आज
बच्चियां मेस में झूले झूल रहीं थी। हम निकले तो हमसे पूछने लगीं -अंकल,
झूला झूल ले? हमने कहा-झूल तो तुम पहले से रहे हो। अब क्या पूंछना? कोई मना
करता है क्या? इस पर वे हंसने लगीं। बताया कि एक दिन एक अंकल मना कर रहे
थे।
हमने उनकी झूला झूलते हुए फोटो लीं। 3 में से 2 डिलीट करवा दी बच्चों ने। जो फाइनल की उसे लगा रहे। पहले जो लिखा उनके बारे में वह भी दिखाया/पढ़ाया।
बच्चों ने क्रम वार अपनी क्लास बताई। 5,6,7,8,9,10 मतलब हर क्लास से एक। बच्चा सबसे छोटा था कक्षा 5 में। एक बच्ची ने मेस के कमरों को देखकर पूछा-अंकल क्या यहां स्कूल खुलेगा? हमने कहा-नहीं, यहां हम लोग रहते हैं।
पुलिया पर कुछ लोग बैठे थे। निकले तो बतियाने लगे। इनमें से एक ओझा जी पुलिस से रिटायर्ड हैं। बताये कि उनको 2001 में उनकी रिटायर होने की उम्र के 9 साल पहले रिटायर कर दिया गया था। फिर बाद में केस लड़े और पूरा 9 साल का पैसा प्रमोशन सहित मिला। 9 लाख। उससे वो अपनी एकलौती बेटी की शादी कर दिये। बोले-अच्छा ही हुआ जो हुआ वरना हम बेटी के लिए दहेज कहां से जोड़ पाते। बलिया जिला के हैं ओझा जी तो बात का खात्मा 'बलिया जिला घर बा त कउन बात के डर बा 'के शाश्वत सम्वाद से हुआ।
फिर से परसाई जी का डायलॉग याद आया-'हमारे देश की आधी ताकत लड़कियों की शादी में जा रही है।' ओझा जी को जो पैसा मिला वह दूल्हा खरीदने में खर्च हो गया।
बात करते हुए सामने से मिश्र जी मास्टर साहब आते दिखे। बात करते हुए बताया कि वे आज आएंगे शाम मुझसे मिलने। कविताएँ सुनाएंगे। इस बीच रोहिनी भी आ गयीं गेट नम्बर 1 से वाक करके। मिश्र जी से नमस्ते की तो बोले-इस बिटिया की तस्वीर हमारे कम्प्यूटर में फिट है। बहुत तेज टहलती है। रोहिनी का कल नेट का इम्तहान है। भोपाल में। इटारसी में ट्रैफिक सिग्नल कण्ट्रोल रूम जल जाने से तमाम गाड़ियां निरस्त हैं। इम्तहान के लिए जाएँ कि न जाएँ यह दुविधा है। अगर गयी तो परीक्षा के लिए रोहनी को शुभकामनायें।
व्हीकल मोड़ तक गए आज। पंकज की चाय की दुकान पर चाय पी। एक लड़का अपने दोस्तों से बतिया रहा था। कह रहा था- 'साले,तुम लोग जब चाय पीते हो तो हमारे दिल पर कैसी गुजरती है तुम नहीं जानते। हम डायबिटीज के चलते चाय पी नहीं पाते। तुम मजे करते हो।'
अख़बार में एक खबर के अनुसार एक आदिवासी ने अपनी पत्नी, बेटी और एक बेटे के साथ सिचाई विभाग के डैम में कूदकर जान दे दी। परिवार का कोई सदस्य भाग न सके इसलिए उसने सभी को अपने साथ रस्सी से बाँध लिया था। हालांकि बड़ा बेटा खुद को किसी तरह बचाकर भाग निकला।
पता चला कि अधेड़ ने यह आत्मघाती कदम अविवाहित बेटी के गर्भवती होने और प्रेमी द्वारा शादी से इनकार करने पर उठाया। लड़की के गर्भवती होने की बात पता चलने पर दोनों के परिजनों ने उनकी शादी कराने की तैयारी की लेकिन लड़के ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उसके लड़की के साथ कोई सम्बन्ध नहीं हैं। इसके बाद यह आत्मघात हुआ।
कायर प्रेमियों की कड़ी में एक नाम और जुड़ा। समाज की मान्यताओं के चलते 4 जिंदगियां हलाक हुईं।
काश कोई समझा पाता उस पिता को कि जिंदगी से अमूल्य कोई चीज नहीं होती। लेकिन कौन समझाता? चरित्र के मामले में हमारा तो पूरा का पूरा समाज स्त्री विरोधी है। मर्यादा पुरुषोत्तम तक ने पत्नी को त्याग दिया। 'कूद पड़ी जहां हजारों पद्मिनियां अंगारों पर' गाते हुए हम सती प्रथा को महिमामण्डित करते हैं। कभी-कभी लगता है कि अगर ये पद्मिनियां आग में कूद कर मरने की बजाय साथ में लड़ी होतीं तो शायद अपना इतिहास कुछ और होता।
