सुबह हुई न दिये दिखाई,
किधर गये ओ #सूरज भाई।
धरती को बादल ने धोया,
फ़सलें भींग गई मुरझाईं।
किधर गये ओ #सूरज भाई।
धरती को बादल ने धोया,
फ़सलें भींग गई मुरझाईं।
किरणें किधर खेलती भैया,
कहीं इधर नजर न आईं।
राजनीति में गदर कटा है,
ये कित्ती और गिरेगी भाई।
जनता हक्की-बक्की तकती,
लगती है वो बेचारी बौराई।
ये किरणें आई खिलखिल करती,
मन करता है बस करें पिटाई।
चाय ले आओ फ़ौरन दो ठो,
देखो आये हैं #सूरज भाई।
-कट्टा कानपुरी
कहीं इधर नजर न आईं।
राजनीति में गदर कटा है,
ये कित्ती और गिरेगी भाई।
जनता हक्की-बक्की तकती,
लगती है वो बेचारी बौराई।
ये किरणें आई खिलखिल करती,
मन करता है बस करें पिटाई।
चाय ले आओ फ़ौरन दो ठो,
देखो आये हैं #सूरज भाई।
-कट्टा कानपुरी
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