गंगा बैराज पर गंगा |
सड़क पर दो कुत्ते विपक्षी पार्टियों की तरह एक-दूसरे पर भौंकते, उलझते, सुलझते मस्ती टाइप कर रहे थे। किसी आदमी को आते देख दोनों आपस में लड़ना छोड़कर उसपर मिलकर भौंकने लगते। आदमी पर भौंकते समय दोनों कुत्ते हो जाते । एक हो जाते जैसे धुर विरोधी विचार वाली पार्टियां चंदे के मामले में एक हो जाती हैं।
क्रासिंग पर दो टेंपो वाले किसी बात पर उलझ गए। तीसरा आकर एक का साथ देने लगा। अब एक टेम्पो वाले को दो से निपटना था। दोनों में से एक ने मारने के लिए हाथ उठाया। टेम्पो वाले ने उससे बचने के लिए हाथ बढ़ाया तब तक दूसरे ने उसको पीछे से थपड़िया दिया। पिटा हुआ टेम्पो वाला मुझे देश की जनता की तरह लगा जिसको सरकार ने काला धन पर रोकथाम के नाम पर नोटबंदी की चोट मार दी। लोग थोड़ी देर तक देखते रहे कि शायद कुछ और हो आगे लेकिन हम निकल लिए आगे।
बहुत दिन बाद गंगा नदी दिखी आज। सूरज की किरणें पानी में उतरकर बिंदास नहा रहीं थी। किरणें पानी में नहाते हुए खिलखिला रहीं थीं। ऊपर से सूरज भाई वात्सल्य से अपनी बच्चियों को मजे करते देख रहे थे। बाकी की किरणें कायनात को चमकाने में लगी हुई थी।
सूरज भाई हँसते हुए बोले - 'ठीक करते हो।बवाल से हमेशा 'हजार स्टेटस' की दूरी पर रहा करो। बहुत मन हुड़के कुछ लिखने का तो कोई ऐसे शेर ठेल दिया करो जिसको दोनों तरफ के लोगों को लगे कि तुम उनका समर्थन कर रहे हो। उनकी भी जय-जय। इनकी भी जय-जय। इसके बाद भारतमाता की जय। वन्देमातरम। इंकलाब जिंदाबाद कहकर फूट लिया करो।'
चाय की दुकान पर टैंया |
हम पूछे यहां कौन सा शेर फिट होगा भाई जी?
बोले बहुत हैं यार। गूगल किया करो। यही लिख मारो:
लम्हों ने खता की है
सदियों ने सजा पाई।
हमने कहा - 'न भाई अब इस मसले पर शेर-चीता बाजी न करेंगे।बवाल है ई सब। '
सड़क पर एक आदमी झाड़ू लगा रहा है। कूड़ा बीच सड़क से किनारे इकट्ठा कर रहा है। लगा कि कोई बैंकर बन्दनोट पर झाड़ू मार रहा है। एक बच्चा सड़क पर पानी की धार मार रहा है। मीलों दूर पसरी सड़क में कुछ मीटर पानी की घार ऐसे लग रही है मानो शहर के हजारों एटीएम में से किसी एक में नोट आ जाने से वो गुलजार दिखे।
ढाबे पर काम करता बच्चा चाय में बिस्कुट जल्दी-जल्दी डुबाकर खा रहा है। स्वेटर नहीँ पहने है। जाड़ा बचाने के लिए कमर हिलौवा डांस करता जा रहा है। साथ के लड़के से चुहल करते हुए मुस्कराता भी जा रहा है। शायद गाना भी गा रहा हो मन ही मन - 'बेबी को बेस पसंदा।'
ठिठुरता, डांस करता, मुस्कराता , चाय पीता और बतियाता बच्चा मल्टी टास्किंग का ब्रांड एम्बेसडर लग रहा था।
दस बारह साल के बच्चे को सुबह-सुबह ढाबे पर काम करते देख याद आया कि बालश्रम तो अपराध है। सरकार इसके खिलाफ है। अच्छा हुआ मैंने उससे कुछ लिया नहीं। अनजाने अपराध से बचे।
सड़क पर धूप पसरी हुई है। खिड़की से आती धूप बता रही है कि धूप गुनगुनी है। यह गुनगुनी धूप दुनिया में बहुतों को नसीब नहीं है। हमको मुफ़्त में मिल रही। इफरात में। हम इसके मजे लेते हुए सूरज भाई को धन्यवाद देने के लिए मुंडी उनकी तरफ करते हैं तो उनको मुस्कराते देखकर चुप रह जाते हैं। एक किरण भागते हुए आती है और हमारे चेहरे पर कबड्डी जैसी खेलते हुई मस्तियाने लगती है। उसके साथ उसकी अनगिनत सहेलियां भी हैं।
सब मजे से खेल रहीं हैं। धक्कम-मुक्का करते हुए पूरी कायनात को एलानिया बता रही हैं - उठो सोने वालों, सुबह हो गयी है- सुहानी वाली सुबह।
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