वास्तविकता यह है कि आज मजहब भी पूंजीपतियों ने पूंजी के बल पर अपने अधीन कर लिया है। ऐसे में ईश्वर का सच्चा धर्म शेष नहीं रहता। सच्चा ईश्वरीय धर्म तो प्राणियों की सेवा, प्रेम, मोहब्बत, इंसाफ वफादारी और ईमानदारी है। उसमें ईश्वर के प्राणियों का हित और लाभ है। यह आज आप जो कुछ देख रहे हैं, यह पूंजीपतियों ने केवल अपने उद्देश्य पूरे करने के लिए धर्म के नाम पर एक खेल बनाया है। यह वर्तमान मजहब तो मात्र कुछ लोगों के ऐशो आराम के लिए है। ईश्वर के प्राणियों के आराम के लिए नहीं है। जब धर्म स्वार्थी लोगों के हाथों में चला जाता है तो यही हाल होता है। कुरान तो यह कहती है कि मुसलमान वही है जिसे कुर्रान पर विश्वास हो और इससे पहले जो किताबें ईश्वर की ओर से आई हैं उन पर भी। हम नहीं समझते कि दुनिया में धर्म के नाम पर ये झगड़े और लड़ाई क्यों और कैसे पैदा हुई?
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