मन कर रहा कि अब उठे , फ़ौरन नहा के आ जाएँ
लेकिन सोचते हैं कि दौड़ के दूकान से दूध ले आएं।
लेकिन सोचते हैं कि दौड़ के दूकान से दूध ले आएं।
बाहर बगीचे में फूल खिला है अपने पूरे जलवे से
मन किया निकालें कैमरा, फूल को कैद कर लाएं।
मन किया निकालें कैमरा, फूल को कैद कर लाएं।
आइडिये उछल रहे हैं सबेरे से स्वयं सेवकों की तरह,
हल्ला मचा रहे हैं हमको लगाएं, पहले हमको लगाएं।
हल्ला मचा रहे हैं हमको लगाएं, पहले हमको लगाएं।
देश की चिंता भी करने को बहुत पड़ी है यार इकठ्ठा
चूक गए तो कहीं और कोई ' देश चिंता' न कर जाए।
चूक गए तो कहीं और कोई ' देश चिंता' न कर जाए।
काम इतने इकठ्ठा है बेचारा,परेशान है दिन इतवार का,
फिर सोचेंगे क्या करें पहले, चाय एक कप और हो जाए।
फिर सोचेंगे क्या करें पहले, चाय एक कप और हो जाए।
-कट्टा कानपुरी
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