नशा चढ़कर बोलता है। दो रिक्शेवाले भाई इतनी गम्भीरता से बतिया रहे थे देखकर लगा कि किसी राजनैतिक पार्टी के मुखिया सीटों के तालमेल पर 'मिस्कौट' कर रहे हों।
पास खड़े होकर हमने सुनना चाहा तो कुछ समझ नहीं आया। मुंह से निकले शब्द गड्डमड्ड, टूटे-फूटे। हल्की बू के अलावा कोई सुराग न मिला। पास में शराब का ठेका देखकर अंदाज लगा कि इस बू की स्रोत वही दुकान है।
हमको पास खड़े देखकर अगले ने हमको भी आधी सीट उदारता पूर्वक ऑफर कर दी। ऐसे जैसे अपने संभावित गठबंधन में शामिल होने का न्योता दे दिया। हमने विनम्रता पूर्वक मना कर दिया। कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी नहीं अपन की।
परसाई जी कहते हैं जो लोग राजनीति से अलग रहने की बात करते हैं वे सबसे बड़े राजनीति करने वाले होते हैं। इस लिहाज से तो समूचा समाज राजनीति करने वाला हुआ ठहरा।
हाथ में सुलगती बीड़ी पकड़े दोनों लोग बतियाते रहे। हम चले आये।
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