http://web.archive.org/web/20140420082212/http://hindini.com/fursatiya/archives/3442
आटो वाले भाई साहब से मुलाकात जरीब चौकी चौराहे पर हुई। उसके पहले एक जनता टेम्पो में बैठ के घंटाघर से जरीब चौकी तक आये। पानी धुंआधार बरस रहा था। टेम्पो अटक-अटक के उछल-उछल कर चल रहा था। एकाध बार रुकने के बाद चला। लेकिन फ़ाइनली बीच सड़क पर ’थम’ गया। टेम्पो ड्राइवर ने सीएनजी टेम्पो बनाने वाले को मोटी गाली दी। उसका मुलायम अनुवाद आप ये समझिये- ससुर ऐसा सीएनजी बनाइन है कि जब देखो तब बिगड़ जाता है।
थोड़ी दूर भीगी पदयात्रा के बाद आटो वाले भाईसाहब मिल गये। अपने किस्से सुनाने लगे। बताने लगे कि पहले भोपाल में गाड़ी चलाते थे- अपने बहनोई के साथ। वहां एक बार गाड़ी लुटेरों ने उनके बहनोई से गाड़ी छीनने की कोशिश की। चक्कू-गोली के बावजूद बहनोई ने मुकाबला किया और लुटेरे भाग गये। उसके बाद भोपाल से मामला समेटकर घरवापस लौट आये और आटो चलाने लगे।
आटो के किस्से सुनाते हुये भाईसाहब ने बताया कि आटो उन्होंने बैंक और फ़ौजी से पिता से लोन लेकर खरीदा। आटो से आमदनी हो या न हो लेकिन बाप को 500 रुपये रोज देने होते हैं। उसमें कोई कोताही नहीं। सुबह जल्दी निकलते हैं। लंच के लिये घर तभी जाते हैं जब 700 रुपये कमा लेते हैं।
दो बेटियों और एक बेटे के बाप आटो ड्राइवर से उनके बच्चों के बारे में बात हुई। बड़ी बेटी की खूब तारीफ़ करते रहे भाईसाहब। बोले – बहुत अच्छी है पढ़ने में। स्वभाव भी बहुत अच्छा। जी खुश हो जाता है उसको देखकर। छोटी जरा कम हुशियार है पढ़ने में। बेटा अभी छोटा है। पत्नी बीमार थीं। इलाज कराने में लाख रुपया ठुक गया। उसके गहने छुड़ाने हैं जो गिरवी रखे गये थे इलाज के लिये।
पिता के बारे में ऐसे बता रहे थे भाईसाहब जैसे वो उनकी जिन्दगी की फ़िलिम में बाप को विलेन का रोल मिला हो। छोटा भाई कुछ नहीं करता उसको अपने साथ रखते हैं। लेकिन इनसे 500 रुपये रोज के वसूलते हैं। सौ रुपये थाने के भी बंधे हैं।
मसाला खाने के चलते दांत रंगीन हो गये हैं। बताइन कि न खायें तो नींद आ जाती है। सवारी को खतरा हो सकता है। हम सोचा पूछे कि जब मसाला पुड़िया का चलन नहीं हुआ था तब सवारी किसके भरोसे रहतीं होंगी। लेकिन फ़िर पूछे नहीं।
दिन भर मेहनत करने वाला एक आम आदमी पांच किमीमीटर की दूरी में अपने परिवार के बारे में सब कुछ बता देता है बेबाकी से। उसको रोज की चिन्ता सिर्फ़ इतनी है कि दोपहर के पहले 700 रुपये कमा ले ताकि अपने पिता को डेली किस्त का भुगतान कर सके। वह जब कभी करोड़ों-अरबों के घोटालों के किस्से टीवी पर देखता होगा तो क्या सोचता होगा ?
घर पहुंचकर आटो भाड़े के अलावा दस रुपये हमने दिये कि इससे बेटी के लिये चाकलेट खरीद के ले जाना- मसाला मत खा जाना इसका। उसने अलग से तहा के पैसे धरे थे तो। शायद बिटिया के लिये कुछ ले भी गया हो।
Rajesh Priyadarshi :जेपी ने बनारस वाला पान खाके ठुमका नहीं लगाया था, इसमें टीवी की गलती है?
