आज
योग दिवस के मौके पर गन कैरिज फैक्ट्री स्थित पाट बाबा मन्दिर के हाल में
योग शिविर का आयोजन हुआ। मन्दिर में आयोजन मतलब गैर हिन्दू गैर इरादतन ही
छंट गए। ऐसे आयोजनों में धार्मिक प्रतीक खर पतवार की तरह होते हैं।
योग का 33 मिनट का प्रोटोकाल पॅकेज है। देखकर किया जा सकता है। मकरासन में पेट के बल जमीन पर लेटते समय लगा कि इसका नाम 'बॉस आसान' होना चाहिए। बॉस के सामने पड़ते ही इस आसन को करने से मनचाही सुविधा का फल मिल सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम में कान, आँख, नाक और मुंह को बन्द करके अपनी आवाज अपने ही अंदर महसूस करना बताया गया। जब कभी अभिव्यक्ति पर पूरी पाबंदी हो तो लोग कह सकते हैं अभिव्यक्ति भ्रामरी प्राणायाम कर रही है।
हमारे डॉ काशी नाथ पाण्डेय जी ने योग सत्र का सञ्चालन किया। योग करना सिखाया। हम फुल पैन्ट पहनकर गये थे। जब एक पैर के पंजे को दूसरे पैर के घुटने पर रखकर वृक्षासन कर रहे थे तो पैन्ट टेरीलिन की होने के कारण पंजा बार-बार सरक जा रहा था। इससे लगा कि या तो पैन्ट सूती या हाफपैंट होने पर ही वृक्षासन सधेगा। कम खर्चे की बात कहकर हाफपैन्टिया बनना ही सुविधाजनक साबित करेंगे लोग। क्या पता आगे चलकर कोई लेखक अपने किसी पात्र की सुंदरता का वर्णन करते हुए लिखे- उसकी टाँगे इतनी चिकनी हैं कि उससे वृक्षासन तक नहीं सधता।
नमस्ते के बारे में पता चला कि सिंधुघाटी सभ्यता से चला आ रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता खत्म हो गयी लेकिन नमस्ते चूँकि विनम्रता और सबसे जुड़ाव का प्रतीक है सो अभी तक बचा है। किसी भी बात पर ऐँठने वालों को यह समझना होगा कि लम्बे समय तक बचे रहने के लिए विनम्र रहना और सबसे जुड़ाव बहुत जरुरी है।
योग सत्र के बाद चाय नास्ता हुआ। चाय बहूत अच्छी थी। हम दो बार पिए। योग करके अच्छा लगा। बहुत से आसान सधे नहीं लेकिन आज के अखबार में सब आसान की फोटो बनी है इसलिए देखकर किये जा सकते हैं।
आज योग का जिस तरह धड़ल्ले से हल्ला मचा उससे 'स्वच्छ भारत अभियान' के हल्ले की याद आ गयी। 6 महीने में स्वच्छ भारत अभियान साफ़ हो गया। योग दिवस के बहाने शुरू हुए अभियान का क्या बनेगा यह आने वाला समय बताएगा।
क्या पता आने वाले समय में हर संस्था में हिंदी अधिकारी की तर्ज पर योग अधिकारी की तैनाती होने लगे। फिर जिस तरह हिंदी की हिन्दी हुई क्या पता योग का भी कुछ वैसा ही संयोग बने।
संस्थाओं में योग को मान्यता मिलने क्या सीन बनेंगे इसकी कल्पनायें अलग से लेकिन कोई कर्मचारी सोता पाया गया तो कहेगा-साहब हम तो शवासन कर रहे थे। कोई हल्ला मचाते हुए पकड़ा गया तो बोलेगा-साहब, अपन के इधर कपाल भाति ऐसेइच होती है।गर्दन हिलाकर काम से मना करने वाला गर्दन चालन क्रिया करने की बात से बच जायेगा।
लौटते हुए सोच रहा था कि योग किसके लिए है। जिन लोगों के खाने-पीने के जुगाड़ हैं उनके लिये तो योग स्वस्थ रहने के लिए अच्छा उपाय है। लेकिन जिनके लिए रोटी बड़ा सवाल है। तन और मन मिलाये रखने की जद्दोजहद में ही जिनका जीवन खप जाता है वो किस समय योग करेंगे? हिकमत अली जो अपनी ढोलक बेंचने के लिए सुबह निकलता है और सड़क पर दौड़ते लोगों को देखते हुए पूछता है कि ये लोग भाग क्यों रहे हैं वह कहीं लोगों को कपाल भाती करते देखकर पूंछेगा- ये लोग पेट फुला-पचका क्यों रहे हैं?
