आओ साथी चाय पिलाएं |
आओ साथी चाय पिलाएं,
थोड़ा बातें-सातें हो जाएं
गप्प लड़ायें ऊंची वाली
थोड़ी लंतरानी भी हो जाये।
बिल्ली उचकती ढाई टांग पर,
सूरज की किरणें दुलरायें,
बन्दर गड़बड़ काट रहे हैं,
उछल रहे हैं डाल-डाल पर।
सूरज की किरणें दुलरायें,
बन्दर गड़बड़ काट रहे हैं,
उछल रहे हैं डाल-डाल पर।
हमने चाय पिलाई तुमको
अब थोड़ा सा फौरन मुस्काओ
चाय और स्वादिष्ट लगेगी
सुबह और खुशनुमा हो जाये।
अब थोड़ा सा फौरन मुस्काओ
चाय और स्वादिष्ट लगेगी
सुबह और खुशनुमा हो जाये।
-कट्टा कानपुरी
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