पुराने ब्लॉगर साथी अनूप शुक्ल जी की किताबों को जब अमेज़न पर सर्च किया तो रुझान पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित उनकी किताब "सूरज की मिस्ड कॉल" का नाम कुछ अलग सा,आकर्षक लगा तो सोचा कि सबसे पहले इसी किताब को मंगवाया जाए और पढ़ा जाए।
कमाल का लिखते हैं अनूप शुक्ल जी। छोटी..छोटी, बारीक..बारीक बातों पर भी उनकी पैनी नज़र क्या कमाल दिखाती है, यह इस किताब को पढ़कर पता चलता है। जिन बातों की तरफ कभी हमने ध्यान ही नहीं दिया। ना ही कभी उनके बारे में सोचा कि उन पर भी कभी कुछ लिखा जा सकता है, महीन..महीन बातों पर भी उनकी लेखनी अपना जादू दिखाने से बाज़ नहीं आती।
इस किताब के ज़रिए उन्होंने सूरज ,उसकी किरणों, पेड़-पौधों, फूल-पत्तियों इत्यादि हर चीज़ को एक तरह से जीवित और हमसे बात करने वाला बना दिया है। पढ़ते वक्त कई बार हैरानी हुई कि वह इस तरह का कैसे सोच लेते हैं तो कई बार बरबस ही चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और कई बार कुछ गहरी बातों को ढंग से समझने के लिए उन्हें फिर से पढ़ना भी पड़ा।
कुल 144 पृष्ठों की इस किताब का मूल्य 150/- रुपए मात्र है जो कि किताब की उम्दा क्वालिटी को देखते हुए बिल्कुल भी ज़्यादा नहीं है। हाँ!..कुछ जगहों पर मात्राओं और नुक्तों की ग़लतियाँ थोड़ा अखरती हैं। एक आध जगह ये भी लगा कि बात को जैसे अधूरा छोड़ दिया गया है। खैर..इन छोटी-छोटी कमियों को आने वाली पुस्तकों और इस पुस्तक के आगामी संस्करण में सुधारा जा सकता है।
नए लेखक अनूप शुक्ल जी से काफी कुछ सीख सकते हैं। उम्दा लेखन के लिए अनूप शुक्ल जी को बहुत बहुत
बधाई
। https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10217864739743622
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