Tuesday, October 18, 2022

यादों की फाइलें और बतियाने का मन



कम्प्यूटर में किसी फाइल को सेव करते हैं तो कम्प्यूटर पूछता है-'ये फाइल इस नाम से सेव है। क्या आप इसको रिप्लेस करना चाहता हैं?' अक्सर हम लोग पुरानी फाइल के ऊपर नई फाइल चढ़ा देते हैं। कभी-कभी नई को अलग नाम से सेव कर लेते हैं।
जीवन से जुड़ी यादों के बारे में भी ऐसा ही होता। किसी बहुत पुराने मित्र से अर्से बाद मिलो तो दिमाग का कम्प्यूटर पुरानी के बाद नई भी सेव कर लेता है। लेकिन अक्सर पुरानी फाइल भी बची रहती है। उसी नाम से। दिमाग का कम्यूटर इस मामले में अनूठा है। वह पुरानी और नई फाइल एक ही नाम से सेव कर लेता है।
यह यादों वाली बात इसलिए कि आज एक बहुत पुराने मित्र से बात हुई। कालेज के हमारे बाद वाले बैच में थे -भुवन चन्द्र जोशी। कालेज के भुवन बाद में बी.सी.जोशी हो गए। बाद में हमारे डिपार्टमेंट में ही तैनात हुए। फिलहाल वो गृह मंत्रालय में तैनात हैं।
आज एक साझा ग्रुप में बी.सी.जोशी का मैसेज देखा तो फौरन फोन किया। कालेज छोड़े आज 37 साल हुए। इस बीच एकाध बार और भी मुलाकात हुई लेकिन बी.सी.जोशी की याद मेरे जेहन में भुवन के रूप में ही है। गोरा , गोल पहाड़ का लड़का। सीधा, मितभाषी। डिपार्टमेंट में बीसीजोशी बेहतरीन अधिकारियों में माने जाते हैं।
तमाम अन्य साथियों की तरह भुवन चन्द्र जोशी की प्रोफाइल पर हर घर झंडा के अभियान का झंडा अभी भी फहरा रहा है,लिहाजा हमारे जेहन में उनकी पुरानी फोटो ही लगी हुई है। हर घर झंडा अभियान के तरह जिन लोगों ने अपनी प्रोफाइल पर झंडा फहराया था उनमें से अधिकांश उसे उतारना भूल गए हैं। नतीजा सोशल मीडिया में हमशक्लों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है।
बात हुई और तमाम यादें साझा हुईं। घर-परिवार की स्थिति विजटिंग कार्ड की तरह साझा की गई। मिलने का करार हुआ। अमल कब होता है यह देखा जाएगा। सब वादे पूरे करने के लिए थोड़ी होते हैं। सरकार तक यही बताती है।
भुवन पिथौरागढ़ के हैं। एक पहाड़ के आदमी से बात हुई तो दूसरे का नम्बर उचक आया। नारायण दत्त पांडे को फोन मिलाया। नारायण दत्त पांडे Narain Pandey हमारे सीनियर थे कालेज में। बाद में बनारस में मुलाकात होती रही।सिन्नी पंखे में नौकरी से शुरू हुए थे। सिन्नी पंखे बनाने के साथ कई क्षेत्रों में बहुत अच्छी कम्पनी थी। बाद में पारवारिक कलह का शिकार होकर बन्द हो गयी।
पांडे जी से बीच में भी सम्पर्क बना रहा। कई यादें हैं लेकिन सबसे मुकम्मल याद उनके पटेल हॉस्टल की है जहां वो मेस बन्द होने होने पर अपने कमरे में हम लोगों को खिचड़ी खिलाते थे। उनकी याद के साथ उनके कुकर और हीटर की फ़ोटो भी जेहन में चश्पा हैं। फिलहाल पांडे जी फरीदाबाद में वरिष्ठ नागरिक होकर आद्यात्म और सांसारिक गठबन्धन की सरकार के मुखिया हैं।
संयोग से इस बार कश्मीर से लौटते हुए पांडे जी से फिर मुलाकात हुई।
यह बातचीत आज टहलते हुए हुई। हम अक्सर पुराने मित्रों से बात करके यादें ताजा करते रहते हैं। कभी भी किसी से भी बात हो जाती है।
बात टहलने की हो रही थी। टहलते हुए तीन महिलाएं दिखीं। टहलते हुए उनके चेहरे पर सुबह की टहलाई का गर्व दमक रहा था। 'टहल इंडेक्स' जैसी कोई चीज होती हो तो उसमें वे टॉप पर थीं। टहलते हुए वे आपस मे बतिया भी रहीं थीं, थोड़ा मुस्करा भी रहीं थीं लेकिन इस एहतियात के साथ कि उनका 'टहल इंडेक्स' बरकरार रहे।
सेंट एलायसेस स्कूल के बाहर बच्चों और उनके अभिभावकों का जमावड़ा लगा था। इन लोगों को देर हो गयी थी। सवा सात का स्कूल है। उसके बाद आये थे ये लोग। अभी प्रार्थना हो रही थी। प्रार्थना के बाद गेट खुलेगा। तब जाएंगे देर से आने वाले लोग।
इस स्कूल में पता नहीं क्या प्रार्थना होती है। हम तो 'वह शक्ति हमे दो दया निधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं' घराने के 'प्रार्थना बालक'रहे हैं। तमाम लोग हैं इसी कुनबे के। प्रार्थना से याद आया कि कोई कर्तव्य पालन में चूक हो जाये तो बहाना रहेगा -'साहब दयानिधे से शक्ति की ग्रांट आयी ही नहीं इसलिए कैसे डटते कर्तव्य मार्ग पर। हम दोषी नहीं हैं। चूक का कारण दयानिधि जी हैं। उनसे पूछिये।
एक बच्चा देर से आया था। स्कूटर की पिछली सीट पर बैठा गेट खुलने का इंतजार कर रहा था। कक्षा 6 में पढ़ता है। पिता ने बताया -'बच्चे उठने में देर कर देते हैं। नवम्बर से सवा आठ का स्कूल हो जायेगा। तब आराम होगी।'
बच्चे से बतिया रहे थे कि पीछे से एक बच्ची ने मेरी कोहनी छूकर मुस्कराते हुए बताया- 'आज फिर देर हो गयी। वैन फिर खराब हो गयी।' हमको याद आया कि बच्ची गंगापुल पर स्कूल जाते हुए मिली थी। हमारे दिमाग में पुरानी फ़ोटो आ गयी। नई फ़ोटो सेव करते तब तक स्कूल का गेट खुल गया। बच्चे अंदर जमा होने लगे। बच्चे अंदर चले गए तो स्कूल का फाटक आहिस्ते-आहिस्ते बन्द हो गया। दिन भर स्कूल चलेगा। न जाने कितना ज्ञान इधर-उधर होगा। बतकही होगी। कोई हिसाब नहीं। क्या पता कब इस मुफ्तिया ज्ञान के आदान प्रदान पर भी टैक्स के दायरे में आ जाये। ऐसा कुछ हो तब तक जमकर बतिया लीजिए।
आपका भी बतियाने का मन हो रहा होगा। बतिया लीजिए किसी मित्र से। अभी बतियाना भी टैक्स फ्री है।

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