आज
बस फैक्ट्री के गेट नम्बर 1 तक जाने का मन था लेकिन निकले तो गेट नम्बर 3
की तरफ मुड़ गयी साईकिल। गेट के पास ट्रेलरों में सामान लादे ड्राइवर लोग
गेट खुलने का इन्तजार कर रहे थे। जमशेदपुर से हफ्ते भर पहले चले होंगे ये
लोग। जब कल राजपथ पर योग हो रहा था तब ये हाथ में स्टेयरिंग थामे जबलपुर की
तरफ आ रहे होंगे।
गेट नम्बर 3 के बगल से न्यू कंचनपुर होते हुए आधारताल पहुंचे। बिरसा मुंडा चौराहे पर चाय पी। चौराहे पर बिरसा मुंडा की मूर्ति देखकर सोचा कि जब यह नायक विद्रोह की लड़ाई लड़ रहा होगा तब क्या इसने सोचा होगा कि उसकी अकेले की मूर्ति उसके साथियों से अलग जबलपुर के किसी चौराहे पर लगेगी? अभी अगर अपनी मूर्ति देख पाता नायक तो अपने को अकेले पाकर उदास होता।
चाय की दूकान गुलजार थी। लोग चाय नास्ता कर रहे थे। एक लड़के को चम्मच से मलाई निकालकर ब्रेड पर लगाकर दूकान पर खड़ी महिला ने दिया। लड़के ने मलाई में पड़ा कुछ तिनका सा ऊँगली के सहारे निकालकर बाहर किया और ब्रेड खाने लगा। महिला लपककर मोटरसाइकिल पर खड़े एक ग्राहक को एक सिगरेट और माचिस दे आई। चालक ने मोटरसाइकिल पर खड़े-खड़े सिगरेट सुलगाई और पीने लगा।
एक नौजवान पुलिस वाला वर्दी में चाय पीता हुआ ऐसा लगा मानो स्कूल जाता कोई बच्चा चाय पीने रुक गया हो। पुलिस की वर्दी में भी लोग मासूम लग सकते हैं यह खुशनुमा एहसास भी हुआ।
दुकान वाली महिला को देखकर मुझे अपने गांधीनगर के मकान वाली चाची की याद आ गयी। उनके चार बिटियाँ थीं -अंजनी,लक्ष्मी, खिल्ला, वुल्लु। दो छोटे बेटे -छंगा और छोटू। चाची एक कमरे के घर में पूरे परिवार को सहेजते दिन रात खटती रहतीं। चाचा एल्गिन मिल में काम करते। अक्सर बोड्डी के नशे में डूबे हुए रहते। मिल बन्द हुई। रोज जाते वापस आ जाते। कहते-ले हाफ हो गया।
अब पता नहीं कहां होंगे सब। अम्मा होंती तो अभी पूछते उनसे। उनको कुछ न कुछ खबर जरूर होती।देर तक बतियातीं। कुछ बतातीं जो हमारे लिए नया होता।
चाय की दूकान वाली से बात हुई। काम के बीच मुस्कराईं। उनको याद था कि हमने एक दिन उनके यहाँ पहले भी चाय पी थी।
व्हीकल मोड़ के पास जितनी दुकाने थीं वो सब उजड़ गयीं थीं। नाला बनाने के लिए खोद दी गयी जमीन। मुन्ना की दूकान जहां हमने एक दिन चाय पी थी वहां मलबे का ढेर था।मोड़ के पास की गुमटी वाला बोला-पता नहीं कब बनेगा नाला। पांच साल पहले भी ऐसे ही खोदकर डाल गए थे।
गुमटी पर चाय पीते एक बुजुर्ग से बतियाये। साँस की बीमारी है। 79 साल के हैं। बीड़ी पीने से सांस की तकलीफ हुई। बोले-कोई दवा हो तो बताओ। फिर खुद बोले- सुबह टहलने से अच्छा कोई इलाज नहीं। योग से फायदा होता है। योग करते हैं तो सांस नली क्लियर हो जाती है।
चूड़ी का काम करते हैं भाई जी। चूड़ी कांच की बनवाते हैं या लाख की इस सवाल पर बोले- पीतल की आती हैं। इंदौर,जयपुर से। उस पर काम करवाते हैं। घर पर ही दो-चार लोगों से।
