Thursday, September 01, 2022

गांजा पीकर आदमी बमकता नहीं



कल सुबह जब घूमने निकले तो एक बच्चा चलते-चलते हाथ जोड़े प्रार्थना करता दिखा। आगे-आगे शायद उसकी दादी थी। बच्चा शायद स्कूल की प्रार्थना याद कर रहा हो। बाद में आगे एक आदमी सड़क चलते पीटी टाइप कसरत करता आ रहा था। दोनों हाथ ऊपर , फिर कंधे पर हवाई जहाज के पंखों की तरह फैलाये और जांघ पर पटक दिए। यह क्रिया वह चलते-चलते दोहरा रहा था। शायद वह 24x7 घराने का कसरतबाज हो।
24x7 से याद आया कि कुछ व्यंग्यकार साथी अपना परिचय देते हुए लिखते हैं -"मैं 24x7 व्यंग्यकार हूँ।" वे साथी सोते समय भी व्यंग्य लिखते होंगे या व्यंग्य के बारे में सोचते होंगे। इनमें से कई लोगों के व्यंग्य पढ़ते हुए जब उबासी आये तो समझना कि यह 24x7 घराने के व्यंग्यकार का बीहड़ नींद में लिखा हुआ व्यंग्य है।
गंगा पुल पर एक आदमी मोबाइल पुल की रेलिंग पर रखे सूरज की तरफ हाथ जोड़े श्लोक पढ़ रहा था। श्लोक मोबाइल पर बज रहा था वह उसको श्रद्धापूर्वक हाथ जोड़े दोहरा रहा था। झोला उसका पुल पर निकली कटिया में लटका हुआ था। पक्का है कि पूजा करके झोला उठाकर वह निकल लेगा।
गंगा किनारे लोगों की भीड़ थी। तीज का व्रत तोड़ने के बाद लोग गंगा किनारे पूजा करने आये थे। महिलाएं पूजा कर रही थीं। उनके साथ आये उनके पति, बच्चे उनकी सहायता कर रहे थे। फोटो भी ले रहे थे। पूजा करते हुए फोटो, जल देते हुए फ़ोटो, पूजा के बाद फ़ोटो, फोटो के बाद सेल्फी, ठीक नहीं आयी फोटो तो रिपीट सेल्फ़ी। एक महिला अपने बच्चे के साथ सेल्फी ले रही थी। बच्चा बार-बार ठुनक रहा था। 'सेल्फी असहयोग' कर रहा था। महिला ने उसको चपतिया सा दिया। बच्चा इस बार ठुनकने के साथ थोड़ा पिनक भी गया। साथ खड़े आदमी ने टोंका। महिला ने फिर जैसी बनी वैसी सेल्फी ली और चल दी।
सूरज भाई नदी में पूरा मजे में नहा रहे थे। उनकी छाया नदी में पड़ रही थी। डुप्लीकेट सूरज भाई। ऐसा लगा मानो सूरज भाई भी सुरक्षा के मद्देनजर डुप्लीकेट लेकर चलते हैं। कोई जान न पाए कि नदी में डूबे सूरज भाई असली हैं कि आसमान में चमकते।
बच्चियां भी मुस्कराती हुई नदी के पानी में डुबकी लगा रही थीं। पानी एक-दूसरे पर फेंकती हुई खिलवाड़ कर रहीं थीं।
घाट पर दो लोग बैठे चिलम फूंक रहे थे। एक बाबा जी दूसरे एक नौजवान। 'गांजा गुणगान' भी करते जा रहे थे - "गांजा शांत नशा है। पीकर आदमी हल्ला नहीं करता। दारु में आदमी ढक्कन सूंघते ही बमकने लगता है। गांजा पीकर आदमी बमकता नहीं। शांत रहता है।"
मुझे लगा कि कहीं ज्यादा हल्ला-गुल्ला हो, तेज बहस बाजी हो तो उसको नियंत्रण में रखने के लिए गांजे की एकाध दम लगवा देनी चाहिए। बहस नियंत्रण में रहेगी।
गांजा पीने वाले दो लोगों में से एक कैंट में दिहाड़ी पर मजदूरी करता है। फोटो तो खिंचा ली उसने लेकिन फिर बोला -"किसी को दिखाना नहीं। क्या पता कोई लफड़ा हो जाये।"
हमने उसकी फोटो डिलीट कर दी। किसी के कष्ट का कारण क्यों बनना।
