आज भोर में जन नयन-पट खुले मल्लब आँख का पलक-शटर खुला तो याद आया कि
साइकिल में हवा कम है। सो आज पइयां -पइयां टहलने निकल लिए। घुटन्नाधारी
पच्चल सवारी।
सूरज भाई फूल वाल्यूम में विराजमान थे आसमान पर। पूर्ण बहुमत के साथ उनकी सरकर चल रही थी। आते ही अन्धकार तत्वों का संहार कर देने का तेज और सन्तोष उनके चेहरे पर पसरा हुआ था। हमने उनको गुडमार्निंग कहा तो उन्होंने भी चमकते हुए शुभप्रभात बोला।
फैक्ट्री के गेट के आगे एक बच्चा एक ट्रेलर से सामान की रस्सी खोल रहा था। नाम सिंटू। उम्र 17 साल। कक्षा 5 पास। रहवैया जिला गया। बिहार। पिता मजूरी करते हैं। कभी मिलती है। कभी नहीं। कुल चार भाई दू बहन में सिंटू भाइयों में सबसे छोटे हैं। बहन एक बड़ है एक छोट।
पहली बार घर से निकले हैं सिंटू। 5 दिन लगे जमशेदपुर से जबलपुर आने में। पता नहीं है बच्चे को कि कौन शहर आये हैं। घर की याद आती है? पूछने पर बोले-हां आती है न। माँ ,बाबू, भाई, बहन सबकी याद आती है।
आगे चलकर क्या तुम भी ड्राइवर बनोगे? पूछने पर बोले-सिखाएगा तब न बनेगे। महीने के 4000 रुपया देगा अभी ड्राइवर। खाना अलग से।
साथ में बुलाकर चाय पीते हुए बात करते रहे हम। जल्दी-जल्दी चाय सुड़ककर वह अपने डाले पर चला गया। चाय की दुकान वाले पटेल जी ने बताया -इससे छोटे-छोटे बच्चे भी आते हेल्पर के रूप में।
चाय की दुकान के पास टूटे बेंचासन पर और ड्राइवर बैठे थे। बता रहे थे जमशेदपुर से जबलपुर रोड ठीक है। कहीं-कहीँ कुछ गड़बड़ है।
बिहार में किसकी सरकार बनेगी पूछने पर बोले-उ त आखिरी दिन पता चलेगा। अभी तो भाषणबाजी चल रहा है। सुनतेही होंगे टीवी पर।
नितीश कुमार के बारे में बोले- काम बहुत किया नितीश कुमार। पहले तो सब घपला-घोटाला ही होता रहा। बकिया एक अकेला आदमी कित्ता कर लेगा। सब व्यवस्था दुरुस्त किया। स्कूल में कॉपी-किताब, स्याही,खाना सब मिलने लगा। हमारे समय कहां मिलता था सब।
ड्राइवरी की बात चली तो बोले-अब ड्राइवर के लिए मैट्रिक पास होना जरूरी हो गया है। पहले तो ठेंपा लगाने वाला भी स्टियरिंग घुमाने लगता था। पढ़ा-लिखा होगा ड्राइवर तो रोड पर जो लिखा होगा पढ़ लेगा। दायें मुड़ना है कि बाएं -देख लेगा।
बात करते हुए गाने सुन रहे थे मोबाईल पर ड्राइवर लोग।भरत शर्मा की आवाज सुनाई दी--
ड्राइवरों में ही बुजुर्ग सान्याल सिंह भी थे। जमीन पर बैठे थे। ड्राइवर के साथ सहायक के रूप में आये हैं। पता चला कि 4 जनवरी, 2000 को टाटा से रिटायर्ड हैं। मतलब अब उम्र 75 साल। टाटा में असेम्बली लाइन में थे। काम इसलिए करते हैं ताकि शरीर फिट रहे। सब लोग उनको बाबा कह रहे थे।
स्वास्थ्य की बात चली तो बाबा ने बताया कि स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा नुकसान तनाव के चलते होता है। शरीर भी मशीन है। मशीन में कोई वाइब्रेशन होता है तो मशीन आगे चलकर गड़बड़ होती है। तनाव भी शरीर की मशीन को डिस्टर्ब करता है। लोग कह देते हैं- यह कर लाओ। डू इट। तुरन्त चाहिए। अब अगर करने की क्षमता या जानकारी नहीं है किसी में तो उसमें डिस्टर्बेंस होगा। लगातार ऐसा होगा तो तबियत गड़बड़ायेगी। स्वास्थ्य ठीक रहने के लिए सबसे जरूरी है तनाव से बचना। तन और मन की क्षमता के अनुसार ही जिंदगी जीना चाहिए।
सान्याल सिंह उर्फ़ बाबा जी ने और भी बहुत बातें बताईं।जिनको हम जानते हैं लेकिन अमल में नहीं लाते इसलिए टेंशनियाते हैं।
चाय की दूकान से चलते हुए पैसा देना भूल गए। पर थोड़ी ही देर में याद आया तो लौटकर दिए। दोनों लोग मुस्कराए भी। लौटते हुए देखा कि सिंटू ट्रेलर के नीचे घुसा जंजीर खोल रहा था सामान का। केवल पैर दिख रहे थे उसके। सर नहीं दिख रहा था-उसके भविष्य की तरह।