आज सुबह टहलने नहीं जा पाये। घर में सीवर खराब है हफ्ते भर से। सुबह-सुबह कारीगर को बुलाने जा रहे हैं। देर होने पर वह काम पर निकल जाएगा। फिर मिलेगा नहीं दिन भर।
रेलवे क्रासिंग के पास सर पर मिटटी के बर्तन लेकर बेंचने जाती महिलाएं दिखीं। रुक कर उनका फोटो खींचा। उनकी निगाहें देखकर लगा कि कह रहीं हों-कुछ काम धाम करना नहीं बस फ़ोटू खींचते रहते हो।
लौटते हुए कुछ बच्चियां साईकिल पर स्कूल जाती दिखीं। हमने कहा-इत्ती जल्दी स्कूल खुल गए ! ये तो गलत बात है। बोली -हाँ अंकल स्कूल जुलाई में खुलने चाहिए। आप बन्द करा दीजिये।
बता रहीं थी कुछ स्कूल में टीचर अच्छी हैं। उनसे सब बातें शेयर करती हैं।कुछ बुजुर्ग महिला टीचर पीटती हैं । युवा महिला टीचर नहीं पीटती। पुरुष अध्यापक केवल लड़कों को मारते हैं कभी-कभी। लड़कियों के केवल सर पर मारते हैं। जिससे उनके हाथ में हेयर पिन चुभ जाते हैं।
बच्चियों को बॉय कहकर कमरे पर आये तो अखबार में Baabusha को दिल्ली में ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार मिलने की खबर देखी। उनको उनके कविता संग्रह 'प्रेम गिलहरी मन अखरोट' पर यह पुरस्कार मिला। बाबूषा को खूब बधाई।
अख़बार के पहले पेज पर बनारस के एक एनजीओ 'गुड़िया' द्वारा गंगा की लहरों पर एक 'बोट स्कूल' खुलने की खबर है। गंगा की लहरों पर तैरती बजड़े पर चलने वाली यह अनूठी पाठशाला में कम्प्यूटर,टीवी, लाइब्रेरी तक की सुविधा है। शाम को गंगा आरती के समय मानसरोवर घाट पर यह पाठशाला चलती है।
बहुत अच्छा प्रयोग कहते हुए यह भी लगता है कि यह अनूठा प्रयोग कितने दिन जारी रहता है।
चलिए नया सप्ताह शुरू हुआ। काम से लगिए। व्यस्त रहिये मस्त रहिये। बाकी जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
गेट नम्बर 3 के बगल से न्यू कंचनपुर होते हुए आधारताल पहुंचे। बिरसा मुंडा चौराहे पर चाय पी। चौराहे पर बिरसा मुंडा की मूर्ति देखकर सोचा कि जब यह नायक विद्रोह की लड़ाई लड़ रहा होगा तब क्या इसने सोचा होगा कि उसकी अकेले की मूर्ति उसके साथियों से अलग जबलपुर के किसी चौराहे पर लगेगी? अभी अगर अपनी मूर्ति देख पाता नायक तो अपने को अकेले पाकर उदास होता।
चाय की दूकान गुलजार थी। लोग चाय नास्ता कर रहे थे। एक लड़के को चम्मच से मलाई निकालकर ब्रेड पर लगाकर दूकान पर खड़ी महिला ने दिया। लड़के ने मलाई में पड़ा कुछ तिनका सा ऊँगली के सहारे निकालकर बाहर किया और ब्रेड खाने लगा। महिला लपककर मोटरसाइकिल पर खड़े एक ग्राहक को एक सिगरेट और माचिस दे आई। चालक ने मोटरसाइकिल पर खड़े-खड़े सिगरेट सुलगाई और पीने लगा।
एक नौजवान पुलिस वाला वर्दी में चाय पीता हुआ ऐसा लगा मानो स्कूल जाता कोई बच्चा चाय पीने रुक गया हो। पुलिस की वर्दी में भी लोग मासूम लग सकते हैं यह खुशनुमा एहसास भी हुआ।
