आज
मेस से बाहर निकलते ही सूरज भाई दिख गए। हाल में ही शपथ ग्रहण की सरकार के
मुखिया की तरह चमक रहे थे। अगल-बगल किरणें उनके गले में बाहें डाले, गोद
में ठुनकती बैठी रश्मियों के साथ सूरज भाई ऐसे लग रहे थे मानों बच्चियों के
साथ सेल्फी ले रहें हों।
सूरज भाई को देखकर याद आया कि बहुत दिन से इंद्रधनुष नहीं दिखा। हमने पूछा तो बोले-इंद्रधनुष के लिए बादल को बूंदे सप्लाई करनी होती हैं। जब बादल बूंदे बिखरा देता है तो हमारी किरणें उन पर चमकने लगती हैं। जब बूंदों की सप्लाई ही नहीं करेगा बादल तो कहां जाकर चमकने लगें हमारी किरणें।
कुल मिलाकर मामला अलग अलग दलों वाली केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की खींचतान सा लगा। फिर भी हमने पूंछा कि आप अपनी किरणों को कह दीजिए वे चमकने लगे। बादल खुद भेजेगा बूंदों को किरणों के पास।
सूरज भाई ऐसे मुस्काये गोया हमने कोई ज्ञान की बात कह दी। फिर बोले-"बादल को आजकल आवारगी सूझती रहती है। कहीं तो इतना जमकर बरसेगा कि उज्जैन बना देगा। कहीं बिल्कुल सप्लाई रोककर गर्मी का माहौल बना देगा। बादल मनचला है।उसका क्या ठिकाना कब कहां बरसेगा।ऐसे में कहां भेज दें बच्चियों को अकेले भटकने के लिए। आजकल जमाना भी ठीक नहीं।" कहते हुए सूरज भाई बादलों की ओट में चले गए।
मेरे आगे घुटन्ना पहने टहलते आदमी का मोजा क़ानून व्यवस्था की तरह ढीला होकर जूते से सट गया था। सामने से एक आदमी ऐसे चला आ रहा था मानो सड़क के रैंप पर कैट वाक कर रहा हो। बस कमी इतनी ही थी कि बीच-बीच में रुकते हुए लापरवाही से मुस्कान नहीं फेंक रहा था।
एक भाई जी एक हाथ में कुत्ते की जंजीर थामे चले जा रहे थे। सामने से आते दूसरे साथी को देखकर बायें हाथ में थामी लकड़ी को झंडे की तरह उठाते हुए इंकलाबी मुद्रा में नमस्ते किये। दायां हाथ जंजीर थामे रहा या कहें की दायें हाथ में जंजीर थी इसलिए वह वैसे ही बना रहा।इससे यह लगा कि झंडे और जंजीर हाथों को अपने हिसाब से ढाल लेते हैं।
रांझी सड़क पर गिरि जी का बच्चा मिला। सुबह दौड़ का अभ्यास करके आया था। कोहिमा में बीएसएफ का इम्तहान है।5 दिन लगेंगे। देश के मध्य भाग से पूरी सिरे तक पहुंचने में 5 दिन लगते हैं। इससे देश की विशालता और गाड़ियों की गति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
चाय आज रांझी थाने के पास मिश्रा जी के यहां पी। रीवां जाने वाले हैं अगले हफ्ते मिश्रा जी।
एक पुलिस वाले भाई जी फटफटिया पर आये। उनका मध्यप्रदेश व्यापमं की तरह विस्तृत था।चाय पीते हुए बात हुई तो पता चला कि रात की ड्यूटी बजा के आये हैं। थाने से एक सिपाही को भी बुला लिया प्रेम से -आओ चाय पी लो कहते हुए। उस सिपाही से बात करते हुए बताया-साला टी आई सनकी है।तीनों गस्ती सिपाहियों को बुलाकर बार-बार मुस्तैद रहने को बोलता है।
एक और गस्ती पुलिस वाला भी किसी के लिए माँ की गाली देते वार्तालाप में शामिल हो गया। आँखों में नींद की लाली धारण किये हुए सिपाही ने बताया कि रात 16 जुआरी पकड़े गए। सबकी कपड़े उतारकर तलाशी हुई। फिर पहले से 8 लोगों के साथ कुल 24 को एक कमरे में बन्द कर दिया। गर्मी और डर के मारे पसीने पसीने हो गए ....के।
