Tuesday, August 30, 2022

फुदकती चोटी पर टैक्स



सुबह टहलने में आलस्य हमेशा रुकावट पैदा करता है। पांच बजे जगे तो मन कहता है, साढ़े पांच चलेंगे। फिर छह और अक्सर सात बजने के बाद मामला टल जाता है कि अब कल चलेंगे।
निकल लिए तो फिर मामला इस बात पर अटकता है कि किधर चला जाये। सहज आकर्षण गंगा पुल की तरफ जाने का होता है। लेकिन फिर लगता है कि शहर ने कौन पाप किया है जो उधर न जाएं। निकलते-निकलते मन पियक्कड़ की तरह लड़खड़ाता है। थोड़ी दूर जाकर जिधर भी निकल लिए उधर बढ़ जाते हैं।
आज निकले तो गंगा पुल की तरफ जाने की बजाय पंडित होटल की तरफ मुड़ लिए। रास्ते में तमाम लोग टहलते हुए दिखे। बुजर्ग आहिस्ता-आहिस्ता तो जवान लोग सरपट टहलते दिखे। कुछ फौज के जवान दौड़ते हुए भी मिले। दो लड़कियां तेज-तेज टहलती हुई सामने से आ रही थीं। वो बार-बार दुपट्टा सहेजती हुई टहल रहीं थीं। अपने समाज में लड़कियों को सड़क पर निकलते हुए अतिरिक्त रूप से सजग रहना पड़ता है।
एक पेड़ के पास दो महिलाएं फुटपाथ पर बैठी पूजा कर रहीं थीं। पता नहीं कौन देवता, व्रत, त्योहार था आज। बगल में पार्क में लोग टहल रहे थे। हमने भी सोचा घुस जाएं पार्क में लेकिन वहां प्रवेश शुल्क पांच रुपये देखा तो दूर से ही सलाम करके निकल लिए।
टहलती हुई एक लड़की के बाल उसके हर कदम के साथ चुहिया की तरह फुदक रहे थे। गोया उसके बाल भी जॉगिंग कर रहे हों। लड़की के फुदकते बाल और हिलती चोटी देखकर लगा कि क्या पता कल को इस पर भी कोई टैक्स लग जाये तो क्या होगा। सरकार को न जाने कितनी आमदनी होगी। आदमनी के साथ टैक्स चोरी भी होगी। लोग सर को हिलाकर बाल फुदका लेंगे और टैक्स नहीं जमा करेंगे। फिर टैक्स चोरी पकड़ने के लिये जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। अनगिनत लोगों को रोजगार मिलेगा।
सड़क के दोनों ओर अधिकारियों के बंगले। कुछ ही देर में हम मानेक शा द्वार पारकर पंडित होटल की तरफ मुड़ लिए।
सामने की पट्टी पर कई चाय वाले ठेलियों पर चाय बेंच रहे थे। हमने चाय पीना स्थगित करते हुए आगे बढ़ना जारी रखा। हर चाय वाले के पास यह सोचकर आगे बढ़ जाते कि आगे पियेंगे।
मरी कंपनी पुल के नीचे कई चाय की दुकानें, लोग, टेम्पो, रिक्शे दिखे। जमावड़ा सा। मिनी मार्केट सा। वहाँ भी नहीं रुके। आगे बढ़ गए।
रेलवे ट्रैक से एक ट्रेन गुजर रही थी। गोरखपुर एक्सप्रेस। सामने से मालगाड़ी आ रही थी। दोनों ने जरूर बगल से गुज़रते हुए एक दूसरे को हेलो-हाय किया होगा। ट्रेनों के गुजरने के बाद पटरी पार की। पटरी पार दो रिक्शेवाले आपस में बतियाते हुए कुछ आदान-प्रदान करते दिखे। हम उसको अनदेखा करके आगे बढ़ गए।
रास्ते में एक मंदिर के बाहर तमाम मांगने वालों की भीड़ थी। एक आदमी पैकेट में कुछ सामान लिए उनको बांट रहा था। लोग लपककर लेते हुए अपनी जगह पर वापस बैठ जा रहे थे।
आगे बस्ती में एक बच्ची सड़क किनारे कच्ची झोपड़ी के बाहर लैट्रिन कर रही थी। पतली दस्त देखकर एक महिला बोली-'जाने का नुकसान कर गया इसकी। पतली टट्टी हुई रही हैं।' दूसरी ने कहा -'नुकसान कुछ नहीं। मौसम बदला है। उसी का असर है।'
आगे दो महिलाएं कुर्सी पर बैठी बतिया रहीं थीं। कुर्सी हत्थेवाली थीं जो क्लास रूम में होती हैं। कुछ बच्चे स्कूल यूनिफार्म में बैठे, खड़े चाय के कप, ग्लास में डबलरोटी डुबो कर खा रहे थे। एक बच्ची स्टील के कप में चाय लेकर कुर्सी पर बैठी महिलाओं को दे रही थीं। चाय एकदम गोरी सी थी। शायद पत्ती कम थी।
बच्चे सेंट मैरी स्कूल में पढ़ते हैं। सेंट मैरी शहर के अच्छे स्कूलों में से है। बच्चों ने बताया कि एक सर जी हैं उनको रोज शाम को चार बजे से सात बजे पढ़ाने आते हैं, उन्होंने ही उनका एडमिशन सेंट मैरी में कराया है।
शाम को पढ़ाने वाले सर जी शायद फ्रेंडशिप ग्रुप से सम्बद्ध हैं। वो लोग शुक्लागंज में गंगाघाट पर बच्चों को पढ़ाते हैं। समाज सेवा के भाव से ऐसे अनगिनत लोग चुपचाप समाज की बेहतरी के लिए अपना योगदान देते रहते हैं। ऐसे लोग किसी भी समाज के सबसे शानदार, अच्छे मन के लोग होते हैं।
एक बच्चा बिना ड्रेस का वहां खड़ा था। वह बाद में आया गांव से इसलिए उसका एडमिशन नहीं हो पाया। अगले साल हो शायद।
एक महिला झोपड़ी में चाय, नाश्ता बना रही थी। बाहर बैठे आदमी ने बताया कि वह रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करता है।
बच्चों की स्कूल ड्रेस सस्ती से थी। एक बच्चा सड़क पर बैठा ऊपर मुंह किये चाय पीते हुए बिठा था। उसके पैंट की सिलाई उधड़ गयी थी।
बच्चों से फिर और नियमित मिलने का इरादा बनाकर वापस लौट लिए।
लौटते हुए रेलवे क्रासिंग बन्द मिली। एक लड़का साइकिल पर बैठे-बैठे सर झुकाकर बैरियर पार कर रहा था। कान में ईयरप्लग था। कोई गाना सुन रहा होगा। सर बार-बार अटक रहा था तो उतरकर सर झुकाकर क्रासिंग पार की। हमने झुककर पहले ही प्रयास में बैरियर पार कर गए। झुकने से तमाम काम आसान हो जाते हैं।
आई बी के पास के स्कूल के बच्चे स्कूल की तरफ बढ़ रहे थे। एक बच्चे ने चेकिंग पर तैनात जवान को गुडमार्निंग अंकल कहा तो उसने उस बच्चे के पीछे आते आदमी को भी बिना पूछे निकल जाने दिया। शायद जवान को कहीं दूर किसी शहर में अपने स्कूल जाते बच्चे याद आ गए हों।

https://www.facebook.com/share/p/bYhc8aA6iGL4QdCf/

No comments:

Post a Comment