश करते हैं”।
    गजब!
    sushma की हालिया प्रविष्टी..तुम रामकली, श्यामकली, परुली की बेटी
  8. संतोष त्रिवेदी
    …गुरूजी का कविता-कोर्स बड़ा मजेदार रहा.आजकल कवितायेँ भी आउटसोर्स हो रही है.
    गुरूजी के आगे पूड़ी आई,
    उन्होंने झट से की कबिताई .
    पर बात यह समझ न आई,
    पूड़ी-सब्जी के बीच में कहाँ समाई
    महंगाई और काली कमाई ?
    …आजकल फेसबुकिया कवि ही सबसे बड़े रचनाकार सिद्ध हो रहे हैं,उनके आगे असली कवियों की बोलती बंद हो जाती है !
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..विचार जो रिश्तेदारी निभाते हैं !
  9. काजल कुमार
    पूड़ि‍यां चूड़ि‍यां
    वाह वाह
  10. प्रवीण पाण्डेय
    शब्दों को बराबर बराबर छाँट कर सजा देने वाली कविता की एल्गॉरिद्म बहुत काम की है। चलिये एक प्रोग्राम बनाते हैं।
  11. Smart Indian - अनुराग शर्मा
    पूरी को तल के गदर कर दिया,
    कवीता ऐसा जबर कर दिया
    ऑनलाइन गुरुजी हैं पूरे लठैत
    श्रोताओं को क्या खबर कर दिया?
    (~ उस्ताद चक्कू रामपुरी)
    (ये कैसा कमेंट सिस्टम है आपका नाम भरने से पहले ही कमेंटवा छाप दिया। दुबारा कर रहे हैं ताकि उस्ताद चक्कू रामपुरी का कॉपीराइटवा लेफ़्ट-राइट सब तरफ़ बना रहे)
    Smart Indian – अनुराग शर्मा की हालिया प्रविष्टी..खट्टे अंगूर – कविता
  12. vineeta sharma
    यहाँ तो अच्छी कविता-क्लास चल रही है. अगर हम isee तरह क्लास अटैंड करते रहे तो कवि तो ज़रूर बन जायेंगे . पूदियोँ तेल में ग़दर नहाई हैं….. मतलब कडाही के अन्दर ग़दर…मज़ा आया .
  13. ashish
    सही है . मचाये रहिये ग़दर ,
    पुडी मचाये ग़दर इ बात है ज्वलंत
    कह अनूप गुरु ज्ञान ते २-४ उबरंत
    ashish की हालिया प्रविष्टी..सुनो ! मत छेड़ो सुख तान
  14. aradhana
    गुरुजी ने समझाया कि कविता लिखने के लिये सबसे जरूरी तत्व आपका आत्मविश्वास है। आपको हिचकना नहीं चाहिये। जो समझ में आ रहा है उसे तुरंत लिख डालना चाहिये। आई मीन रच डालना चाहिये। जो न समझ में आये उसे तो उससे और पहले रच डालना चाहिये।
    अब हम समझे कि हम इत्ते दिनों से कविता काहे नहीं ‘रच’ पा रहे हैं. पुरानी ही बार-बार ठेले जा रहे हैं. गुरूजी जी की जय :)
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..क्योंकि हर एक दोस्त – – – होता है
  15. dhiru singh
    गुरु ज्ञान मिल गया अब देखे कौन मुझे कवि बन्ने से रोकता है
    dhiru singh की हालिया प्रविष्टी..हिंदी ब्लागिग के नुक्सान के लिए क्या चिट्ठाजगत व् ब्लागवाणी दोषी है
  16. arvind mishra
    गुरुजी ने तुरंत कविता रचने लगे।- ‘ने’ हटाईये !
    और वो क्लास का चपरासी कहाँ गया ?
    परसाई जी की आत्मा (इश्वर उन्हें चिर शांत किये रहे ) अब करीब होने के कारण जरुर आपके मूड पर हावी लग रही है ..
    यह सपने में तो नहीं लिख डाली :)
  17. आशीष श्रीवास्तव
    पूरी खाने से पहले जो उसपर कविता लिख सकता है वही आशु कवि है …
    हम होते तो खाने पे ध्यान लगाते हहाहाहा :) :) :D
    आशीष श्रीवास्तव
  18. Rashmi Makhija
    बड़ी मज़ेदार पोस्ट है शुक्ल जी. आपके लिखने का अंदाज़ निराला है.