जीवन से अमूल्य और कुछ नहीं होता।
एक तरफ बिहार पूरे देश में नकल के चलते बदनाम है। दूसरी तरफ बिहार के ही आनन्द हैं जिनके ग्रुप सुपर 30 के बच्चे हर साल आईआईटी में सेलेक्ट होते हैं। सुपर 30 की ही तरह बिहार के मधुबनी के नवीन मिश्र जो कि दिल्ली आईआईटी से साफ्टवेयर इंजीनियर हैं ने नौकरी छोड़कर रेवाड़ी में 'विकल्प' संस्था में बच्चों की पढ़ाना शुरू किया। 2014 में 45 में 1 बच्चा सेलेक्ट हुआ। लेकिन नवीन ने हौसला नहीं छोड़ा और नौकरी छोड़कर पूरी तरह समर्पित हुए और इस बार 18 में से 15 बच्चे आईआईटी जेईई एडवांस में सफल हुए। नवीन के हौसले को सलाम।
काश कोई 'सुपर 30' कोई 'विकल्प' जैसी संस्था सामजिक जीवन में लिए भी लोगों को तैयार करती।
आठ बजने वाले हैं। आप मजे कीजिये। हम चलते हैं दफ्तर।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
हमने उनकी झूला झूलते हुए फोटो लीं। 3 में से 2 डिलीट करवा दी बच्चों ने। जो फाइनल की उसे लगा रहे। पहले जो लिखा उनके बारे में वह भी दिखाया/पढ़ाया।
बच्चों ने क्रम वार अपनी क्लास बताई। 5,6,7,8,9,10 मतलब हर क्लास से एक। बच्चा सबसे छोटा था कक्षा 5 में। एक बच्ची ने मेस के कमरों को देखकर पूछा-अंकल क्या यहां स्कूल खुलेगा? हमने कहा-नहीं, यहां हम लोग रहते हैं।
पुलिया पर कुछ लोग बैठे थे। निकले तो बतियाने लगे। इनमें से एक ओझा जी पुलिस से रिटायर्ड हैं। बताये कि उनको 2001 में उनकी रिटायर होने की उम्र के 9 साल पहले रिटायर कर दिया गया था। फिर बाद में केस लड़े और पूरा 9 साल का पैसा प्रमोशन सहित मिला। 9 लाख। उससे वो अपनी एकलौती बेटी की शादी कर दिये। बोले-अच्छा ही हुआ जो हुआ वरना हम बेटी के लिए दहेज कहां से जोड़ पाते। बलिया जिला के हैं ओझा जी तो बात का खात्मा 'बलिया जिला घर बा त कउन बात के डर बा 'के शाश्वत सम्वाद से हुआ।
फिर से परसाई जी का डायलॉग याद आया-'हमारे देश की आधी ताकत लड़कियों की शादी में जा रही है।' ओझा जी को जो पैसा मिला वह दूल्हा खरीदने में खर्च हो गया।
बात करते हुए सामने से मिश्र जी मास्टर साहब आते दिखे। बात करते हुए बताया कि वे आज आएंगे शाम मुझसे मिलने। कविताएँ सुनाएंगे। इस बीच रोहिनी भी आ गयीं गेट नम्बर 1 से वाक करके। मिश्र जी से नमस्ते की तो बोले-इस बिटिया की तस्वीर हमारे कम्प्यूटर में फिट है। बहुत तेज टहलती है। रोहिनी का कल नेट का इम्तहान है। भोपाल में। इटारसी में ट्रैफिक सिग्नल कण्ट्रोल रूम जल जाने से तमाम गाड़ियां निरस्त हैं। इम्तहान के लिए जाएँ कि न जाएँ यह दुविधा है। अगर गयी तो परीक्षा के लिए रोहनी को शुभकामनायें।
व्हीकल मोड़ तक गए आज। पंकज की चाय की दुकान पर चाय पी। एक लड़का अपने दोस्तों से बतिया रहा था। कह रहा था- 'साले,तुम लोग जब चाय पीते हो तो हमारे दिल पर कैसी गुजरती है तुम नहीं जानते। हम डायबिटीज के चलते चाय पी नहीं पाते। तुम मजे करते हो।'
अख़बार में एक खबर के अनुसार एक आदिवासी ने अपनी पत्नी, बेटी और एक बेटे के साथ सिचाई विभाग के डैम में कूदकर जान दे दी। परिवार का कोई सदस्य भाग न सके इसलिए उसने सभी को अपने साथ रस्सी से बाँध लिया था। हालांकि बड़ा बेटा खुद को किसी तरह बचाकर भाग निकला।