पुलिया पर पहुंचे तो वहां मड़ई से चलकर कन्चनपुर के लिए मिटटी के बर्तन बेचने निकली छोटीबाई मिली। 30 रुपए के बर्तन कुम्हार से लेती हैं। 40 तक बेंचती हैं कन्चनपुर में। बीच में एक जगह और रुकी थीं। अब यहां से चलेंगी तो सीधे कन्चनपुर रुकेंगी।
परिवार में 4 बेटियां हैं। पति 20 साल पहले नहीं रहा। टीबी थी। सरकारी इलाज कराया। बचा नहीं। तब सब बेटियां छोटी थीं। अब सबकी शादी हो गयी। एक नाती साथ रहता है। पति के न रहने पर कुछ न कुछ काम करती रहती हैं। जीविका के लिए।
रोज के 40-50 रूपये कमाई है। गरीबी वाला कार्ड बना नहीं। पता नही कब आर्डर होगा।
कभी-कभी भूखे भी रहना होता होगा जब पैसे नहीं होते होंगे। यह पूछने पर हंसते हुए बोली छोटीबाई--भूखे काहे रहेंगे? भगवान सब देता है। भूखा कभी नही रहता।
50 रूपये दिहाड़ी वाली छोटीबाई की हंसी में जीवन के प्रति जो आस्था है उसको नमन करते हुए मैं वापस लौट आया।
सुबह हो गयी। जिनका सप्ताहांत हैं वो मजे करें। जिनको काम पर निकलना है वो मन लगाकर ख़ुशी-ख़ुशी काम पर निकलें। घर में रहने वाले लोग भी अपना ख्याल रखें। शरीर एक मशीन है इसका ख्याल रखें। अनावश्यक तनाव न लें।
लिएंडर पेस अभी टीवी पर कह रहे हैं कि मुझे पता है कि अगर मैं हिंगिस को खुश रख सकूंगा तो हम जीतेंगे ही।
आप भी अपने को खुश रखिये।मुस्कराइए। देखिये कितने खूब लग रहे/रहीं हैं आप। देखिये तो सही। फिर से मुस्कराने का मन होगा।
आपका दिन शुभ हो।
सूरज भाई फूल वाल्यूम में विराजमान थे आसमान पर। पूर्ण बहुमत के साथ उनकी सरकर चल रही थी। आते ही अन्धकार तत्वों का संहार कर देने का तेज और सन्तोष उनके चेहरे पर पसरा हुआ था। हमने उनको गुडमार्निंग कहा तो उन्होंने भी चमकते हुए शुभप्रभात बोला।
फैक्ट्री के गेट के आगे एक बच्चा एक ट्रेलर से सामान की रस्सी खोल रहा था। नाम सिंटू। उम्र 17 साल। कक्षा 5 पास। रहवैया जिला गया। बिहार। पिता मजूरी करते हैं। कभी मिलती है। कभी नहीं। कुल चार भाई दू बहन में सिंटू भाइयों में सबसे छोटे हैं। बहन एक बड़ है एक छोट।
पहली बार घर से निकले हैं सिंटू। 5 दिन लगे जमशेदपुर से जबलपुर आने में। पता नहीं है बच्चे को कि कौन शहर आये हैं। घर की याद आती है? पूछने पर बोले-हां आती है न। माँ ,बाबू, भाई, बहन सबकी याद आती है।
आगे चलकर क्या तुम भी ड्राइवर बनोगे? पूछने पर बोले-सिखाएगा तब न बनेगे। महीने के 4000 रुपया देगा अभी ड्राइवर। खाना अलग से।
साथ में बुलाकर चाय पीते हुए बात करते रहे हम। जल्दी-जल्दी चाय सुड़ककर वह अपने डाले पर चला गया। चाय की दुकान वाले पटेल जी ने बताया -इससे छोटे-छोटे बच्चे भी आते हेल्पर के रूप में।
चाय की दुकान के पास टूटे बेंचासन पर और ड्राइवर बैठे थे। बता रहे थे जमशेदपुर से जबलपुर रोड ठीक है। कहीं-कहीँ कुछ गड़बड़ है।
बिहार में किसकी सरकार बनेगी पूछने पर बोले-उ त आखिरी दिन पता चलेगा। अभी तो भाषणबाजी चल रहा है। सुनतेही होंगे टीवी पर।
नितीश कुमार के बारे में बोले- काम बहुत किया नितीश कुमार। पहले तो सब घपला-घोटाला ही होता रहा। बकिया एक अकेला आदमी कित्ता कर लेगा। सब व्यवस्था दुरुस्त किया। स्कूल में कॉपी-किताब, स्याही,खाना सब मिलने लगा। हमारे समय कहां मिलता था सब।
ड्राइवरी की बात चली तो बोले-अब ड्राइवर के लिए मैट्रिक पास होना जरूरी हो गया है। पहले तो ठेंपा लगाने वाला भी स्टियरिंग घुमाने लगता था। पढ़ा-लिखा होगा ड्राइवर तो रोड पर जो लिखा होगा पढ़ लेगा। दायें मुड़ना है कि बाएं -देख लेगा।