एक आदमी गंगा में घुसकर पहले डुबकी लगाकर पूजा करता रहा। इसके बाद लगातार डुबकियां लगाते हुए स्नान करता रहा। डुबकी लगाते हुए उसका सर नदी में उठक/बैठक सा कर रहा था। सूरज भाई थोड़ी देर उसको डुबकी लगाते देखते रहे फिर बोर होकर बादलों के बीच छिप गए। कुछ देर में फिर दिखने लगे। शायद वो आदमी को नदी में डुबकी लगाते देख बादलों में डुबकी लगाने चले गए हों। देखादेखी लोग बहुत कुछ करते हैं। दफ्तरों में साहब लोगों के बड़े घपले/चोरी देखकर मातहत छोटी चोरी करते हैं -"महाजनों एन गत: सा पंथा" को चरितार्थ करते हैं।
चाय वाले से बिना चीनी की चाय के लिए बोला कि ज्यादातर लोग शिकायत करते हैं चीनी कम है। बिना चीनी की चाय कम लोग पीते हैं। अलग से बनाने में गैस बहुत लगती है। आजकल गैस मंहगी भी हो गयी है। हमने कहा -"हां एक हजार की पड़ती होगी।"
हजार नहीं, 1200 की पड़ती है। ब्लैक में लेनी पड़ती है। हमको लगा इसकी चाय पीने से कहीं कालाबाजरी में सहयोग का आरोप न लग जाये। लेकिन कुछ बोले नहीं। इस बीच वह एक चाय लेकर आ गया। बोला -"किसी के लिए बना के रखी थी। आप पी लीजिये।"
किसी के लिए बनी चाय बिना चीनी की चाय पीते हुए हमको लगा किसी का हक मार रहे हैं। लेकिन एक घूँट में ही अपराध बोध हवा हो गया।
खुद की तसल्ली/आराम तमाम अपराध बोध की हत्या करती रहती है।
पांच रुपये की चाय पीते हुए जब याद आया कि यही चाय किसी माल में 100 रुपये में मिलती है तो चाय का स्वाद और चकाचक हो गया।
एक रिक्शे वाला खूब सारे फूल लादे आता दिखा। फूलों के ऊपर एक आदमी गुड़ीमुड़ी होकर सो रहा था। फूल कमल के थे यह तय करने में मुझे बहुत समय लगा। आसपास की जिंदगी और प्रकृति से इतना कट गए हैं हम कि किसी के बारे में विश्वास से कहना कठिन हो गया है कि कौन चीज क्या है। दिन पर दिन लद्दढ़ और 'अल्पसूचित' होते जा रहे हैं। क्या पता कल को हमारे बारे में कोई पूछे -"तुम कौन हो" तो हम गूगल सर्च करके अपने बारे में बताएं -"गूगल से मिली जानकारी के हिसाब से हम अनूप शुक्ल हैं। लेकिन इस जानकारी की सच्चाई के लिए हमको जिम्मेदार न समझा जाए।"
पहिये की हवा कम थी। रिक्शेवाला हांफते हुए रिक्शा चला रहा था। फूल और फूल पर सोया आदमी रिक्शे पर पस्त पड़े हुए थे। । रिक्शे पर लेटे हुए आदमी ने शायद रात भर या सुबह जल्दी से फूल तोड़े होंगे इसलिए थक गया होगा। फूल अपनी जड़ से कट कर उदास होंगे। रिक्शेवाला रिक्शे पर बोझ के चलते थक गया था। कुल मिलाकर पस्ती का थका हुआ कोलाज रिक्शे पर चला जा रहा था
पुल पर एक बच्चा बस्ता लिए ऑटो का इंतजार कर रहा था। सेंट अलायोसिस में कक्षा आठ में पढ़ता हैं। शुक्लागंज से ई रिक्शा में आया। अब आगे के लिए दूसरे रिक्शे का इंतजार। 2500 कदम है पुल से स्कूल। हमने कहा -"पैदल चलो मेरे साथ। हमारे रहने की जगह के पास है तुम्हारा स्कूल।"
बच्चा हमारे प्रस्ताव पर मुस्कराया। बोला -"अरे अंकल, इत्ती दूर कहां पैदल।" वह हमारे प्रस्ताव को बेवकूफी का मानते हुए ऑटो के इंतजार में जुट गया। हम बालक को वहीं छोड़कर वापस लौट आए।

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