Monday, May 16, 2022

विलक्षण साइकिल यात्री -भाऊसाहब भंवर



पिछले हफ्ते दो साइकिल यात्रियों से मिलना हुआ। पहले 10 साल के आरव भारद्वाज जो अपने पिता डॉ अतुल भारद्वाज के साथ मणिपुर से दिल्ली की साइकिल यात्रा पर निकले हैं। अब वे दिल्ली पहुंच भी गए। उनकी यात्रा पूरी हुई। आरव की यात्रा के बारे में हमको पता था। फोन आदि से सम्पर्क में थे। मिलने के पहले उनके बारे में जानकारी थी।
दूसरे साइकिल यात्री से मिलना संयोग से हुआ। शनिवार को घर में थे। पता चला कोई साइकिल यात्री कश्मीर से कन्याकुमारी यात्रा के दौरान शाहजहांपुर आये हैं। मिलना चाहते हैं।
मुलाकात हुई तो पता चला कि ये साइकिल यात्री विलक्षण हैं। 1993 से साइकिल से भारत भ्रमण कर रहे हैं। 5 बार सम्पूर्ण भारत भ्रमण कर चुके हैं। अब छठी बार निकले हैं।कुल 3.5 लाख किलोमीटर साइकिल चला चुके हैं अब तक। यात्रा के दौरान अनेक बड़ी हस्तियों से मिल चुके हैं। जिनमें महामहिम राष्ट्रपति महोदय, अनेक गणमान्य राज्यपाल महोदय और अनेक नामचीन हस्तियां शामिल हैं। उनके साथ के फोटो, प्रशस्ति पत्र आदि साथ में लेकर चलते हैं-भाऊसाहब भंवर।
महाराष्ट्र के जालना जिले के कस्बे के रहने वाले भाऊसाहब ने 1993 में साइकिल यात्रा शुरू की। यात्रा शुरू करने के पीछे इनकी बहन की दहेज के कारण शादी टूटना था। दहेज और कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाना इनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। लालच से दूर रहना, संतोषप्रद जीवन, सहअस्तित्व के बारे में बात करते चलते हैं भाऊसाहब।
पचास साल के लगभग उम्र के भाऊसाहब ने खुद विवाह नहीं किया अब तक। हमने कहा -'बिना दहेज के विवाह करके आदर्श स्थापित करना चाहिए आपको।' इस पर उन्होंने कहा -'अब साइकिल यात्रा के अलावा उनके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं।'
आज के संचार युग में भाऊसाहब बिना मोबाइल चलते हैं। कोई सम्पर्क नहीं। कोई पता नहीं। बस जो हैं वही हैं। खाने -पीने के लिए लोग सहयोग कर देते हैं। कोई पैसे से कोई खाना खिलाकर। इतनी लंबी यात्रा के निवेश को देखकर लोग सहयोग कर ही देते हैं। एक संस्था ने 10 हजार रुपये दिए, उसका फोटो साथ है उनके।
शाहजहांपुर में आर्मी कैंट गए। वहां किसी ने उनको मेरे बारे में बताया। मिलने आये। तमाम यादें साझा कीं।
यादों के साझा करने के क्रम में ज्यादातर अच्छे अनुभव ही बताए। बताया लोग बहुत अच्छे हैं। एक जगह आतंकवादियों ने अपहरण भी किया। फिर छोड़ दिया।
भाऊसाहब के अनुभव के अनुसार -'सबसे अच्छे लोग बिहार के हैं। बहुत सम्मान किया। बहुत प्यार दिया।' मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लोग भी अच्छे हैं। उत्तर प्रदेश के अनुभव उतने उत्साहित करने वाले नहीं रहे। केरल के लोग बहुत पढ़े लिखे हैं लेकिन उतने उदार हृदय नहीं।
तमाम तरह के अनुभव साझा किए भाऊसाहब ने। मुलाकात के बाद बरेली के लिए निकल गए।
भाऊसाहब के बारे में तमाम जानकारी गूगल में मौजूद है। देखिए उनके बारे में जानकारी और मन करे तो निकल लीजिए यात्रा पर। यात्राओं से हम बहुत कुछ सीखते हैं।
भाऊसाहब भंवर के बारे में तमाम जानकारी के लिए गूगल में खोजिए
Bhausaheb cyclist

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