युवा सिपाही ने मेरा ज्ञान बढ़ाते हुए बताया -अदालत और पुलिस में जमकर पैसा खर्च होगा जुआरियों का। कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें पुलिस केस दर्ज करके छोड़ देती है।कुछ में जमानत लेनी पड़ती है।
चाय पीकर पुलिस वाले ने चाय के पैसे दिए और फटफटिया स्टार्ट करके चला गया। हम भी साईकिल पर पैडल किक मारकर लौट लिए।
लौटते में देखा एक आदमी सड़क पर सीधे लेटा था। दूध वाले महेश ने बताया- पागल है। गरीब। लोग बताते हैं सालों पहले बहुत बड़ा गुंडा था। रांझी के दुकानदारों से वसूली करता था। लेकिन सबसे बड़ा गुंडा तो ऊपर वाला है। उसके आगे किसी की गुंडई नहीं चलती। जैसा करेगा कोई वैसा ही फल देर सबेर मिलता है उसको। आज हाल यह है कि कोई दे देता है कुछ तो खा लेता है। ऐसे ही इधर-उधर पड़ा रहता है। आठेक साल से तो हम देख रहे।
सड़क किनारे कूड़े के ढेर में छोटे सुअर गन्दगी में मुंह मारते घूम रहे थे।कल बड़े सूअर कूड़े फैला रहे थे।आज उनके बच्चों का कब्जा था गन्दगी के ढेर पर। राजनीति की तरह यहां भी परिवारवाद छाया हुआ था। एक छोटा सूअर तेजी से दो आगे जाते हुए सूअरों को पीछे छोड़ता हुआ आगे निकल गया। ऐसा लगा कि..... अब छोड़िये आप खुद समझ लीजिये कैसा लगा होगा।
अख़बार में खबर आई है कि स्मार्ट सिटी के चुनाव में भोपाल और इंदौर के बाद जबलपुर तीसरे नम्बर पर रहा है। हम यही सोच रहे हैं कि जबलपुर जब स्मार्ट सिटी बनेगा तो गन्दगी के आंगन में किलकते घूमते इन अबोध सूअरों का क्या होगा? ये साथ रहेंगे रहेंगे स्मार्ट जबलपुर में या फिर कुछ दिन के लिए इधर-उधर हो लेंगे।
खैर जबलपुर तो जब स्मार्ट होगा तब होगा। अभी तो अपन को तैयार होना है दफ्तर के लिए।आप भी मजे करिये।
फ़ेसबुक पर टिप्पणी
सूरज भाई को देखकर याद आया कि बहुत दिन से इंद्रधनुष नहीं दिखा। हमने पूछा तो बोले-इंद्रधनुष के लिए बादल को बूंदे सप्लाई करनी होती हैं। जब बादल बूंदे बिखरा देता है तो हमारी किरणें उन पर चमकने लगती हैं। जब बूंदों की सप्लाई ही नहीं करेगा बादल तो कहां जाकर चमकने लगें हमारी किरणें।
कुल मिलाकर मामला अलग अलग दलों वाली केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की खींचतान सा लगा। फिर भी हमने पूंछा कि आप अपनी किरणों को कह दीजिए वे चमकने लगे। बादल खुद भेजेगा बूंदों को किरणों के पास।
सूरज भाई ऐसे मुस्काये गोया हमने कोई ज्ञान की बात कह दी। फिर बोले-"बादल को आजकल आवारगी सूझती रहती है। कहीं तो इतना जमकर बरसेगा कि उज्जैन बना देगा। कहीं बिल्कुल सप्लाई रोककर गर्मी का माहौल बना देगा। बादल मनचला है।उसका क्या ठिकाना कब कहां बरसेगा।ऐसे में कहां भेज दें बच्चियों को अकेले भटकने के लिए। आजकल जमाना भी ठीक नहीं।" कहते हुए सूरज भाई बादलों की ओट में चले गए।
मेरे आगे घुटन्ना पहने टहलते आदमी का मोजा क़ानून व्यवस्था की तरह ढीला होकर जूते से सट गया था। सामने से एक आदमी ऐसे चला आ रहा था मानो सड़क के रैंप पर कैट वाक कर रहा हो। बस कमी इतनी ही थी कि बीच-बीच में रुकते हुए लापरवाही से मुस्कान नहीं फेंक रहा था।
