Saturday, August 29, 2020

परसाई के पंच- 22

 1. ये हमारे भाग्य-विधाता सारे महापुरुषों की दुर्गति कर रहे हैं। बुद्ध, महावीर, गांधी सबको हास्यास्पद बना रहे हैं। ये डरते हैं कि कहीं कोई मन्त्री हमारा नाम लेकर अच्छी बात न कर दे। लोग हंसेंगे।

2. जांच कमीशनों की रिपोर्ट और लता मंगेशकर के गाने , ये दोनों हमारे जीवन में रस भरते हैं। जिन्दगी जीने लायक है क्योंकि; इसमें लता मंगेशकर और जांच कमीशन है।
3. अनन्त स्कैण्डल हैं इस पवित्र भूमि में। हिमालय जिसका मुकुट है, जिसके चरण सागर धोता है, गंगा-यमुना जिसके हृदय-प्रदेश में शोभित हैं, जिसमें राम और कृष्ण जैसे अवतार हुये, जिसमें दुर्योधन, शकुनि, विभीषण पैदा हुये, उस देव-भूमि में सरकार बदलने से स्कैण्डल नहीं बदलते।
4. देशवासियों की मानसिकता ऐसी हो गयी है कि जो चीज जैसी है, वैसी नहीं मानी जाती। उसमें राजनीति तलाशी जाती है।
5. हम पैंसठ करोड़ भारतवासियों के में नब्बे फ़ीसदी बिना चेहरे के आदमी हैं। हमारी कोई पहचान नहीं है। हम आदमी भी नहीं हैं।
6. राजनीतिज्ञों के लिये हम नारे और वोट हैं; बाकी के लिये हम गरीबी, भूख, बीमारी और बेकारी हैं। मुख्यमंत्रियों के लिये हम सिरदर्द हैं और उसकी पुलिस के लिये हम गोली दागने के निशान हैं।
7. पद पाने से बड़ा रचनात्मक काम कौन सा है। कुरसी पर बैठकर उस कुरसी की मरम्मत करते जाना रचनात्मक काम है।
8. सब एकमत हैं कि अपना भला करना, जनता का कोई ध्यान न रखना, मूर्खों के स्वर्ग में रहना, सत्ता के लाभ के पानी से अपने-अपने खेत सींचना ही मतैक्य है।
9. नंगापन देश की एकता को मजबूत करता है। एक धोती पहने हो और दूसरा नंगा हो, यह फ़ूट का लक्षण है। नंगे-नंगे में कोई भेद नहीं होता है। पार्टी में नंगेपन से एकता आती है।
10. एक अरसे से मेरी भी इच्छा रही है कि एक दो संसद-सदस्य, विधायक या लोकल नेता ही खरीदकर रख लूं, कभी काम आयेंगे। लोग केसर, कस्तूरी और संखिया भी वक्त पर काम आने के लिये घर में रखते हैं।
11. भारतीय लोकतंत्र का हाल यह है कि हर पार्टी के लोग बिकाऊ हैं; जिसे जरूरत हो खरीद ले।

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