जब सुबह जा रहे थे तब तीन महिलाएं हाथ में कुल्हाड़ी लिए जंगल की तरफ लकड़ी काटने जा रहीं थीं। पाट बाबा के मंदिर के गेट पर पहुंचकर उन्होंने कुल्हाड़ी सड़क पर रखी और करीब 200 मीटर की दूरी से सड़क को छूकर पाट बाबा को प्रणाम किया और काम पर निकल गयीं। योग भले ही अंतरराष्ट्रीय हो जाए लेकिन दुनिया की बहुत बड़ी आबादी के लिए योग करके स्वस्थ रहने से कहीँ ज्यादा अहम है जिन्दा रहने के लिए रोटी का इंतजाम करना। अखबारों भले ही रोज 'सर्वे भवन्ति सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया' के विज्ञापनों से पटे रहें लेकिन ये लोग योग शिविर को दूर से ही नमस्ते करके ऐसे ही काम पर जाते रहेंगे जैसे सुबह पाट बाबा को प्रणाम करके वे महिलाएं चलीं गयीं। चिंता की बात यही है कि पूरी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने की आशंकाएं बढ़ रहीं हैं।
जीसीएफ मोड़ के पास सोनी महोबिया मिले। 13 साल से पेड़ के नीचे दूकान लगाते हैं। 10 बजे तक खुद लगाते हैं उसके बाद वो एक दूकान पर काम करने चले जाते हैं। फिर पिता सम्भालते हैं दूकान। पता बताते हैं कि दुकान का सब जानते हैं-नीम के पेड़ के नीचे की दूकान। पेड़ के तने पर की गांठें उसके बुजर्ग होने की कहानी कह रहे थे।
आज इतवार है। मजे कीजिये। जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुकिया टिप्पणी
योग का 33 मिनट का प्रोटोकाल पॅकेज है। देखकर किया जा सकता है। मकरासन में पेट के बल जमीन पर लेटते समय लगा कि इसका नाम 'बॉस आसान' होना चाहिए। बॉस के सामने पड़ते ही इस आसन को करने से मनचाही सुविधा का फल मिल सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम में कान, आँख, नाक और मुंह को बन्द करके अपनी आवाज अपने ही अंदर महसूस करना बताया गया। जब कभी अभिव्यक्ति पर पूरी पाबंदी हो तो लोग कह सकते हैं अभिव्यक्ति भ्रामरी प्राणायाम कर रही है।
हमारे डॉ काशी नाथ पाण्डेय जी ने योग सत्र का सञ्चालन किया। योग करना सिखाया। हम फुल पैन्ट पहनकर गये थे। जब एक पैर के पंजे को दूसरे पैर के घुटने पर रखकर वृक्षासन कर रहे थे तो पैन्ट टेरीलिन की होने के कारण पंजा बार-बार सरक जा रहा था। इससे लगा कि या तो पैन्ट सूती या हाफपैंट होने पर ही वृक्षासन सधेगा। कम खर्चे की बात कहकर हाफपैन्टिया बनना ही सुविधाजनक साबित करेंगे लोग। क्या पता आगे चलकर कोई लेखक अपने किसी पात्र की सुंदरता का वर्णन करते हुए लिखे- उसकी टाँगे इतनी चिकनी हैं कि उससे वृक्षासन तक नहीं सधता।
नमस्ते के बारे में पता चला कि सिंधुघाटी सभ्यता से चला आ रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता खत्म हो गयी लेकिन नमस्ते चूँकि विनम्रता और सबसे जुड़ाव का प्रतीक है सो अभी तक बचा है। किसी भी बात पर ऐँठने वालों को यह समझना होगा कि लम्बे समय तक बचे रहने के लिए विनम्र रहना और सबसे जुड़ाव बहुत जरुरी है।
योग सत्र के बाद चाय नास्ता हुआ। चाय बहूत अच्छी थी। हम दो बार पिए। योग करके अच्छा लगा। बहुत से आसान सधे नहीं लेकिन आज के अखबार में सब आसान की फोटो बनी है इसलिए देखकर किये जा सकते हैं।
आज योग का जिस तरह धड़ल्ले से हल्ला मचा उससे 'स्वच्छ भारत अभियान' के हल्ले की याद आ गयी। 6 महीने में स्वच्छ भारत अभियान साफ़ हो गया। योग दिवस के बहाने शुरू हुए अभियान का क्या बनेगा यह आने वाला समय बताएगा।
क्या पता आने वाले समय में हर संस्था में हिंदी अधिकारी की तर्ज पर योग अधिकारी की तैनाती होने लगे। फिर जिस तरह हिंदी की हिन्दी हुई क्या पता योग का भी कुछ वैसा ही संयोग बने।
संस्थाओं में योग को मान्यता मिलने क्या सीन बनेंगे इसकी कल्पनायें अलग से लेकिन कोई कर्मचारी सोता पाया गया तो कहेगा-साहब हम तो शवासन कर रहे थे। कोई हल्ला मचाते हुए पकड़ा गया तो बोलेगा-साहब, अपन के इधर कपाल भाति ऐसेइच होती है।गर्दन हिलाकर काम से मना करने वाला गर्दन चालन क्रिया करने की बात से बच जायेगा।
लौटते हुए सोच रहा था कि योग किसके लिए है। जिन लोगों के खाने-पीने के जुगाड़ हैं उनके लिये तो योग स्वस्थ रहने के लिए अच्छा उपाय है। लेकिन जिनके लिए रोटी बड़ा सवाल है। तन और मन मिलाये रखने की जद्दोजहद में ही जिनका जीवन खप जाता है वो किस समय योग करेंगे? हिकमत अली जो अपनी ढोलक बेंचने के लिए सुबह निकलता है और सड़क पर दौड़ते लोगों को देखते हुए पूछता है कि ये लोग भाग क्यों रहे हैं वह कहीं लोगों को कपाल भाती करते देखकर पूंछेगा- ये लोग पेट फुला-पचका क्यों रहे हैं?