पता चला कि अधेड़ ने यह आत्मघाती कदम अविवाहित बेटी के गर्भवती होने और प्रेमी द्वारा शादी से इनकार करने पर उठाया। लड़की के गर्भवती होने की बात पता चलने पर दोनों के परिजनों ने उनकी शादी कराने की तैयारी की लेकिन लड़के ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उसके लड़की के साथ कोई सम्बन्ध नहीं हैं। इसके बाद यह आत्मघात हुआ।
कायर प्रेमियों की कड़ी में एक नाम और जुड़ा। समाज की मान्यताओं के चलते 4 जिंदगियां हलाक हुईं।
काश कोई समझा पाता उस पिता को कि जिंदगी से अमूल्य कोई चीज नहीं होती। लेकिन कौन समझाता? चरित्र के मामले में हमारा तो पूरा का पूरा समाज स्त्री विरोधी है। मर्यादा पुरुषोत्तम तक ने पत्नी को त्याग दिया। 'कूद पड़ी जहां हजारों पद्मिनियां अंगारों पर' गाते हुए हम सती प्रथा को महिमामण्डित करते हैं। कभी-कभी लगता है कि अगर ये पद्मिनियां आग में कूद कर मरने की बजाय साथ में लड़ी होतीं तो शायद अपना इतिहास कुछ और होता।
जीवन से अमूल्य और कुछ नहीं होता।
एक तरफ बिहार पूरे देश में नकल के चलते बदनाम है। दूसरी तरफ बिहार के ही आनन्द हैं जिनके ग्रुप सुपर 30 के बच्चे हर साल आईआईटी में सेलेक्ट होते हैं। सुपर 30 की ही तरह बिहार के मधुबनी के नवीन मिश्र जो कि दिल्ली आईआईटी से साफ्टवेयर इंजीनियर हैं ने नौकरी छोड़कर रेवाड़ी में 'विकल्प' संस्था में बच्चों की पढ़ाना शुरू किया। 2014 में 45 में 1 बच्चा सेलेक्ट हुआ। लेकिन नवीन ने हौसला नहीं छोड़ा और नौकरी छोड़कर पूरी तरह समर्पित हुए और इस बार 18 में से 15 बच्चे आईआईटी जेईई एडवांस में सफल हुए। नवीन के हौसले को सलाम।
काश कोई 'सुपर 30' कोई 'विकल्प' जैसी संस्था सामजिक जीवन में लिए भी लोगों को तैयार करती।
आठ बजने वाले हैं। आप मजे कीजिये। हम चलते हैं दफ्तर।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
- Nishant Yadav बेहतरीन , वो लाइन जिन्होंने अंदर तक घात किया 9 लाख तो दूल्हा खरीदने में ही चला गया
- Usha Bhateley · 6 पारस्परिक मित्र
sabse zyada chubhne wali line, "9 lakh to dulha khareedne mein chalaa gayaa ? frown इमोटिकॉन aisa kya ladki ke pita ne kahaa ? frown इमोटिकॉन yadi shadi mein kharch ki baat hai to dono paksh ka paisa kharch hota hai, aur dahej ki baat hai, to eklauti bitiya hai, to baad mein usie ko milna hai sub, aur yadi beta bhi hai to usko to 9 lakh se zyada hi milega ? - Nishant Yadav आदरणीय Usha Bhateley जी इसका जवाव तो अनूप शुक्ल जी ही देंगे लेकिन मेरा जबाब ये की हो सकता है की सामाजिक कुप्रथा का असर हर किसी पर न होता हो जैसे देश में कन्या भ्रूण हत्या या दहेज़ एक समस्या है अब इसका असर समाज के चंद लोगो पर नहीं है इसका मतलब ये नहीं की इसकी पर बात भी ना की जाये
- अनूप शुक्ल लड़का 9 लाख में खरीदने वाली बात मैंने लिखी। ओझा जी ने तो लड़की की शादी की बात कही।
अपने समाज की कई परेशानियों का कारण दहेज प्रथा और शादी में दिखावे पर होने वाला खर्च है। लड़की की शादी आदमी के लिए युध्द जीतने से कम नहीं होती। जिसके केवल लड़कियां हैं उस ब...और देखें - कोई जवाब लिखें...
- Pallavi Trivedi बहुत अफसोसजनक सामजिक मान्यताएं हैं हमारे यहां । आज की खबर विचलित कर गयी
- Pawan Kumar Navin mishra ji ke pahal ko mera thae dil slam.
