1. वे और होते हैं जिनके चरण-स्पर्श से पत्थर भी स्त्री बन जाता है। वे अपनी स्त्री को छोड़ देने वाले होते हैं।
2. जिन घरों में पचीसों तरह के ’कैक्टस’ हैं, वे अभी तक ’वेस्टलैंड’(बंजर) नहीं हुये, बल्कि फ़ूलते-फ़लते जा रहे हैं।
3. भारत के चौकीदार का यह स्वभाव हो गया है कि अमरीकी या अंग्रेज चोरी करने लगें, तो वह इधर-उधर हो जाता है।
4. हमने ईमान और आत्मसम्मान की रक्षा के लिये भी चौकीदार रखे हैं पर वे इनकी भी चोरी कर लेते हैं। चौकीदार उन्हें देखकर हट जाता है।
5. वैसे तो चौकीदार वर्दी पहनकर , बन्दूक लेकर अकड़ा रहता है, पर अमरीकी और अंग्रेज चोरी करने आते हैं, तो वह पान खाने चला जाता है।
6. ये विदेशी भी व्यर्थ ’रिस्क’ लेते हैं। चोरी करने की जरूरत ही नहीं है। हममें से ही कुछ लोग खोमचे और आत्मसम्मान भरकर बेचने बैठे रहते हैं। उनसे खरीद लें। सस्ता पड़ेगा।
7. छुपाने के मामले में अंग्रेजी भाषा कमाल करती है।
8. तपस्वी को पेट भरने पर बदमाशी सूझती है और खाली पेट दर्शन।
9. वैज्ञानिक अनुसन्धान के सबसे महान क्षण में भी पुलिस को नहीं भूलता , यह मानव-स्वतंत्रता के लिये शुभ लक्षण है।
10. टेलीफ़ोन के आविष्कार से मनुष्य जाति का नैतिक स्तर उठ गया। फ़ोन पर सच और झूठ दोनों अधिक सफ़ाई से बोले जा सकते हैं। आदमी आमने-सामने तो बेखटके झूठ बोल जाता है, पर सच बोलने में झेंपता है।
11. टेलीफ़ोन के कारण संसार में सत्य-भाषण लगभग 67 प्रतिशत बढा है। इससे मनुष्य जाति अधिक वीर भी बनी है। जिसकी छाया से भी डर लगता था, उस आदमी को फ़ोन पर गाली भी दी जा सकती है और जब तक वह पता लगाकर आपको मारने आये, आप भागकर बच सकते हैं।
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