जब सुबह जा रहे थे तब तीन महिलाएं हाथ में कुल्हाड़ी लिए जंगल की तरफ लकड़ी काटने जा रहीं थीं। पाट बाबा के मंदिर के गेट पर पहुंचकर उन्होंने कुल्हाड़ी सड़क पर रखी और करीब 200 मीटर की दूरी से सड़क को छूकर पाट बाबा को प्रणाम किया और काम पर निकल गयीं। योग भले ही अंतरराष्ट्रीय हो जाए लेकिन दुनिया की बहुत बड़ी आबादी के लिए योग करके स्वस्थ रहने से कहीँ ज्यादा अहम है जिन्दा रहने के लिए रोटी का इंतजाम करना। अखबारों भले ही रोज 'सर्वे भवन्ति सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया' के विज्ञापनों से पटे रहें लेकिन ये लोग योग शिविर को दूर से ही नमस्ते करके ऐसे ही काम पर जाते रहेंगे जैसे सुबह पाट बाबा को प्रणाम करके वे महिलाएं चलीं गयीं। चिंता की बात यही है कि पूरी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने की आशंकाएं बढ़ रहीं हैं।
जीसीएफ मोड़ के पास सोनी महोबिया मिले। 13 साल से पेड़ के नीचे दूकान लगाते हैं। 10 बजे तक खुद लगाते हैं उसके बाद वो एक दूकान पर काम करने चले जाते हैं। फिर पिता सम्भालते हैं दूकान। पता बताते हैं कि दुकान का सब जानते हैं-नीम के पेड़ के नीचे की दूकान। पेड़ के तने पर की गांठें उसके बुजर्ग होने की कहानी कह रहे थे।
आज इतवार है। मजे कीजिये। जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुकिया टिप्पणी
- कमल गुप्ता चकाचक !!
- Nishant Yadav सुबह से इंतजार में था आपके पोस्ट के लिए ,, आप भी योगमय हो गए ,
- Nirupma Pandey ji khush ho gaya status ka like to banta hi h
- Suman Singh 6 महीने में स्वच्छ भारत अभियान साफ़ हो गया। योग दिवस के बहाने शुरू हुए अभियान का क्या बनेगा यह आने वाला समय बताएगा....
- Ashok Agrawal जबरदस्त , धांसू , गज्जब और भी अइसे सारे विशेषण आज के लिए
- Ram Singh अनूप शुक्ल जी की योग श्रद्धांजलि अत्यधिक रोचक व सोचक लगी । दूर से प्रणाम वाला आईडिया भारतीय संस्कारों की गहरी समझ से उत्पन्न हुआ है ।रक्षा करेंगे पतंजलि महाराज , जय हो !
योग दिवस पर कुछ विशिष्ट आसनों में एक ' लंगूरासन ' - Amit Kumar Srivastava भूख से एक रोटी कम खाएं और सामर्थ्य से तनिक अधिक श्रम करें , पता भी नहीं चलेगा और योग हो जायेगा । यह जो आज हुआ है यह योग नहीं सर्कस है । योग तो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने को कहते हैं । इसमें अंतर दर्शन से प्रभु दर्शन की प्राप्ति होती है । योग को चिकित्स...और देखें
- Nirmla Kapila मुझे लगता है अनूप जी लंगूर आसन पर पूरा ग्रन्थ लिख सकते है। वैसे योग तो भूखे रह कर ही करना है रोटी की क्या जरूरत है? योग करिये आराम से जीवन जी लीजिये।
- वाणी गीत जीवन के संघर्ष अपने स्थान पर हैं. योग इनसे गुजरने की मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है.
