1. शब्द समुदाय में लिंग के आधार पर व्यवहार भेद नही होता।
2. खेलों में फ़िक्सिंग रोकनी है तो खिलाड़ियों को फ़िक्सिंग न करने के लिये ’नॅान फ़िक्सिंग एलाउंस’ (नफ़ा) मिलना चाहिये।
3. सरकार हर विभाग के लिये, हर मंत्री के लिये, हर पद के लिये उसकी घोटाला क्षमता के अनुसार नॅान घोटाला एलाउंस घोषित कर दे। फ़िर संभव है कि देश में घपले घोटालों का नामोनिशान मिट जाये। घपला करने वाले आजकल के ईमानदारों की तरह अल्पसंख्यक हो जायें।
4. सोचते हैं कोई बहुत बड़ी बेवकूफ़ी की बात कह डालें लेकिन फ़िर आलस्य हावी हो जाता है। इस चक्कर में दूसरे बाजी मार ले जाते हैं।
5. दुनिया में बेवकूफ़ी का अस्तित्व हमेशा से रहा है। लेकिन बेवकूफ़ी को उचित सम्मान कभी नही मिला। बहुमत हमेशा उपेक्षित रहा।
6. शुद्ध बेवकूफ़ कभी अपने को ज्ञानी कहलाने के फ़ेर में नही पड़ता। शुद्ध बेवकूफ़ पवित्रात्मा होता है। निर्मल! निडर! बेखौफ़! वह अशुद्ध बेवकूफ़ों और फ़र्जी ज्ञानियों की तरह अपने को बेवकूफ़ी से दूर दिखाने के झमेले में नही पड़ता। छाती ठोंककर कहता है ‘हां भाई हम बेवकूफ़ हैं। बताइये क्या सेवा करें?’
7. दुनिया में बेवकूफ़ी न होती तो अकलवालों के हाल कौड़ी के तीन होते।
8. दुनिया का सारा कारोबार लोगों की बेवकूफ़ी के सहारे चल रहा है। इस ज़हान में जित्ते सारे इस्मार्ट, इंटेलीजेन्ट, दिमागी लोग हैं सबका भौकाल लोगों की बेवकूफ़ी के चलते ही है।
9. किसी भी बात पर फ़ट से सहमत हो जाना समझदार होने का साइनबोर्ड है।
10. बेवकूफ़ी का सौंन्दर्य अद्भुत होता है। अनिर्वचनीय, अवर्णनीय, गूंगे का गुड़ टाइप।
11. ‘जाने-अनजाने कही कोई बेवकूफ़ी न हो जाये’ का असुरक्षा भाव हर होशियार व्यक्ति का पीछा वोडाफ़ोन वाले कुत्ते की तरह करता रहता है।’
12. समझदार व्यक्ति सरेआम बेवकूफ़ी से संबंध जाहिर करने से बचता है। वो अपनी बेवकूफ़ी के साथ वैसा ही व्यवहार करता है जैसा पुराने जमाने के रईस अपनी अवैध सन्तान से करते थे।
13. समझदार डरता है। बेवकूफ़ी निडर होती है। निडर, बिन्दास, निर्द्वन्द।
14. नाटक श्रृंगार रस की जान है। वीर रस तक बिना दिखावे के नही जमता आजकल। वीर रस के कवि को भी अपने चेहरे पर क्रोध का श्रृंगार करना पड़ता है।’
15. कवि होने के लिये शर्म से निजात पाना पहली आवश्यकता होती है।’
16. श्रृंगार रस में आम तौर पर लड़के लोग लड़कियों की खूबसूरती की तारीफ़ करते हुये कविता लिखते हैं। इसमें सिद्ध होने के लिये खूब झूठ बोलना और झांसा देना आना चाहिये।
17. अगर चांद न होता तो संसार भर की तमाम सुन्दरियां बिना खूबसूरती की तारीफ़ सुने दुनिया से निकल लेतीं। चांद दुनिया भर की सुन्दरियों के लिये परमानेंट सब्सिडी आइटम है।
18. जब कोई तर्क न समझ में आये तो अंग्रेजी दाग देनी चाहिये।
19. आदमियों की तरह हरकतें करोगे तो सजा भी आदमियों की तरह ही पाओगे।
20. आर्किमीडीज की खोज को उसके नंगेपन ने पिछाड़ दिया। स्वाभाविक भी है। दुनिया नंगे से डरती है।
21. सबसे पहला होने की दौड़ आदमी को बहदवास कर देती है। वह नंगई पर उतर आता है।
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