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वे तो बराबर हो गये
By फ़ुरसतिया on October 13, 2012
दो दिन पहले फ़ैक्ट्री पहुंचे तो मेन गेट के पास ही एक महिला ने पूछा- जी.एम.साहेब कहां मिलेंगे?
हमने बताया ऊपर बैठते हैं। क्या काम है उनसे?
वो बोली- लड़के ने दरबान का ’टेस्ट’ दिया है। उसमें हो जाये तो अच्छा है।
हमने बताया- उसमें ’जी.एम’ कुछ नहीं कर सकते। इम्तहान हो गया। अगर पास हो गया होता तो अपने आप हो जायेगा। टेस्ट कैसा हुआ था?
वो बोली- ठीक हुआ। हार्ड था पर्चा।
बातचीत से पता लगा कि उसके पति प्राइवेट काम करते हैं।
हमने कहा-कहां हैं वो?
वो बोली- वो तो ’बराबर’ हो गये।
हमें बराबर हो जाने का मतलब नहीं समझ में आया। पूछा -क्या वो गुजर गये।
उसने बताया – नहीं वो दूसरी औरत के साथ भाग गये। लापता हैं।
आगे बातचीत से पता चला कि उसके पति के किसी दूसरी महिला से भी संबंध थे। उसको यह पता था लेकिन वो यह बर्दास्त करती थी यह सोच कर कि आखिर पति तो अपना ही है। लेकिन रिटायर होने के बाद वो उसके साथ ही चला गया। अपने भागे हुये पति के बारे में वो जैसे बता रही थी उसमें गुस्सा नहीं था। सिर्फ़ एक सूचना की तरह। शायद काफ़ी पहले की बात रही होगी जब उसको यह पता चला होगा।
उस महिला से यह बातचीत खड़े-खड़े पांच मिनट में हुई। उसके बाद मैं उसको यह समझाकर चला आया कि इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता। अगर वह टेस्ट में पास हुआ होगा तो हो जायेगा। वर्ना किसी के चक्कर में न पड़े।
आज देखा तो वही महिला फ़िर किसी और से मिलने के इंतजार में गेट के बाहर खड़ी थी। उसका बच्चा भी साथ में था। खूबसूरत प्यारा सा बच्चा। देखकर लगा कि देश के आम युवा छोटी-छोटी नौकरियों के लिये मारे-मारे घूम रहे हैं। किसी रसूख वाले के यहां होते तो लाखों पीटते किसी न किसी धन्धे में। हमने उसको फ़िर समझाया कि किसी चक्कर में न पड़े। अगर टेस्ट में पास हो गया तो एकाध दिन में पता चला जायेगा। लेकिन वह समझती है कि कोई उसका काम करा देगा। मैं दफ़्तर आ गया लेकिन मुझे लगता है कि वह अभी तक घर नहीं गयी होगी। किसी और से कोशिश कर रही होगी यह सोचते हुये कि शायद काम बन जाये।
ऐसे ही लोगों से बिचौलिये पैसा कमाते हैं कि काम करा देंगे। काम न होने पर पैसा वापस। दस लोगों से पैसा ले लिया। जिसका अपने आप हो गया उसका दबा लिया। बाकी का वापस कर दिया। ईमानदार दलाल।
उससे मिलने के बाद उसका एकदम सहज रूप से कहा याद आता रहा-बराबर हो गये। आज नोबल पुरस्कार विजेता मो.यान. का बयान-“आपदाओं से सामना होने पर स्त्रियां सदैव पुरुषों से बहादुर साबित होती हैं” पढ़ा वह बात फ़िर याद आ गयी- वे तो बराबर हो गये।
नौकरी की बात से याद आया कि अभी उत्तर प्रदेश में एक मंत्रीजी इस बात पर अपने अधिकारी से खफ़ा हो गये कि उसने उनके सब आदमियों का चयन नहीं किया। बेचारे अधिकारी ने हाजतखाने पहुंचकर फोन पर त्राहिमाम किया तब जान बची। मंत्रीजी ने बयान जारी किया कि अधिकारी गड़बड़ कर रहा था इसलिये उसको पकड़ा उन्होंने। बाद में मंत्रीने इस्तीफ़ा भी दे दिया -शायद क्षुब्ध होकर कि क्या फ़ायदा ऐसे मंत्रीपने का जिसमें अपने आदमियों की नौकरी तक न लगवा सकें।
आज के हाईटेक जमाने में अपने इलाके के मंत्रियों द्वारा घपलों-घोटालों की पिछड़ी तकनीकें अपनाने हुये देखकर बड़ा दुख होता है। अरे कुछ तो प्रगतिशील होइये सिरीमाणनजी। क्या वही हत्या, अपहरण,फ़िरौती, घूस वाले तरीके अपनाते हैं देश के विकास में।
इस बात की चर्चा करते हुये एक मित्र ने बताया कि उसकी पत्नी को कुछ लोगों के चयन करने थे। उसमें स्थानीय नेताजी ने अपनी लिस्ट भेजी कि इनके चयन किये जायें। सब नहीं हो पाये होंगे तो उसने धमकी भिजवायी- इलाके में रहना मुहाल हो जायेगा। सूचना मिलने पर बड़े नेताजी से बात की गयी। उन्होंने स्थानीय नेताजी को समझाया- अरे वो अपनी भतीजी है। छोड़ दिया जाये।
नेताजी के कहने पर बात बराबर हुई।
कल ही एक खबर और देखी। गांधी जी के गृहप्रदेश ने टोल टैक्स मांगे जाने पर बंदूक तान दी। चालीस रुपये बचाने के लिये अगला सौ रुपये की गोली चलाने के लिये तैयार था। इससे एक बार फ़िर लगा कि जनप्रतिनिधि फ़िजूलखर्ची की भावना से बच नहीं पाते।
आज पता कि उन जनप्रतिनिधि पर किसी धारा के अंतर्गत केस दर्ज हो गया।
केस दर्ज हो गया मतलब मामला बराबर हो गया।
हमने बताया ऊपर बैठते हैं। क्या काम है उनसे?