बात करते हुए गाने सुन रहे थे मोबाईल पर ड्राइवर लोग।भरत शर्मा की आवाज सुनाई दी--
'राजा गांजा न पियब खराब हुई जाइबा'फिर वहीं खड़े-खड़े शराब और गांजे का तुलनात्मक अध्ययन हुआ। शराब खून का बहाव तेज करती है। आदमी प्रधानमन्त्री तक को गरिया देगा। डरेगा नहीं शराब के नशे में। गांजे में ब्लड प्रेसर धीमा होता है। आदमी शांत रहता है। इसका मतलब गांजा शराब के मुकाबले बेहतर नशा होता है-यह बातचीत शुरू तो हुई लेकिन अंतिम निष्कर्ष नहीं निकल सका।
ड्राइवरों में ही बुजुर्ग सान्याल सिंह भी थे। जमीन पर बैठे थे। ड्राइवर के साथ सहायक के रूप में आये हैं। पता चला कि 4 जनवरी, 2000 को टाटा से रिटायर्ड हैं। मतलब अब उम्र 75 साल। टाटा में असेम्बली लाइन में थे। काम इसलिए करते हैं ताकि शरीर फिट रहे। सब लोग उनको बाबा कह रहे थे।
स्वास्थ्य की बात चली तो बाबा ने बताया कि स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा नुकसान तनाव के चलते होता है। शरीर भी मशीन है। मशीन में कोई वाइब्रेशन होता है तो मशीन आगे चलकर गड़बड़ होती है। तनाव भी शरीर की मशीन को डिस्टर्ब करता है। लोग कह देते हैं- यह कर लाओ। डू इट। तुरन्त चाहिए। अब अगर करने की क्षमता या जानकारी नहीं है किसी में तो उसमें डिस्टर्बेंस होगा। लगातार ऐसा होगा तो तबियत गड़बड़ायेगी। स्वास्थ्य ठीक रहने के लिए सबसे जरूरी है तनाव से बचना। तन और मन की क्षमता के अनुसार ही जिंदगी जीना चाहिए।
सान्याल सिंह उर्फ़ बाबा जी ने और भी बहुत बातें बताईं।जिनको हम जानते हैं लेकिन अमल में नहीं लाते इसलिए टेंशनियाते हैं।
चाय की दूकान से चलते हुए पैसा देना भूल गए। पर थोड़ी ही देर में याद आया तो लौटकर दिए। दोनों लोग मुस्कराए भी। लौटते हुए देखा कि सिंटू ट्रेलर के नीचे घुसा जंजीर खोल रहा था सामान का। केवल पैर दिख रहे थे उसके। सर नहीं दिख रहा था-उसके भविष्य की तरह।
पुलिया पर पहुंचे तो वहां मड़ई से चलकर कन्चनपुर के लिए मिटटी के बर्तन बेचने निकली छोटीबाई मिली। 30 रुपए के बर्तन कुम्हार से लेती हैं। 40 तक बेंचती हैं कन्चनपुर में। बीच में एक जगह और रुकी थीं। अब यहां से चलेंगी तो सीधे कन्चनपुर रुकेंगी।
परिवार में 4 बेटियां हैं। पति 20 साल पहले नहीं रहा। टीबी थी। सरकारी इलाज कराया। बचा नहीं। तब सब बेटियां छोटी थीं। अब सबकी शादी हो गयी। एक नाती साथ रहता है। पति के न रहने पर कुछ न कुछ काम करती रहती हैं। जीविका के लिए।
रोज के 40-50 रूपये कमाई है। गरीबी वाला कार्ड बना नहीं। पता नही कब आर्डर होगा।
कभी-कभी भूखे भी रहना होता होगा जब पैसे नहीं होते होंगे। यह पूछने पर हंसते हुए बोली छोटीबाई--भूखे काहे रहेंगे? भगवान सब देता है। भूखा कभी नही रहता।
50 रूपये दिहाड़ी वाली छोटीबाई की हंसी में जीवन के प्रति जो आस्था है उसको नमन करते हुए मैं वापस लौट आया।
सुबह हो गयी। जिनका सप्ताहांत हैं वो मजे करें। जिनको काम पर निकलना है वो मन लगाकर ख़ुशी-ख़ुशी काम पर निकलें। घर में रहने वाले लोग भी अपना ख्याल रखें। शरीर एक मशीन है इसका ख्याल रखें। अनावश्यक तनाव न लें।
लिएंडर पेस अभी टीवी पर कह रहे हैं कि मुझे पता है कि अगर मैं हिंगिस को खुश रख सकूंगा तो हम जीतेंगे ही।
आप भी अपने को खुश रखिये।मुस्कराइए। देखिये कितने खूब लग रहे/रहीं हैं आप। देखिये तो सही। फिर से मुस्कराने का मन होगा।
आपका दिन शुभ हो।
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