दुकान वाली महिला को देखकर मुझे अपने गांधीनगर के मकान वाली चाची की याद आ गयी। उनके चार बिटियाँ थीं -अंजनी,लक्ष्मी, खिल्ला, वुल्लु। दो छोटे बेटे -छंगा और छोटू। चाची एक कमरे के घर में पूरे परिवार को सहेजते दिन रात खटती रहतीं। चाचा एल्गिन मिल में काम करते। अक्सर बोड्डी के नशे में डूबे हुए रहते। मिल बन्द हुई। रोज जाते वापस आ जाते। कहते-ले हाफ हो गया।
अब पता नहीं कहां होंगे सब। अम्मा होंती तो अभी पूछते उनसे। उनको कुछ न कुछ खबर जरूर होती।देर तक बतियातीं। कुछ बतातीं जो हमारे लिए नया होता।
चाय की दूकान वाली से बात हुई। काम के बीच मुस्कराईं। उनको याद था कि हमने एक दिन उनके यहाँ पहले भी चाय पी थी।
व्हीकल मोड़ के पास जितनी दुकाने थीं वो सब उजड़ गयीं थीं। नाला बनाने के लिए खोद दी गयी जमीन। मुन्ना की दूकान जहां हमने एक दिन चाय पी थी वहां मलबे का ढेर था।मोड़ के पास की गुमटी वाला बोला-पता नहीं कब बनेगा नाला। पांच साल पहले भी ऐसे ही खोदकर डाल गए थे।
गुमटी पर चाय पीते एक बुजुर्ग से बतियाये। साँस की बीमारी है। 79 साल के हैं। बीड़ी पीने से सांस की तकलीफ हुई। बोले-कोई दवा हो तो बताओ। फिर खुद बोले- सुबह टहलने से अच्छा कोई इलाज नहीं। योग से फायदा होता है। योग करते हैं तो सांस नली क्लियर हो जाती है।
चूड़ी का काम करते हैं भाई जी। चूड़ी कांच की बनवाते हैं या लाख की इस सवाल पर बोले- पीतल की आती हैं। इंदौर,जयपुर से। उस पर काम करवाते हैं। घर पर ही दो-चार लोगों से।
आज सुबह टहलने नहीं जा पाये। घर में सीवर खराब है हफ्ते भर से। सुबह-सुबह कारीगर को बुलाने जा रहे हैं। देर होने पर वह काम पर निकल जाएगा। फिर मिलेगा नहीं दिन भर।
रेलवे क्रासिंग के पास सर पर मिटटी के बर्तन लेकर बेंचने जाती महिलाएं दिखीं। रुक कर उनका फोटो खींचा। उनकी निगाहें देखकर लगा कि कह रहीं हों-कुछ काम धाम करना नहीं बस फ़ोटू खींचते रहते हो।
लौटते हुए कुछ बच्चियां साईकिल पर स्कूल जाती दिखीं। हमने कहा-इत्ती जल्दी स्कूल खुल गए ! ये तो गलत बात है। बोली -हाँ अंकल स्कूल जुलाई में खुलने चाहिए। आप बन्द करा दीजिये।
बता रहीं थी कुछ स्कूल में टीचर अच्छी हैं। उनसे सब बातें शेयर करती हैं।कुछ बुजुर्ग महिला टीचर पीटती हैं । युवा महिला टीचर नहीं पीटती। पुरुष अध्यापक केवल लड़कों को मारते हैं कभी-कभी। लड़कियों के केवल सर पर मारते हैं। जिससे उनके हाथ में हेयर पिन चुभ जाते हैं।
बच्चियों को बॉय कहकर कमरे पर आये तो अखबार में Baabusha को दिल्ली में ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार मिलने की खबर देखी। उनको उनके कविता संग्रह 'प्रेम गिलहरी मन अखरोट' पर यह पुरस्कार मिला। बाबूषा को खूब बधाई।