वो बोली- लड़के ने दरबान का ’टेस्ट’ दिया है। उसमें हो जाये तो अच्छा है।
हमने बताया- उसमें ’जी.एम’ कुछ नहीं कर सकते। इम्तहान हो गया। अगर पास हो गया होता तो अपने आप हो जायेगा। टेस्ट कैसा हुआ था?
वो बोली- ठीक हुआ। हार्ड था पर्चा।
बातचीत से पता लगा कि उसके पति प्राइवेट काम करते हैं।
हमने कहा-कहां हैं वो?
वो बोली- वो तो ’बराबर’ हो गये।
हमें बराबर हो जाने का मतलब नहीं समझ में आया। पूछा -क्या वो गुजर गये।
उसने बताया – नहीं वो दूसरी औरत के साथ भाग गये। लापता हैं।
आगे बातचीत से पता चला कि उसके पति के किसी दूसरी महिला से भी संबंध थे। उसको यह पता था लेकिन वो यह बर्दास्त करती थी यह सोच कर कि आखिर पति तो अपना ही है। लेकिन रिटायर होने के बाद वो उसके साथ ही चला गया। अपने भागे हुये पति के बारे में वो जैसे बता रही थी उसमें गुस्सा नहीं था। सिर्फ़ एक सूचना की तरह। शायद काफ़ी पहले की बात रही होगी जब उसको यह पता चला होगा।
उस महिला से यह बातचीत खड़े-खड़े पांच मिनट में हुई। उसके बाद मैं उसको यह समझाकर चला आया कि इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता। अगर वह टेस्ट में पास हुआ होगा तो हो जायेगा। वर्ना किसी के चक्कर में न पड़े।
आज देखा तो वही महिला फ़िर किसी और से मिलने के इंतजार में गेट के बाहर खड़ी थी। उसका बच्चा भी साथ में था। खूबसूरत प्यारा सा बच्चा। देखकर लगा कि देश के आम युवा छोटी-छोटी नौकरियों के लिये मारे-मारे घूम रहे हैं। किसी रसूख वाले के यहां होते तो लाखों पीटते किसी न किसी धन्धे में। हमने उसको फ़िर समझाया कि किसी चक्कर में न पड़े। अगर टेस्ट में पास हो गया तो एकाध दिन में पता चला जायेगा। लेकिन वह समझती है कि कोई उसका काम करा देगा। मैं दफ़्तर आ गया लेकिन मुझे लगता है कि वह अभी तक घर नहीं गयी होगी। किसी और से कोशिश कर रही होगी यह सोचते हुये कि शायद काम बन जाये।
ऐसे ही लोगों से बिचौलिये पैसा कमाते हैं कि काम करा देंगे। काम न होने पर पैसा वापस। दस लोगों से पैसा ले लिया। जिसका अपने आप हो गया उसका दबा लिया। बाकी का वापस कर दिया। ईमानदार दलाल।
उससे मिलने के बाद उसका एकदम सहज रूप से कहा याद आता रहा-बराबर हो गये। आज नोबल पुरस्कार विजेता मो.यान. का बयान-“आपदाओं से सामना होने पर स्त्रियां सदैव पुरुषों से बहादुर साबित होती हैं” पढ़ा वह बात फ़िर याद आ गयी- वे तो बराबर हो गये।
नौकरी की बात से याद आया कि अभी उत्तर प्रदेश में एक मंत्रीजी इस बात पर अपने अधिकारी से खफ़ा हो गये कि उसने उनके सब आदमियों का चयन नहीं किया। बेचारे अधिकारी ने हाजतखाने पहुंचकर फोन पर त्राहिमाम किया तब जान बची। मंत्रीजी ने बयान जारी किया कि अधिकारी गड़बड़ कर रहा था इसलिये उसको पकड़ा उन्होंने। बाद में मंत्रीने इस्तीफ़ा भी दे दिया -शायद क्षुब्ध होकर कि क्या फ़ायदा ऐसे मंत्रीपने का जिसमें अपने आदमियों की नौकरी तक न लगवा सकें।
आज के हाईटेक जमाने में अपने इलाके के मंत्रियों द्वारा घपलों-घोटालों की पिछड़ी तकनीकें अपनाने हुये देखकर बड़ा दुख होता है। अरे कुछ तो प्रगतिशील होइये सिरीमाणनजी। क्या वही हत्या, अपहरण,फ़िरौती, घूस वाले तरीके अपनाते हैं देश के विकास में।