एक भाई जी एक हाथ में कुत्ते की जंजीर थामे चले जा रहे थे। सामने से आते दूसरे साथी को देखकर बायें हाथ में थामी लकड़ी को झंडे की तरह उठाते हुए इंकलाबी मुद्रा में नमस्ते किये। दायां हाथ जंजीर थामे रहा या कहें की दायें हाथ में जंजीर थी इसलिए वह वैसे ही बना रहा।इससे यह लगा कि झंडे और जंजीर हाथों को अपने हिसाब से ढाल लेते हैं।
रांझी सड़क पर गिरि जी का बच्चा मिला। सुबह दौड़ का अभ्यास करके आया था। कोहिमा में बीएसएफ का इम्तहान है।5 दिन लगेंगे। देश के मध्य भाग से पूरी सिरे तक पहुंचने में 5 दिन लगते हैं। इससे देश की विशालता और गाड़ियों की गति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
चाय आज रांझी थाने के पास मिश्रा जी के यहां पी। रीवां जाने वाले हैं अगले हफ्ते मिश्रा जी।
एक पुलिस वाले भाई जी फटफटिया पर आये। उनका मध्यप्रदेश व्यापमं की तरह विस्तृत था।चाय पीते हुए बात हुई तो पता चला कि रात की ड्यूटी बजा के आये हैं। थाने से एक सिपाही को भी बुला लिया प्रेम से -आओ चाय पी लो कहते हुए। उस सिपाही से बात करते हुए बताया-साला टी आई सनकी है।तीनों गस्ती सिपाहियों को बुलाकर बार-बार मुस्तैद रहने को बोलता है।
एक और गस्ती पुलिस वाला भी किसी के लिए माँ की गाली देते वार्तालाप में शामिल हो गया। आँखों में नींद की लाली धारण किये हुए सिपाही ने बताया कि रात 16 जुआरी पकड़े गए। सबकी कपड़े उतारकर तलाशी हुई। फिर पहले से 8 लोगों के साथ कुल 24 को एक कमरे में बन्द कर दिया। गर्मी और डर के मारे पसीने पसीने हो गए ....के।
युवा सिपाही ने मेरा ज्ञान बढ़ाते हुए बताया -अदालत और पुलिस में जमकर पैसा खर्च होगा जुआरियों का। कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें पुलिस केस दर्ज करके छोड़ देती है।कुछ में जमानत लेनी पड़ती है।
चाय पीकर पुलिस वाले ने चाय के पैसे दिए और फटफटिया स्टार्ट करके चला गया। हम भी साईकिल पर पैडल किक मारकर लौट लिए।
लौटते में देखा एक आदमी सड़क पर सीधे लेटा था। दूध वाले महेश ने बताया- पागल है। गरीब। लोग बताते हैं सालों पहले बहुत बड़ा गुंडा था। रांझी के दुकानदारों से वसूली करता था। लेकिन सबसे बड़ा गुंडा तो ऊपर वाला है। उसके आगे किसी की गुंडई नहीं चलती। जैसा करेगा कोई वैसा ही फल देर सबेर मिलता है उसको। आज हाल यह है कि कोई दे देता है कुछ तो खा लेता है। ऐसे ही इधर-उधर पड़ा रहता है। आठेक साल से तो हम देख रहे।
सड़क किनारे कूड़े के ढेर में छोटे सुअर गन्दगी में मुंह मारते घूम रहे थे।कल बड़े सूअर कूड़े फैला रहे थे।आज उनके बच्चों का कब्जा था गन्दगी के ढेर पर। राजनीति की तरह यहां भी परिवारवाद छाया हुआ था। एक छोटा सूअर तेजी से दो आगे जाते हुए सूअरों को पीछे छोड़ता हुआ आगे निकल गया। ऐसा लगा कि..... अब छोड़िये आप खुद समझ लीजिये कैसा लगा होगा।
अख़बार में खबर आई है कि स्मार्ट सिटी के चुनाव में भोपाल और इंदौर के बाद जबलपुर तीसरे नम्बर पर रहा है। हम यही सोच रहे हैं कि जबलपुर जब स्मार्ट सिटी बनेगा तो गन्दगी के आंगन में किलकते घूमते इन अबोध सूअरों का क्या होगा? ये साथ रहेंगे रहेंगे स्मार्ट जबलपुर में या फिर कुछ दिन के लिए इधर-उधर हो लेंगे।
खैर जबलपुर तो जब स्मार्ट होगा तब होगा। अभी तो अपन को तैयार होना है दफ्तर के लिए।आप भी मजे करिये।
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- संतोष त्रिवेदी आप तो आलरेडी स्मार्ट हैं।