- Raj Narayan Shukla पोस्ट के माध्यम से हास्य-ब्यंग द्वारा मनोरंजन होता है
- Anil Verma · Abhisek Dubey और 7 others के मित्रअच्छा लगा :| आज का इतवार योगासन में ही ख़त्म हो गया
- Raj Narayan Shukla हास्य-ब्यंग भी दो प्रकार के होते है -
1- मनोरंजक और निरर्थक -इसमे समाज मे ब्याप्त अच्छी परम्पराओ की खिल्ली उड़ाई जाती है ।
2- मनोरंजक किन्तु सार्थक - इसमे मनोरंजन के साथ कुछ अच्छी सीख भी मिलती है । - Manoj Yadav Bhot umda. Chitt prasann ho gya.thanks for the post sir
- Balmukund Dwivedi बहुत ही सटीक बात कही है शुक्ल जी ने ।जो लोग कर्मशील हैं उनका योग तो उनका कर्म ही है।अपने कर्म के हिसाब से ही अपनी प्रत्येक मुद्रा का नामकरण कर लेंगे।कुल्हाड़ी जब दोनों हाथों से उठाकर पेड़ पर वार करने उठाएंगे तो श्वांस खींचनी होगी और कुल्हाड़ी नीचे आते ही ...और देखें
- Hirendra Kumar Agnihotri आज के दिन तो ऐसा उत्साह रहा जैसा कि १५ अगस्त , २६ जनवरी में देखने को मिलता है. हमेशा की तरह बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने.
- Mukesh Sharma किसी भी काम के संग विशेषण "सरकारी"लग जाये तो उसकी वही दुर्दशा होती है जो आज के योग कार्यक्रम की हुई ।ये कुछ ऐसा ही है जैसे भारत में "Art of living"। सब भरे पेट की बात है यानी रईसों के चोंचले है ।
- Ram Kumar Chaturvedi किसी टैक्स मोहकमे वाले की निगाह नहीं गयी वरना पेड़ के नीचे दुकान लगाने पर पर्यावरण टैक्स लगा देता।
- Mukesh Sharma खैर छोड़िये ।आपका सबसे बड़ा योग आपकी सायक्लिंग ही है ।लेकिन आज छुट्टी के दिन बढ़िया चाय और वो भी दो प्याले नाश्ता संग में ।योग दिवस का आनंद तो आपने लिया ।
- Pradumn Shukla Mai bhi yahi soch rha tha ki Yog ka bhi haal swachkshta abhiyan ki tarah na ho...lekin mujhe Modi ji par bharosa hai ki wo tab tak ek nya shigufa jarur dhundh layenge..tongue इमोटिकॉन
- Mahesh Shrivastava ye jashan ye jalse kuch khel tamashe hai , kuch log chahte hai sab log bahal jaye , Agyat ,
- Spsingh Shantiprakash Very nice
- राजेश सेन अभिव्यक्ति का भ्रामरी प्राणायाम अच्छा लगा ....इधर इनदिनों 'इमरजेन्सी' ने भी भ्रामरी प्राणायाम किया है ! बहोत बढिया व्यंग्य लिखे आप !!!
- Manisha Dixit मकरासन बनाम बाॅस आसन smile इमोटिकॉन ...मनचाही सुविधा ....अपने को तो परहेज है इससे ।किनकी ऐसी कोशिश सफल हुई ....?? आज हमारे स्कूल मे भी योग हुआ।वृक्षासन के दौरान संतुलन बनाना वाकई कठिन लगा ...
- Sonam Dubey Jbrdst..
- Narinder Singh · Friends with Anup SethiModi Ji ke aise abhiyanon se film "Kissa Kursi KA " KA "Chooha pakro chooha maaro abhiyan " yaad as jata hai.
- Ajai Nigam · Ajay Sahu और 9 others के मित्रJinko do jun ki roti jutani mushkil hai unke liye Yog ka kya arth hai. Hikmat Ali is Yog circus ka prashn hain.
- Alok Ranjan Mast. Jhakaas. Bahut badhiya... shubh ratri
- Ajai Rai Sunday sarthak ho gaya lekh padh ker.
- Govind Gautam लौटते हुए सोच रहा था कि योग किसके लिए है। जिन लोगों के खाने- पीने के जुगाड़ हैं उनके लिये तो योग स्वस्थ रहने के लिए अच्छा उपाय है। लेकिन जिनके लिए रोटी बड़ा सवाल है। तन और मन मिलाये रखने की जद्दोजहद में ही जिनका जीवन खप जाता है वो किस समय योग करेंगे? हिक...और देखें
Govind Gautam मुझे लगा मौन योग भी कोई आसन होगा tongue इमोटिकॉन
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