अख़बार के पहले पेज पर बनारस के एक एनजीओ 'गुड़िया' द्वारा गंगा की लहरों पर एक 'बोट स्कूल' खुलने की खबर है। गंगा की लहरों पर तैरती बजड़े पर चलने वाली यह अनूठी पाठशाला में कम्प्यूटर,टीवी, लाइब्रेरी तक की सुविधा है। शाम को गंगा आरती के समय मानसरोवर घाट पर यह पाठशाला चलती है।
बहुत अच्छा प्रयोग कहते हुए यह भी लगता है कि यह अनूठा प्रयोग कितने दिन जारी रहता है।
चलिए नया सप्ताह शुरू हुआ। काम से लगिए। व्यस्त रहिये मस्त रहिये। बाकी जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
- Lalit Sharma इतना ही काफ़ी है आज smile इमोटिकॉन
- Mukesh Sharma ये रोज रोज महिलाओ की फोटो खीचने की आदत मंहगी न पड़ जाये किसी दिन ।
- Kumkum Tripathi बड़ा सुकून मिला गुरूजी के हाथ में हेयर पिन चुभने की खबर पढ़कर! tongue इमोटिकॉन
- Anil Verma · Abhisek Dubey और 7 others के मित्रसाहब आपकी लेखन प्रतिभा बहुत ही सुन्दर है ........पढने में अपनापन लगता है.....जय हो सभी का मंगलमय हो
- Sushil Kumar Jha मासूम पुलिस वाला गुलर के फूल समान होते हैं ,जो होते तो हैं पर दिखते नहीं ।
- Sushil Parashar · Friends with Bhupi Sood"Amma hoti to poochhate abhee... " bahut sundar!!!
- राजेश सेन कुछ काम धाम करना नहीं बस फ़ोटू खींचते रहते हो....एेसा आपके बारे में ही नहीं हर "फ़ेसबुकिये" के लिये "गै़रफेसबुकियों" की आमधारणा है !
- सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी व्यस्त रहिये मस्त रहिये। बाकी जो होगा देखा जाएगा।
- Supriya Singh Good morning Anup bhaiya
- Govind Gautam "प्रेम गिलहरी मन अखरोट" नाम ख़ूबसूरत
- Baabusha Kohli हम वहाँ हैं जहाँ से खुद हमको
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती...और देखें - Baabusha Kohli प्रेम गिलहरी दिल अखरोट smile इमोटिकॉन
कट्टा कानपुरी सर. - Ram Singh जनाब बबूषा कोहली जी प्रणाम , बधाई
- Baabusha Kohli प्रणाम और शुक्रिया.
Ram Singh जी. - Suraj P. Singh कमाल है आपकी सरल-सीधी लेखनी....जीवन की पतली-सी डगमग करती डोंगी के पीछे छूटती पानी की लकीर सी..
- RB Prasad एक पंछी की तरह छोटे- छोटे तिनके उठाते हैं आप और नीड़ बना देते हैं.
- Parveen Goyal Good evening !! Anoop Sir..
- Mahesh Shrivastava e to apan mohaal ba
- Vivek Tripathi · Deep Sharma और 2 others के मित्रBhai Jabalpur ki yaad taaza kar dee 9 saal purani
- Ram Kumar Chaturvedi बोट स्कूल की सुबिधा उन्हें ही मिलती होगी जिनको सब सुबिधाऐं पहले से ही मिली हुई है।
- Hirendra Kumar Agnihotri सर, जब कानपुर की मिलो का जिक्र होता है तो मन बड़ा उदास हो जाता है
- Virendra Bhatnagar गोया आपकी साईकिल न हुई राणा प्रताप का घोड़ा हो गई खुद ही मंज़िल तय करने लगी, जरा लगाम खींच कर रखिये smile इमोटिकॉन
Manoj Kumar Good morning anup sir from Manoj Kumar revolver shop saf Kanpur
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