Wednesday, April 29, 2015

हमारे उधर ऐसा ही होता है

लैला की उँगलियाँ ले लो,
मजनूं की पसलियां ले लो।

यही कहकर लखनऊ में ककडियां बेचने का जिक्र है किसी कहानी में। लेकिन पुलिया पर ककड़ी बेचने वाले सरयू बिना किसी हल्ले गुल्ले के ककड़ी बेचते दिखे। 20 रूपये किलो। ग्राहक नहीं दिखे तो बोले सरयू कि बिक जायेगी। ककड़ी बेचने का आज पहला दिन था। इसके पहले मूंगफली बेंचते थे। उसके पहले भुट्टा भी बेंचा।
...
दो बच्चों के पिता सरयू रीवा के रहने वाले हैं। उम्र 30 साल है अभी। 15 साल से ठेला लगा रहे हैं। बताया कि जब 2 साल के थे तब शादी हो गयी थी। हमने कहा ऐसे कैसे? बोले-'हमारे उधर ऐसा ही होता है।'

ताज्जुब यह सुनकर लगा कि पत्नी अभी भी बच्चों के साथ मायके में है और पढ़ रही है। हाईस्कूल में है। खुद सरयू आठ पास हैं। हमने पूछा- इत्ते दिन तक हाई स्कूल में कैसे? तो बोले-फ़ैल हो गयी होगी।
देर हो रही थी दफ्तर की सो सरयू को उनके ठेले पर छोड़कर फैक्ट्री चले गए।

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