- अनूप शुक्ल स्मार्टनेस से मना नहीं लेकिन फिर भी तैयार तो होना होगा न ! smile इमोटिकॉन
- Vijay Wadnere वो ... वाले रिक्त स्थान में मुझे "अस्सी घाट" वाले प्रोमो के उन ख़ास शब्दों का स्मरण हो आया - जो मौखिक हिंसा के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं जिनके प्रयोग से प्रयोगकर्त्ता को अद्भुत मानसिक शान्ति प्राप्त होती है।
- अनूप शुक्ल सही। मन का कूड़ा हवा में उछाल के मन खुश हो जाता है। smile इमोटिकॉन
- Mazhar Masood हमारा शहर तो स्मार्ट लिस्ट में नहीं पर आप की चिंता सही है अगर कूड़ा हट गया तो यह मासूम जानवर विशेष कर बकरी , गाए , सुवर अपना भोजन कहाँ तलाश करें गे
- अनूप शुक्ल वही तो। शहर बनाने में उनका भी तो योगदान है। smile इमोटिकॉन
- Virendra Bhatnagar गुज़रे सालों में कई रेल मंञियों ने बड़े जोर-शोर से घोषणा की थी कि फलाँ-फलाँ रेलवे स्टेशनों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बनाषया जायेगा। उसके बाद कुछ स्टेशनों के मुख्य प्लेटफार्म को रंग-पोत दिया गया, कुछ नियोन लाइट्स लग गईं और थोड़ी बहुत टीम-टाम कर दी गई।...और देखें
- अनूप शुक्ल उससे अलग लगता नहीं कुछ बनेगा। smile इमोटिकॉन
- Mazhar Masood क़समें , वादे , सब वादे हैं। वादों का क्या , भटनागर साहब हम भी तो दोषी हैं , अपने घर का कूड़ा दूसरे के घर के सामने डालते है ,
- अनूप शुक्ल हम भी अपराधी हैं । smile इमोटिकॉन
- Manoj Yadav Aisa laga ki.... Ab chodiye aap khud samjh lijiye. Epic lines sir.
- अनूप शुक्ल smile इमोटिकॉन
- राजेश सेन आपको ख़ालिस 'व्यंग्यकार' की बजाय "कवि-व्यंग्यकार" की नई उपाधि से नवाज़ना श्रेयस्कर होगा ! क्या कल्पना शक्ति है आपकी ! मैनें देखा है कम ही व्यंग्यकार कल्पना-शक्ति का इतना अच्छा इस्तेमाल करते है जिसमें से एक आप भी हैं ! वरना कुछ व्यंग्यकार तो कवि व व्यंग्यकार अलग-अलग दो अवतारों में नज़र आते हैं ! आप दोनों का "काम्बो" पैक हैं ! अप्रतिम सर !
- अनूप शुक्ल ओह । सोचते हैं शरमाते हुए धन्यवाद देने का कोई आइकन होता तो उसको सटा के इस्माइली भेज देते।
- विद्या शंकर मौर्य सुप्रभातम् श्रीमान् जी।।
- अनूप शुक्ल शुभ दोपहरी।
- Alok Ranjan gd day sir
- अनूप शुक्ल गुड हो।
- अनूप शुक्ल smile इमोटिकॉन
- मोनिका जैन 'पंछी' ये रहा rainbow और हम कर रहे हैं मजे smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल ऐसे ही मजे करती रहो। smile इमोटिकॉन
Ram Singh मजे
मजे में मजेदार साइकिलाना व्यंग्य कहते श्री अनूप शुक्ल जी हँसते हँसाते
यात्रा करा जाते हैं । चाय तो खैर जरिया है दिलजोई का ;बतकही करते करते
सबके दुख-सुख को परोस देते हैं , अब सुड़कते रहिए कप - प्लेट में ।
सियासत की मसालालेदार कहानियों से रूबरू कराने के माहिर लिक्खाड़ कथाकार अनूप अनूठे हैं ।पाठक पढ पढ कर मस्त मजे करते हैं , आप याद दिलाकर दफ्तर को सरक लेते हैं । जय हो !
सियासत की मसालालेदार कहानियों से रूबरू कराने के माहिर लिक्खाड़ कथाकार अनूप अनूठे हैं ।पाठक पढ पढ कर मस्त मजे करते हैं , आप याद दिलाकर दफ्तर को सरक लेते हैं । जय हो !
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