प्रकाश गोविन्द: सम्पूर्ण क्रान्ति के नायक को तो वे लोग भी भूल चुके हैं जो उनके नाम के सहारे सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे !
Dhirendra Pandey आज की पीढ़ी पुराने नायकों को भूल चुकी है खाली दिखावा करने कि लिए कभी कभी उनका नाम ले लेती है
Dipak Chaurasia: kya baat karte hain ji… kahan ek jannaayak aur kahan sadi ka mahaaaaaaaaaaaaaaaanaayak(cool cool tel).. farq to hoga hi.. hai ki nahin!!!
प्रकाश गोविन्द याद रहे … आज महान समाज सेवी नाना जी देशमुख का भी जन्म दिवस है|
लोकनायक जयप्रकाश जी को विनम्र श्रद्धांजलि। सदी के महानायक शतायु हों। बाबू जी की कवितायें पढ़ते हुये लोगों को करोड़पति बनाते रहें।
इस दो हस्तियों के साथ ब्लॉगजगत की दो हस्तियों अगड़म-बगड़म-स्वाहा वाले देवांशु और तमाम शायरों की शायरी दुरस्त करने वाले गुरुजी पंकज सुबीर जी को भी जन्मदिन की शुभकामनायें। दोनों का इकबाल बुलन्द रहे।
मौला अपनी अदालत में मेरे लिये जमानत रखना
By फ़ुरसतिया on October 11, 2012
मौला अपनी अदालत में मेरे लिये जमानत रखना,पिछ्ली बार जब घर गये तो एक ट्रक पर ये शेर लिखा दिखा। आटो से फोटो लेने की कोशिश किये तब तक आटो आगे आ गया। फ़ोटो भाग गया पीछे। सोचा आपको लिख के ही बता दें। हफ़्ते भर बाद भी शेर मोटा-मोटा याद है इसलिये लगा बता दें आपको भी।
मैं रहूं न रहूं मेरे बीबी, बच्चों को सलामत रखना।
आटो वाले भाई साहब से मुलाकात जरीब चौकी चौराहे पर हुई। उसके पहले एक जनता टेम्पो में बैठ के घंटाघर से जरीब चौकी तक आये। पानी धुंआधार बरस रहा था। टेम्पो अटक-अटक के उछल-उछल कर चल रहा था। एकाध बार रुकने के बाद चला। लेकिन फ़ाइनली बीच सड़क पर ’थम’ गया। टेम्पो ड्राइवर ने सीएनजी टेम्पो बनाने वाले को मोटी गाली दी। उसका मुलायम अनुवाद आप ये समझिये- ससुर ऐसा सीएनजी बनाइन है कि जब देखो तब बिगड़ जाता है।
थोड़ी दूर भीगी पदयात्रा के बाद आटो वाले भाईसाहब मिल गये। अपने किस्से सुनाने लगे। बताने लगे कि पहले भोपाल में गाड़ी चलाते थे- अपने बहनोई के साथ। वहां एक बार गाड़ी लुटेरों ने उनके बहनोई से गाड़ी छीनने की कोशिश की। चक्कू-गोली के बावजूद बहनोई ने मुकाबला किया और लुटेरे भाग गये। उसके बाद भोपाल से मामला समेटकर घरवापस लौट आये और आटो चलाने लगे।
आटो के किस्से सुनाते हुये भाईसाहब ने बताया कि आटो उन्होंने बैंक और फ़ौजी से पिता से लोन लेकर खरीदा। आटो से आमदनी हो या न हो लेकिन बाप को 500 रुपये रोज देने होते हैं। उसमें कोई कोताही नहीं। सुबह जल्दी निकलते हैं। लंच के लिये घर तभी जाते हैं जब 700 रुपये कमा लेते हैं।
दो बेटियों और एक बेटे के बाप आटो ड्राइवर से उनके बच्चों के बारे में बात हुई। बड़ी बेटी की खूब तारीफ़ करते रहे भाईसाहब। बोले – बहुत अच्छी है पढ़ने में। स्वभाव भी बहुत अच्छा। जी खुश हो जाता है उसको देखकर। छोटी जरा कम हुशियार है पढ़ने में। बेटा अभी छोटा है। पत्नी बीमार थीं। इलाज कराने में लाख रुपया ठुक गया। उसके गहने छुड़ाने हैं जो गिरवी रखे गये थे इलाज के लिये।
