http://web.archive.org/web/20140419155301/http://hindini.com/fursatiya/archives/4111
निकल पड़े घर से मर्दाने
अब ये सब दफ़्तर जायेंगे।
हंसी-ठहाका सब करेंगे मर्दे
काम इधर-उधर सरकायेंगे।
अपन का पूरा-पक्का है सब,
रामलाल का पिछड़ा है जी।
रामलाल का कहना है कि,
बाकी का कूड़ा-कचरा है।
रोयेंगे सब सुविधाओं को
अपने को बेचारा बतलायेंगे।
कोसेंगे से उस नौकरिया को,
जिसे वे कभी न छोड़ पायेंगे।
बास मिला है बौढ़म सनकी पूरा,
नीचे वालों की तो बस मत पूछो।
हमी लगे हैं तो ये हो पाया,
वर्ना तो सब कुल चौपट होता।
यही कहानी हर दफ़्तर की,
यही हाल दुनिया संसार का।
चलों चलें यार अब दफ़्तर को,
काम समेटे जो सब पसरा है।
-कट्टा कानपुरी
प्रणाम.
सर्विसिंग करा लो …??
चला कही रहे हो, जा कहीं रही है !
बैरल में जंग लगी
हैमर कमज़ोर है !
ट्रिगर गार्ड टूट गया
कारतूस गीले हैं !
पेटी में बंद रखो, बोर क्यों करते हो ?
कानपुरी कट्टे में, ग्रीज़ की ज़रुरत है !
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प्रणाम.
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