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किसी की आंख का नूर, आफ़ताब रहा होगा।
फ़िरकापरस्ती में बहककर हत्यारा बन गया,
सैकड़ों को मारा अनगिन मांग सूनी कर गया।
किसी की आंख का नूर, आफ़ताब रहा होगा।
फ़िरकापरस्ती में बहककर हत्यारा बन गया,
सैकड़ों को मारा अनगिन मांग सूनी कर गया।
वो तो सिर्फ़ प्यादा था सियासत की बिसात का,
असल सरगना तो कहीं ऐश कर रहा होगा।
-कट्टा कानपुरी
असल सरगना तो कहीं ऐश कर रहा होगा।
-कट्टा कानपुरी
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