इस बात की चर्चा करते हुये एक मित्र ने बताया कि उसकी पत्नी को कुछ लोगों के चयन करने थे। उसमें स्थानीय नेताजी ने अपनी लिस्ट भेजी कि इनके चयन किये जायें। सब नहीं हो पाये होंगे तो उसने धमकी भिजवायी- इलाके में रहना मुहाल हो जायेगा। सूचना मिलने पर बड़े नेताजी से बात की गयी। उन्होंने स्थानीय नेताजी को समझाया- अरे वो अपनी भतीजी है। छोड़ दिया जाये।
नेताजी के कहने पर बात बराबर हुई।
कल ही एक खबर और देखी। गांधी जी के गृहप्रदेश ने टोल टैक्स मांगे जाने पर बंदूक तान दी। चालीस रुपये बचाने के लिये अगला सौ रुपये की गोली चलाने के लिये तैयार था। इससे एक बार फ़िर लगा कि जनप्रतिनिधि फ़िजूलखर्ची की भावना से बच नहीं पाते।
आज पता कि उन जनप्रतिनिधि पर किसी धारा के अंतर्गत केस दर्ज हो गया।
केस दर्ज हो गया मतलब मामला बराबर हो गया।
Posted in बस यूं ही | 30 Responses
देखकर लगा कि देश के आम युवा छोटी-छोटी नौकरियों के लिये मारे-मारे घूम रहे हैं। किसी रसूख वाले के यहां होते तो लाखों पीटते किसी न किसी धन्धे में। ये हमारे बीच का बहुत कड़वा सच है |
बहुत अच्छा लगा आलेख |
सादर
आकाश
Indian Citizen की हालिया प्रविष्टी..आटा मंहगो हो रह्यो, फेरी खायगो कब..
PN Subramanian की हालिया प्रविष्टी..वैपिन द्वीप में पल्लिपुरम का किला
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..पुस्तकें बुलाती हैं
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..तू हाँ कर या ना कर?
महिला ने उत्तर दिया…”काम की बात एको नहीं कीन, खाली-पीली बरबरा रहे थे!” का उही साहब रहे? हाय दैय्या!!”
देवांशु की हालिया प्रविष्टी..हैप्पी बड्डे टू मी !!!!
sanjay @ mo sam kaun…..? की हालिया प्रविष्टी..का बरखा जब…..
हमारे हॉस्टल में एक कपडा धोने वाली दीदी थीं. उनके पति बहुत मारते-पीटते थे, लेकिन घर का किराया दे देते थे, इसलिए वो मार खाकर भी साथ रह रही थीं. जब पैसा देना एकदम बंद कर दिए, तो दीदी ने सहना भी बंद कर दिया और उनको ‘छोड़’ दिया. चार बच्चों की परवरिश अकेले करनी शुरू कर दी. ना तलाक का झंझट ना गुजारे-भत्ते का. लेती भी कैसे ? उनसे तो ज्यादा तो वही कमाती थीं. अब खुश हैं कि एक हज़ार रूपये के बदले मार नहीं खानी पड़ती.
मध्यमवर्गीय औरतें ज़िंदगी भर मार खाती रहती हैं.
aradhana की हालिया प्रविष्टी..New Themes: Babylog and Delicacy
सही बात है।
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." चूहे दानी ……"
विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..कम उम्र में मानसिक तनाव के कारण बड़ रहीं शारीरिक समस्याएँ
आप ही कौन छोड़ दिए हैं ?
का मंत्री, का संतरी, सबको बराबर कर दिए।
हाँ नहीं तो !
ada की हालिया प्रविष्टी..मेरे कदम…
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..गंगा किनारे चेल्हा के लिये मशक्कत
Smart Indian – अनुराग शर्मा की हालिया प्रविष्टी..भारत बोध – कविता
सौ बातों की एक बात…
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत
समीर लाल की हालिया प्रविष्टी..पुरुषवादी आम और उपेक्षिता नारी