Saturday, October 12, 2019

कमलेश पांडेय को ज्ञान चतुर्वेदी सम्मान की बधाई

आज कमलेश पांडेय को वलेस घराने का तीसरा ज्ञान चतुर्वेदी मिलना है। महाकाल की नगरी उज्जैन में। इसके साथ ही कमलेश जी वरिष्ठ व्यंग्यकार भी हो गए। इस सम्मान के लिए कमलेश जी को बधाई

यह तीसरा ज्ञान चतुर्वेदी सम्मान वलेश घराने का चौथा सम्मान है। वलेस का पहला सम्मान निर्मल गुप्त और लखनऊ के एक अन्य साहित्यकार को मिला था जो शायद अब वलेस में हैं नहीं।
इसके साथ ही कमलेश जी के परिचय में सम्मान के आगे कोई नहीं वाली जगह अब 'ज्ञान चतुर्वेदी सम्मान' लिखा जा सकेगा।
वलेस सम्मान को भी
बधाई
मध्य प्रदेश की परिधि से बाहर निकलकर दिल्ली की कक्षा में स्थापित होने के लिए।
कमलेश पांडेय ठहर कर लिखने वाले आलसी घराने के लेखक हैं। दिल्ली की नौकरी का मारा , वरिष्ठ व्यंग्यकार बेचारा। इनके आलस्य को कोंचकर इनको जगाना पड़ता है तब उससे इनका लेखन बाहर आता है। आलोक पुराणिक की संगत का कोई असर नहीं पड़ा उन पर। उनका यह आलस्य किताब छपने-छपाने में भी हावी रहता है।
इस कार्यक्रम में मुझे भी शामिल होना था। रिजर्वेशन बहुत पहले ही करा रखा था लेकिन दफ्तरी व्यस्तताओं के चलते निरस्त कराना पड़ा। कमलेश जी को सम्मानित होते फोटुओं में देखना पड़ेगा अब।
'सेल्फी बसन्त के साथ' कमलेश जी सबसे ताजी किताब है। इसके छपने की योजना मंडी हाउस में चाय की दुकान पर बनी। संयोग कि इस छपाई की साजिश में शामिल आलोक पुराणिक और अनूप शुक्ल उज्जैन जाने से वंचित रह गए। महाकाल ने केवल कमलेश पांडेय को चुना अपनी कृपा प्रदान करने के लिए। जय हो महाकाल की।
सम्मान समारोह की झलकियां अब फोटुओं , वीडियो में ही देखने को मिलेंगी। पता नहीं भोपाल में रहने वाले रवि रतलामी जी जैसा कोई प्रतिबद्ध रिकॉर्डर उज्जैन में होगा कि नहीं जो पूरे कार्यकरण की अविकल रिकार्डिंग उपलब्ध करा सके।
बहरहाल कमलेश जी एक बार फिर से
बधाई
बधाई
टीम वलेस को इस कार्यक्रम के सफल आयोजन की।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10217801329678410

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