कबाड़ी ठेले पर कबाड़ लादे जा रहा था। ऊपर प्लास्टिक की कुर्सियां और प्लास्टिक की बिन्स। गन्ने की दुकान वाले ने शायद कूड़ेदान के लिए प्लास्टिक की डलिया के दाम पूछे।
'पेंदा नहीं है उनमें' - कबाड़ी ने ठिलिया को धकियाते हुए बताया।
कूड़ेदान भी बिना पेंदे का बेकाम होता है। हम लोग इधर-उधर लुढ़कते-पुढकते बेपेंदी के जनप्रतिनिधियों से काम चला रहे हैं। खराब चीजों से काम चलाने की हमारी क्षमता जबरदस्त है। कूड़े से बिजली तो तमाम देश बना लेते हैं। हम कबाड़ हुए प्रतिनिधियों से भी अपना काम चला लेते हैं।
गन्ने की दुकान पर रस पीते हुए हमने मोटरसाइकल पर बगल में रस पीते नौजवान जोड़े को देखा। लड़की शायद गर्मी से बचने के लिए पूरा चेहरा ढंके थी। लड़का खुल्ला मुंह। गर्मी भी लिंग भेद करती है।
मोटरसाइकल की प्लेट पर UP70 लिखा था। पता चला इलाहाबाद का नम्बर है। कानपुर का नम्बर UP78 होता है। इसी बतकही को आगे बढ़ाते हुए पांच सात मिनट हो गए। गन्ने का रस 10 रुपये का पड़ा।
एक टेलर अपनी सिलाई मशीन सड़क किनारे धरे सिलाई में मशगूल था। एक लड़का नाप देने आया। शायद पायजामा बनवाना होगा। टेलर ने स्टूल पर बैठे-बैठे लड़के की कमर में फीता डालकर नाप ले ली। लंबाई के लिए फीता कमर से नीचे लटकाकर दिया। गुरुत्वाकर्षण के चलते फीता नीचे लटक गया। लंबाई नप गई। यही लंबाई अगर अंतरिक्ष में नापनी होती तो फीता नीचे नहीं लटकता। कोई और जुगाड़ लगाना होता नाप लेने के लिए। कैसे नाप होती कल्पना कीजिये।
वैसे कल्पना करने को एक कल्पना अपन करते हैं। पानी में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होते हैं। पानी की कमी दूर करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के पाउच मिलने लगेंगे कभी। जिसको पानी पीना होगा वह एक पाउच से आक्सीजन और दूसरे से हाइड्रोजन निकालेगा। सुर्ती और चूने की तरह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को रगड़ पानी बनाएगा और फांक लेगा।
इसके साथ ही मानो कहीं आक्सीजन की कमी हुई। वहां वह पानी के अणु को पटककर या छीलकर आक्सीजन और हाइड्रोजन अलग-अलग कर लेगा। आक्सीजन को सूंघकर सांस ले लेगा। हाइड्रोजन को अलग पुड़िया में धर लेगा।
आप को मेरी बातें अगर लंतरानी लगें तो कोई ताज्जुब नहीं है। हमको भी लगती हैं। लेकिन अपने लोकतंत्र और संविधान में लंतरानी हांकने में कोई रोक भी तो नहीं है।
दुनिया के तमाम अविष्कार सही सिद्ध होने के पहले लंतरानी ही माने गए हैं। अब यह अलग बात है ज्यादातर लंतरानी बिना पेंदे की होती हैं और उनकी हैसियत मात्र कबाड़ की होती है।
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