1. हमारे यहां जिसकी पूजा की जाती है उसकी दुर्दशा कर डालते हैं। यही सच्ची पूजा है। नारी को भी हमने पूज्य माना और उसकी जैसी दुर्दशा की, सो तुम जानते हो।
2. दूसरे देशों गाय दूध के उपयोग के लिये होती है; हमारे यहां यह दंगा करने और आन्दोलन के लिये होती है।
3. अगर गोरक्षा का कानून बन जाये तो यह देश अपने आप समृद्ध हो जायेगा। फ़िर बादल समय पर पानी बरसायेंगे, भूमि खूब अन्न देगी और कारखाने बिना चले भी उत्पादन करेंगे।
4. भगवान रखना भी एक झंझट है। वह हर बात पर दंड देने लगता है।
5. जनता जब आर्थिक न्याय की मांग करती है, तब उसे किसी दूसरी चीज में उलझा देना चाहिये, नहीं तो वह खतरनाक हो जाती है।
6. अगर इस जनता को गोरक्षा आन्दोलन में न लगायेंगे तो यह बैंको के राष्ट्रीयकरण का आन्दोलन करेगी, तन्ख्वाह बढ़वाने का आन्दोलन करेगी, मुनाफ़ाखोरी के खिलाफ़ आन्दोलन करेगी। उसे बीच में उलझाये रखना धर्म है बच्चा।
7. चन्दा-चन्दा सब एक। मुझे तो लगता है कि बड़ा अनाथालय है। अनाथालय के लड़के बैण्ड बजाकर चन्दा मांगते हैं और ये देशसेवा वाले नारे लगाकर। वे अनाथों की परवरिश के लिये मांगते हैं और ये देश की परवरिश के लिये।अच्छा , फ़िर दूसरों को तो रुपया-दो रुपया देकर टाला जा सकता है पर ये देश-रक्षा वाले तो बहुत मुंह फ़ाड़ते हैं। कहते हैं- दो हजार दीजिये, तीन हजार दीजिये।
8. देश की रक्षा करना है तो यह तो मैंने माना। पर जरा किफ़ायत से करो न ! देश रक्षा क्या किफ़ायत में नहीं हो सकती?
9. हर बड़े आदमी का -कम से कम एक (चमचा) होता है। जिनकी हैसियत अच्छी है, वे एक से ज्यादा चमचे रखते हैं।
10. सारे फ़रिश्ते भगवान के चमचे हैं। शैतान ने भगवान का चमचा बनने से इन्कार किया , तो उसे स्वर्ग से निकाल दिया गया -जैसे गैर-चमचे को चुनाव-टिकट नहीं दिया जाता।
11. सबसे ज्यादा चमचे राजनीतिक क्षेत्र के नेताओं के होते हैं। इतिहास साक्षी है कि दुनिया में जितनी उथल-पुथल हुई है, वह महापुरुषों के कारण नहीं बल्कि उनके चमचों के कारण हुई है। जब भी चमचे ने अपनी अक्ल से कुछ किया है, तभी उपद्र्व हुये हैं। इसलिये हरबड़ा आदमी विश्वहित में इस बात की सावधानी बरतता है कि उसका चमचा कभी भी अपनी अक्ल का उपयोग न करे।
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