  19. shilpa mehta
    वाह – क्या कमाल , बेमिसाल कविताई है ….
    shilpa mehta की हालिया प्रविष्टी..रामायण १८
  20. ravikar
    आज शुक्रवार
    चर्चा मंच पर
    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
    charchamanch.blogspot.com
  21. rajesh utsahi
    कविता लिखना तो पहले ही सीख लिया था,पर ज्ञान आज प्राप्‍त हुआ। जय हो गुरुदेव।
    चर्चामंच तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया।
  22. रजनीश के झा
    उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
  23. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं [...]
  24. स्वाति
    अनूप जी, पहले तो मेरी कविताओं को पढ़ने और सराहने के लिए धन्यवाद. आप मेरे सबसे पहले पाठक हुए. दूसरी बात ये कि ‘वर्ड वेरिफिकेशन’ क्या बाला है और इससे कैसे निजात पाई जाये?
    स्वाति की हालिया प्रविष्टी..नशा
  25. अर्शिया अली
    लगता है अब तो कविता करनी ही पडेगी।
    …………
    International Bloggers Conference!
    अर्शिया अली की हालिया प्रविष्टी..अन्तर्राष्‍ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन (न्‍यू मीडिया के सामाजिक सरोकार)।
  26. shefali pande
    पूड़ी को फेसबुक पे तलके
    गजब करी कविताई है |
    मेरी नज़र से यह पोस्ट
    जाने कैसे बच पाई है |
    shefali pande की हालिया प्रविष्टी..सुगम के माने सौ – सौ ग़म, यह मान लीजिये
  27. SHOAIB
    बहुत दिनों बाद आपको फुरसत से पढ़ा अनूप जी
    हमारे यहाँ पूरी कहा जाता है :)
    SHOAIB की हालिया प्रविष्टी..नम्मा मेट्रो
  28. Indian Writers Club
    माननीय महोदय,
    आपका ब्लॉग हमें बहुत पसंद आया है, और वो वाखी में काबिले तारीफ है. हमें आपको बतानेमे ख़ुशी हो रही है के, जल्द ही आंतरजाल पर एक नया ब्लॉग खुलनेवाला है तो हमारी आपसे गुज़ारिश है के आप इस नए ब्लॉग में आपना सहयोग दे. इस के लिए आपको कुछ लेख लिखने होंगे. और उन्हें निचे दिए गए ई-मेल आयडी पर भेजना होगा. आप सिर्फ और सिर्फ हिंदी जो की हमारी राष्ट्रभाषा है उसीमे लेख लिख सकते है. सभी भारतीय लेखकोंको इक्कठा करनेकी इस मोहिम को आप जरुर सहयोग करेंगे यह हमें विश्वास है. जिस लेखक के १५ से ज्यादा लेख पब्लिश होंगे उन्हें इस ब्लॉग के लेखकोंकी लिस्ट में शमिल किया जायेगा. यह पुरी तरह से मुफ्त होगा. और जब आपका समावेश इन लेखकोंकी लिस्ट में किया जायेगा तब आप आपके लेखोंके साथ साथ विज्ञापन भी भेज सकते है. इसमें इस बात का ख्याल रखा जाय के आपका लेखन पुरी तरह से आपका हो, और पहले कभी आंतरजाल पर प्रसारित न हुआ हो. आप आपने लेख निचे दिए गए ई-मेल पते पर भेज सकते है. धन्यवाद.
    IndiaWritesClub@gmail.com
  29. आ
    पूडी सब्जी से नेता की काली कमाई तक । जबरदस्त ।
  30. AKASH
    काफी दिनों से इस कोशिश में था कि कभी फुर्सत में बैठकर फुरसतिया जरूर पढूंगा |
    और रही कविताओं की बात तो कवि की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उसे सामने वाले के सर दर्द से कोई लेना-देना नहीं है ,
    अभी ‘वाह-वाह’ सिरिअल में एक सज्जन ने कहा था कि कवि तो मुर्दनी में भी जाए तो भीड़ देखकर वहाँ भी अपनी कविता चिपकाने से न चुके |
    सादर
  31. Amandeep Singh
    Hi,
    We’re interested in advertising on your blog / website. Let me know if you’re interested in discussing further about it.
    Thanks
    Amandeep singh
    aman@accu-ratemedia.com
  32. रजनीश के झा
    प्रभावी लेखन,
    जारी रहें,
    बधाई !!

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