जितना झटका हमारे दोस्तों को लगा हमारे हायकू टेस्टिंग से उससे कुछ ज्यादा ही झटका लगा हमें। उसी झटके में कुछ हायकू और बरामद हुये। आगे कुछ लिखूं तब तक इनका मुजाहिरा कर लिया जाये। यह स्प्रिंगबोर्ड भी है लोगों के लिये- देखें कितना उछल पाते हैं!
सर्द मौसम
कविता भी सिकुड़ी
हायकू बनी।
अंधेरा छाया
कोहरे की चादर
सबने ओढ़ी।
सूर्य ने छेड़ा
हंसी,खिलखिलाई
ओस की बूंद।
पीली सरसों
मस्त लहलहाती
धूप सेंकती।
बर्फ पथ से
सूर्य रथ गुजरा
चमचमाता।
कहो कैसे हो?
चाय ने ठिठुरते
होंठ से पूछा।
धन्य सा हुआ
तुमको पाकर ही
होंठ फड़का।
गद्दे का मन
रजाई जानती है
नर्म गर्म वे।
ईद के चांद
स्वेटर मेरे प्यारे
पास आओ न!
शर्ट खिली सी
कोट से चिपक के
इतराती है।
चंचल जल
ठंडी हवा ने छुआ
जमा बेचारा।
ठंडी हवा ने
तहलका मचाया
जमा है पारा।
स्वर्ग वहीं है
ठंडी के मौसम में
जहां गर्मी है।
अंगीठी जला
डाल कुछ लकड़ी
भून लें आलू।
आओ सर्दी जी
सबको ठिठुराओ
धूप से भिड़ो।
धूप जी देखो
ये ज्यादा न सतायें
रक्षा करना।
गुनगुनी सी
धूप छू खिल उठे
आपका मन।
सर्द मौसम
कविता भी सिकुड़ी
हायकू बनी।
अंधेरा छाया
कोहरे की चादर
सबने ओढ़ी।
सूर्य ने छेड़ा
हंसी,खिलखिलाई
ओस की बूंद।
पीली सरसों
मस्त लहलहाती
धूप सेंकती।
बर्फ पथ से
सूर्य रथ गुजरा
चमचमाता।
कहो कैसे हो?
चाय ने ठिठुरते
होंठ से पूछा।
धन्य सा हुआ
तुमको पाकर ही
होंठ फड़का।
गद्दे का मन
रजाई जानती है
नर्म गर्म वे।
ईद के चांद
स्वेटर मेरे प्यारे
पास आओ न!
शर्ट खिली सी
कोट से चिपक के
इतराती है।
चंचल जल
ठंडी हवा ने छुआ
जमा बेचारा।
ठंडी हवा ने
तहलका मचाया
जमा है पारा।
स्वर्ग वहीं है
ठंडी के मौसम में
जहां गर्मी है।
अंगीठी जला
डाल कुछ लकड़ी
भून लें आलू।
आओ सर्दी जी
सबको ठिठुराओ
धूप से भिड़ो।
धूप जी देखो
ये ज्यादा न सतायें
रक्षा करना।
गुनगुनी सी
धूप छू खिल उठे
आपका मन।
आज 17/मार्च/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
लाजवाब हाइकू ... काश ऐसे झटके लगते रहें और सभी को लगें ....
ReplyDeleteशर्ट का कोट से,रजाई का गद्दे से और चाय का होठोंसे रिश्ता खूब पहचाना आपने। बेहद खूब!
ReplyDeleteशर्ट का कोट से,रजाई का गद्दे से और चाय का होठोंसे रिश्ता खूब पहचाना आपने। बेहद खूब!
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