- वाणी गीत अजीब विडम्बना है . कहीं घिसट कर जीते भी जिजीवीषा बची है तो कहीं मामूली हादसों के मारे हैं.
- Mukesh Sharma कच्चे नीम की निम्बोरी सावन जल्दी अइयो रे ।
- Rahul Singh navin ji ko mera bhi salam
- Gautam Kumar गज्जब.....!!!!!!
कब वर्तमान में रहे, कब भूतकाल में चले गए, कब देशव्यापी समस्याओं से जूझने लगे, फिर कब वर्तमान में लौट आए, पता ही नहीं चला कि लेख खत्म ।...और देखें - महेन्द्र मिश्र बहुत बढ़िया ...
- Nirmal Gupta आपने समाज के स्त्री विरोधी होने की बात सच लिखी पर इसे पढ़ कर मन उदास हो गया .स्त्री विरोध में खड़ा समाज अपने इस काम पर कभी शर्मिन्दा नहीं हुआ .
- Shailendra Kumar Jha "bihar" wala vakyansh apne status me dal raha hoon...........pranam.
- Deependra Bhadoriya अनूप शुक्ल जी,
सच जान से प्यारा कुछ नहीं होता! ...और देखें - Bhuvnesh Sharma सही कहा सर जीवन से अमूल्य कुछ नहीं होता...
- Deependra Bhadoriya Ghanshyam C. Gupta ji,
बहस (कु,तर्क)....
विचार (सही शब्दों में अपनी बात) - Ashutosh Kumar हमारे देश में कन्या की शिक्षा के बजाय उसकी शादी में ज्यादा खर्च किया जाता हैं
शुभ प्रभात - Sushil Kumar Jha दहेज भी हैसियत का प्रतीक बन गया है।और ये अधिकतर जुर्म की मां है।
- Supriya Singh Daheja lene vale hi nahi daheja dene vale bhi gaurvanivat hote hai. Yahi len den ki samanyejasta hamari maulikata ko khatm kar chuki hai.
- Devendra Yadav दहेज़ जैसी क्रूर सामाजिक प्रथा हिंदुस्तान में कहीं ज्यादा है।नौकरीपेशा पिता का आधा जीवन और कमाई इसी उधेड़बुन में ही खर्च हो जाता है।शेष बचा जीवन फिर कोई ख़ास मायने नहीं रखता।हैरानी की बात यह है कि कमाऊ बेटी की शादी में भी दहेज़ देना पड़ता है।क्योकि ऐसा न करने से दोनों पक्षों का मानना होता है इससे उनका सामाजिक बड़प्पन घटेगा।जिंदगी भर बेटी कमा के देगी फिर भी सामाजिक मान्यताएं पीछा नहीं छोड़तीं।
- Triveni S Chaube Thoda samay aur dijiye Sir. Jo kuch mujhe Samaaj ne diya hai sab bapas karoobga. Abhi Mataji &Pitaji ki dekhbhal ki jimmedari meri hai. Eklaute jijaji Bihar mein DGP hain Eklaute bade Bhaiya Miami USA mein 1992 se doctor hain. . Maine apni responsibil...और देखें
- Amit Kumar · Friends with Shahnawaz Khan
ANUP ji nakal karna bhi ek art hai isliye jab Bihar sabhi sabhi art me mahir hai to nakal me piche kaise rahege - Rekha Srivastava आज की रिपोतार्ज से मन विचलित हो गया आखिर कब ये चरित्र का प्रश्न सिर्फ नारी के साथ जुड़ा रहेगा और कमजोर मनोबल के चलते घर परिवार की बलि चढ़ती रहेगी।
- Rajesh Kumar Suthar शुक्ल जी आपके लिखे की क्या तारीफ करूँ लाजवाब कर दिया आपने। और ये दहेज पर आपने जो लिखा है बिलकुल सच है एक शादी में एक परिवार की दस से पन्द्रह साल की बचत स्वाहा हो जाती है बरसों तक पेट काट कर बचाया पैसा एक दिन में फूँक कर निवृत हो जाते हैं मेरे गांधी वादी विचार धारा के पिता ने अपनी बेटियों की शादी में सामर्थ्य अनुसार दहेज के बाद हम दोनों भाइयों की शादी बिना दहेज की
- हेमा दीक्षित आज तो बस आपको नमन करने की इच्छा उमड़ आई है ...
- Vinod Tripathi Shuklaji,aapke vichar saamaajik vidambna ki shasakt anubhooti hai.
- Kamlesh Bahadur Singh .......'बलिया जिला घर बा त कउन बात के डर बा '....
- Krishn Adhar इतने कमेंट वटोर लिये, अव मै क्या खाक लिखूं,इन लिखने वालों को कोई और काम नहीं फुर्सतिये रिटायर्ड कहीं के।
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