आजकल अक्सर चीजें खोने लगी हैं। खोती हैं फिर कुछ देर बाद मिल जाती हैं। लुका-छिपी सी खेलती हैं। कोई-कोई चीज तो महीनों बाद मिलती है। जब कोई चीज बहुत दिन तक नहीं मिलती तो उसकी याद आती है। अंदाज रहता है कि कहाँ होगी। सोच कर फिर लगता है कि मिल जाएगी। अक्सर मिल भी जाती हैं। लेकिन कई बार वे चीजें दूसरी जगह मिलती है। चीजें भी छलिया होती हैं। बदमाशी करने में मजा आता है उनको।
पिछले दिनों पासपोर्ट की खोज हुई। शाहजहांपुर से कानपुर आये सामान में कहीं रखा था। सामान अभी खुला नहीं है। सामान के समुद्र में पासपोर्ट का मोती कैसे खोजा जाए। एक के ऊपर एक डिब्बे। पता नहीं किस डिब्बे में रखा है। पैक करते समय लगता है याद रहेगी जगह। लेकिन कुछ देर बाद याद फैक्स मेसेज की स्याही की तरह उड़ जाती है। लगाते रहो अंदाज।
हमारी याद में पासपोर्ट किताबों के बक्से में था। बीस-पच्चीस बक्सों में बारह-पन्द्रह मिले। बाकी डिब्बे भी गुम। जो मिले उनको खोजने पर पढ़ी, अधपढी और अधपढ़ी किताबें दिखीं। हर किताब शिकायत मुद्रा में। पढ़ी किताब कह रही थी -पढ़कर भूल गए हरजाई। अधपढी कह रही थी -मंझधार में छोड़ गए बेवफा। अनपढी किताब कह रही थी -पढ़ना नहीं था तो लिया क्यों? हर किताब को शिकायत थी -'कब तक यहां अंधेरे में डिब्बों में बन्द रहेंगे हम लोग। एक के ऊपर लदे हैं। कम से कम उजाले में रैक में तो रखो। हर किताब मानों शाप मुद्रा में घूर रही थी। गोया कह रही हो-'तुमने हमारी बेइज्जती खराब की है इसीलिए नहीं मिल रहा तुम्हारा पासपोर्ट। हमारे समर्थन में छिप गया है पासपोर्ट। आखिर वो भी तो किताब है।'
बहुत खोजने पर नहीं मिला तो सोचा अब नहीं मिलेगा। निराश हुआ जाए थोड़ी देर। लेकिन मनचाही होती कहाँ है? एक झोले को ऐसे ही देखा तो उसमें दिख गया। बदमाश आराम से बैठा दूसरे कागजों के साथ गप्पें लड़ा रहा था। हमने हड़काया -'तुमको तो किताबों के साथ होना चाहिए था यहां कहाँ छिपे हो?' बोला -'आजकल किताबों और शरीफ आदमियों के साथ रहने का चलन कहाँ। हम इसीलिए ऐन टाइम पर इधर झोले में आ गए थे। खुला रहता है। आराम है यहां।'
चपतिया के पासपोर्ट को जेब में डाला और किताबों को बॉय बोलकर वापस आ गए।
अभी पासपोर्ट खोए मिले एक दिन भी नहीं हुआ होगा कि कल सुबह-सुबह मोबाइल गुम हो गया। पासपोर्ट के साथ कुछ देर एक ही जेब में रहकर उससे गुम होने का किस्सा सुना होगा। उसको भी शौक चर्राया खोने का।
सुबह खोजने पर नहीं मिला मोबाइल तो घण्टी बजाए। रिंग पूरी गयी। लेकिन सुनाई नहीं दी। रिंग जाने से लगा कि किसी ने चुराया नहीं है। बस मोबाईल ऐसी किसी जगह है जहां हम उसे भूल गए हैं।
याद करने लगे कल कहां गए थे। पासपोर्ट खोजने गए थे वहां गए। घण्टी बजी लेकिन आवाज नहीं सुनाई दी। कार में झुककर अंदर तक खोजा। मुंडी टकराई सीट से। लेकिन मोबाइल नहीं मिला।
मोबाइल खोजते हुए एहसास होने लगा कि खो गया है मोबाइल। अब मोबाइल खोने की कल्पना करके नुकसान का अंदाज लगाने लगे। ऑफिशियल मेल खुलने का दरवाजा मोबाइल में है। उनको देखने का जुगाड़ बदलना होगा। तमाम फ़ोटो मोबाइल में हैं वो खो जाएंगे। लैपटॉप, घड़ी के पासवर्ड के लिए बच्चा फिर हड़कायेगा।
जैसे-जैसे मोबाइल मिलने में देर होती गयी, तय होने लगा कि मोबाइल गया अब। सोचने लगे कि जहां-जहां कल गए होंगे वहां भी जाएंगे यह पक्का जानते हुए भी कि वहां नहीं होगा। यह भी लगने लगा कि जिसको मिलेगा वह मेरी फोटुएं देखकर फोन करके फोन छुड़ाने की फिरौती मांगेगा। फिरौती दो नहीं तो सबको दिखा देगे ऐसी आती है फोटुएं।
मोबाईल फिरौती वाली बात वाले समय में हकीकत बन सकती है। जिस कदर लोग अपने मोबाइल में सब कुछ रखने लगे हैं उससे वह इतना प्यारा और अनमोल होता जा रहा है कि लोग मोबाइल का अपहरण करके फिरौती मांगने लगे यह बड़ी बात नहीं।
बहरहाल, फाइनली तय किया कि मोबाइल खोने की सूचना अफवाह नहीं एक सच्चाई है और निराश होने का निर्णय लिया जाय। झोला जैसा मुंह लटकाए घर वापस आये तो नजर सामने पड़े बैग पर पड़ी। अनमने मन से उसको खोला तो सबसे ऊपर मोबाइल पड़ा मुस्करा रहा था। देखकर लगा भजन गा रहा हो -'मोको कहां खोजे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में।'
हाथ में चिपटाकर हड़काया उसको -"बदमाश कहीं के सुबह से खोज रहे हैं तुमको और तुम यहाँ छिपे बैठे हो। कित्ती आवाजें दी तुमको, तुम बोले तक नहीं।" मोबाइल रुंआसा होकर बोला -"बोलते कैसे? हमारा बोलती तो आधुनिक लोकतंत्र में मीडिया की तरह बन्द है। बाइब्रेशन पर धर दिए गए थे हम। तुम्हारी सारी की सारी काले हमारे पेट में हलचल मचा रहीं थीं। हर काल पर जी हो रहा था कि चिल्ला के बोलें हम यहां हैं। लेकिन कैसे बोलते। हम तो बाइब्रेशन पर थे। खुले में धरे होते तो इधर -उधर हिलते भी। यहां कागज के बीच में हिलना-डुलना तक मोहाल। हमको साइलेंट या बाइब्रेशन में रखोगे तो कैसे बोलेंगे? हमारी बोलती बंद करोगे तो ऐसे ही परेशान होंगे। "
हमने मोबाइल को पुचकारा। पास ही में धरे मोबाईल को मिलने की खुशी मनाने के लिए चाय पी। पीते हुए थोड़ी छलकाई भी। मोबाईल आराम से सामने पड़ा अपने उपयोग का इंतजार कर रहा था।
हमने मोबाईल को पुचकार कर पोस्ट लिखना शुरू किया। वो भी खुश , हम भी खुश। आप भी खुश हो जाइए -'जो होगा देखा जायेगा।'
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