पिता के बारे में ऐसे बता रहे थे भाईसाहब जैसे वो उनकी जिन्दगी की फ़िलिम में बाप को विलेन का रोल मिला हो। छोटा भाई कुछ नहीं करता उसको अपने साथ रखते हैं। लेकिन इनसे 500 रुपये रोज के वसूलते हैं। सौ रुपये थाने के भी बंधे हैं।
मसाला खाने के चलते दांत रंगीन हो गये हैं। बताइन कि न खायें तो नींद आ जाती है। सवारी को खतरा हो सकता है। हम सोचा पूछे कि जब मसाला पुड़िया का चलन नहीं हुआ था तब सवारी किसके भरोसे रहतीं होंगी। लेकिन फ़िर पूछे नहीं।
दिन भर मेहनत करने वाला एक आम आदमी पांच किमीमीटर की दूरी में अपने परिवार के बारे में सब कुछ बता देता है बेबाकी से। उसको रोज की चिन्ता सिर्फ़ इतनी है कि दोपहर के पहले 700 रुपये कमा ले ताकि अपने पिता को डेली किस्त का भुगतान कर सके। वह जब कभी करोड़ों-अरबों के घोटालों के किस्से टीवी पर देखता होगा तो क्या सोचता होगा ?
घर पहुंचकर आटो भाड़े के अलावा दस रुपये हमने दिये कि इससे बेटी के लिये चाकलेट खरीद के ले जाना- मसाला मत खा जाना इसका। उसने अलग से तहा के पैसे धरे थे तो। शायद बिटिया के लिये कुछ ले भी गया हो।
और अंत में
आज सुबह से टीवी अमिताभ जी के किस्से सुनाये बताये चला जा रहा है। आज उनका जन्मदिन है। आज के ही दिन जयप्रकाश नारायण जी का भी जन्मदिन पड़ता है। उनके बारे में चुप है बुद्धु बक्सा। यह अपने फ़ेसबुक स्टेटस पर लिखा उस पर जो टिप्पणियां आईं उनमें से कुछ यहां दे रहा हूं।Rajesh Priyadarshi :जेपी ने बनारस वाला पान खाके ठुमका नहीं लगाया था, इसमें टीवी की गलती है?
प्रकाश गोविन्द: सम्पूर्ण क्रान्ति के नायक को तो वे लोग भी भूल चुके हैं जो उनके नाम के सहारे सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे !
Dhirendra Pandey आज की पीढ़ी पुराने नायकों को भूल चुकी है खाली दिखावा करने कि लिए कभी कभी उनका नाम ले लेती है
Dipak Chaurasia: kya baat karte hain ji… kahan ek jannaayak aur kahan sadi ka mahaaaaaaaaaaaaaaaanaayak(cool cool tel).. farq to hoga hi.. hai ki nahin!!!
प्रकाश गोविन्द याद रहे … आज महान समाज सेवी नाना जी देशमुख का भी जन्म दिवस है|
लोकनायक जयप्रकाश जी को विनम्र श्रद्धांजलि। सदी के महानायक शतायु हों। बाबू जी की कवितायें पढ़ते हुये लोगों को करोड़पति बनाते रहें।
इस दो हस्तियों के साथ ब्लॉगजगत की दो हस्तियों अगड़म-बगड़म-स्वाहा वाले देवांशु और तमाम शायरों की शायरी दुरस्त करने वाले गुरुजी पंकज सुबीर जी को भी जन्मदिन की शुभकामनायें। दोनों का इकबाल बुलन्द रहे।
चलते-चलते
ये रद्दी सा कार्टून बनाने में एक घंटा करीब लगा। पेंट शॉप से बनायें हैं। बताइये कित्ता खराब बना है। नीचे अपना नाम लिख दिये हैं। आप को यूज करना हो तो अपने नाम से कर लें।
Posted in बस यूं ही | 26 Responses
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." एक कोलाज उनके… जो शरीक हैं मेरी ज़िन्दगी में…….."
