फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Tuesday, July 01, 2014
बैलगाड़ी पर पानी
Kajal Kumar
ड्रमों की नगरी
1 जुलाई पर 01:03 अपराह्न
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नापसंद
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1
Naveen Tripathi
शुक्र है बैल जिन्दा हैं इस गाडी की वजह से । नहीं तो बछड़ों को लोग उसकी माँ का ढूध भी नहीं पीने देते हैं अगर कोई बच भी गया तो कुछ दिन बाद बूचड खाने ।
1 जुलाई पर 02:44 अपराह्न
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नापसंद
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1
Krishn Adhar
एक दिन जल्दी आ सकता है कि वैल के फासिलाइज्ड प्रारूप अजायव घर में मिलें गें ।
1 जुलाई पर 03:20 अपराह्न
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नापसंद
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1
Rk Nigam
ड्रमों की नगरी ? ... जी नहीं ... ग़मों की नगरी
पानी की कमी ! क्या करे आदमी ।
1 जुलाई पर 10:35 अपराह्न
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