Sunday, August 20, 2017

हम पंचन की कौन छुट्टी?




निराला जी ने वह तोड़ती पत्थर लिखी। दसकों पहले। आज ये लोग ईंट तोड़ते मिले। मजदूरी की बात पर बोली -'एक गाड़ी खड़खड़ा ईंट की तुड़ाई के 50 रुपया मिलत हैं। कल 5 गाड़ी डाल गया था खड़खड़ा वाला। अब तक नहीं तोड़ पाए। हाथे माँ गट्ठा पड़िगे हैं।'
दो लोग मिलकर एक दिन में 250 रुपये की गिट्टी नहीं तोड़ पाए। उप्र में आजकल न्यूनतम मजदूरी 350 रुपये के ऊपर है।
ईंट तोड़ती हुई महिला ने सड़क पर झाड़ू लगाती महिला से पूछा -'आज इतवार को भी ड्यूटी है। छुट्टी नहीं है।'
'इतवार का छुट्टी सरकारी लोगन की होति है। हम पंचन की कौन छुट्टी?'- झाड़ू लगाती महिला ने कहा।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10212353399043549

No comments:

Post a Comment