आपका कार्टून देखकर हमारी भी हिम्मत बंध रही है… कि हमहूँ हाथ आजमा सकते हैं…
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत
हमारा कार्टून किसी को हिम्मत बंधा रहा है इससे एक बार फ़िर चौपट चीजों की महत्ता प्रमाणित होती है।
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..भ्रष्टाचार की संजीवनी तो जरूरी है
कार्टूनिया सिलंडर सरकारी सिकन्दरी विज्ञापन सा लगा
sanjay @ mo sam kaun…..? की हालिया प्रविष्टी..का बरखा जब…..
ऑटो वाले भाई साहब के लिए हमारी शुभकामनाएँ!
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Custom Colors Previews All Around
ऑटो वाले भाई साहब के लिए हमारी शुभकामनाएँ !
जे.पी. और नाना जी देशमुख के साथ ब्लॉगर दोस्तों को भी जन्मदिवस की शुभकामनाएँ !
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Custom Colors Previews All Around
हम आप को रोक रहे हैं कार्टून बनाने से, नतीजा अगली पोस्ट में मिल जाना चाहिये
पोस्ट चकाचक है. कार्टून तो नहीं, कुछ एब्सट्रैक्ट मोटिफ्स बनाये थे ‘एमएसपेन्ट’ के जरिये, कुछ का इस्तेमाल अपने ब्लॉग सफ़ेद घर पर भी यदा-कदा किये हैं….कार्टून विधी बड़ी कठिन लगती है अपने को तो
सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..देशज "बइठऊकी"
इस बात की खोज होनी चाहिए के, गुटखा-पानमसाला के आने से पहले , सवारी किस-के भरोसे
चलती रही……………..
नानाजी देश-मुख च लोक-नायक को विनम्र श्रधांजलि, सदी के महानायक सतायु हों, ग़ज़ल-गुरु को
सुबीरजी को सुभकामनाएँ और बालक देवांशु को ढेर सारा प्यार……
आपने उदै-मान कार्टूनिस्ट बनने से हमें परहेज नहीं ….. साथ ही शेरो-शाइरी में भी हाथ आजमाने से
गुरेज नहीं…………….
प्रणाम.
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..शाम है धुआँ धुआँ
हमें तो लगता है की सातवें सिलेंडर के दिमाग तो सातवें आसमान में होंगे, बहुत भाव खाता होगा
थोड़े दिन में ये स्टेटस सिम्बल होगा , कोई मेहमान घर पर आएगा तो लोग बोलेंगे “भाई साहब , ६ सिलिंडर तो ऐसे ही ख़तम हो जाते हैं , ये नौवां चल रहा है , अब भाई कोई हम कंजूस तो हैं नहीं कि बचा बचा के खर्च करें, दिल खोल कर करते हैं |”
सिलेंडर बांटने वाले भी फ़िराक में रहते होंगे कि कोई तो सातवाँ सिलेंडर कब लेकर जायेगा | अरे माहौल बदल के रख दिया है सातवें सिलेंडर ने !!!!
लगता है दुबे जी ने आपको तगड़ी टिप्स दी हैं
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..काश!!! कुछ छोड़ पाना आसान होता…
कौनो इलेक्शन तो नहीं लड़ना है?
PN Subramanian की हालिया प्रविष्टी..वैपिन द्वीप में पल्लिपुरम का किला
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..गंगा किनारे चेल्हा के लिये मशक्कत
धन्यवाद!
बहुत बढ़िया पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा ,कार्टून भी बढ़िया है ,सिलिंडर के बाबत हम भी बहुत दुखी हैं
“हम सोचा पूछे कि जब मसाला पुड़िया का चलन नहीं हुआ था तब सवारी किसके भरोसे रहतीं होंगी। लेकिन फ़िर पूछे नहीं। ” ही ही ही ,अच्छा किया नहीं पुछा
बहुत बढ़िया पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा ,कार्टून भी बढ़िया है ,सिलिंडर के बाबत हम भी बहुत दुखी हैं