1. जिन सवालों के जबाब तकलीफ़ दें उन्हें टालने से आदमी सुखी रहता है।
2. आत्मविश्वास धन का होता है, विद्या का भी , पर सबसे बड़ा आत्मविश्वास नासमझी का होता है।
3. जनता जानती है कि हम कतई पद-लोलुप नहीं हैं, क्योंकि हम पदों पर हैं। जो पद पर नहीं हैं, वही पदलोलुप होता है।
4. जनता बलिदान करनेवाले से बहुत डरती है। बलिदान करने वाला बड़ा खतरनाक होता है। वह उनसे घृणा करने लगता है, जिनके लिये वह बलिदान करता है। वह उनसे बदला लेता है।
5. सरकारी लिफ़ाफ़ा एक लॉटरी हैं – न जाने उसमें से क्या निकल पड़े, जो जिन्दगी सुधार दे।
6. जब कुल का सयाना अन्धा होता है, तब थोड़े-थोड़े अन्धे सब हो जाते हैं। फ़िर जिसे बुरी बात समझते हैं, उसी को करते हैं।
7. दुनिया में सब लड़ाई को बुरा बोलते हैं। सब शान्ति की इच्छा रखते हैं, पर सब हथियार बनाते जा रहे हैं।
8. अंको का ज्ञान मुझे बचपन में ’पीपरमेण्ट’ की गोलियां गिनकर कराया गया था, बड़ा होने पर मेरा गणित का ज्ञान पैसों में ही उलझ गया और अब मुझे गिनती की जरूरत इसीलिये महसूस होती है कि पहिली तारीख को तन्ख्वाह बांटने वाला बाबू कम रुपये न दे दे, अधिक की तो सम्भावना ही नहीं है।
9. इस विशाल देश में ऐसा कोई पुरुष नहीं, जिसे रूप, गुण, शील में समानता करने वाली योग्य स्त्री न मिल सके।
10. हमारे विश्वास परायण समाज में चन्दा मिलना मुश्किल नहीं है। अब तोअ 25 प्रतिशत कमीशन पर पेशेवर चन्दा इकट्ठा करने वाले भी मिल जाते हैं।
11. विचित्रता और असामन्जस्य अक्सर महानता का भ्रम कराते ही हैं।
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