Sunday, January 15, 2023

मेट्रो की भूलभुलैया और साझे की टैक्सी



सेनफ़्रांसिस्को से अगले स्टेशन तक पहुँचने में ही अपन का ‘मेट्रो यात्रा’ उत्साह हवा हो गया। कहीं से पता नहीं चल रहा था कि फ़ोस्टर सिटी तक कैसे पहुँचेंगे। घबराकर मेट्रो यात्रा का संकल्प त्यागकर हम अगले स्टेशन पर उतर गए। अगला स्टेशन मिलब्रे था। तय किया कि अब आगे टैक्सी से वापस लौटेंगे।
स्टेशन से बाहर आने के पहले हमने वहाँ मौजूद महिला सहायक से पूछा कि फ़ास्टर सिटी कैसे जा सकते हैं मेट्रो से। उसने बताया कि अगले प्लेटफ़ार्म से दूसरी ट्रेन लेनी होगी। उसके लिए दूसरा टिकट लेना होना। हमारे पास वाला टिकट काम नहीं आएगा।
महिला की बात कुछ समझ में आई मुझे, कुछ नहीं आई । हमने दो बार फिर पूछा। उन्होंने बताया। तीसरी बार तरीक़ा पूछने पर उन्होंने कहा -‘लगता है आप मेरी बात समझ नहीं आ पा रहे हैं। मैं ज़रा इनकी सहायता कर दूँ फिर आपसे फिर बात करती हूँ।’
वहाँ पर एक और सज्जन मौजूद थे। उनको भी हमारी जैसी ही कोई समस्या थी। उनको समझाने के बाद उन्होंने मुझे फिर समझाया। हम मेट्रो का रास्ता तो नहीं समझ पाये लेकिन यह जरुर समझ गए कि मेट्रो यात्रा का विचार त्याग देना ही उचित है।
हमारी इस बातचीत से और दीन दुनिया से निर्लिप्त एक नौजवान जोड़ा पास ही खड़ा एक दूसरे को चूमने में तल्लीन था। लड़का-लड़की एक दूसरे के होंठ बारी-बारी से चूम रहे थे। चूम क्या जैसे एक-दूसरे के होंठ साफ़ कर रहे हों वाइपर की तरह। हमने उनको महिला सहायक से पूछताछ करने की अवधि तक ही उड़ती नज़र से देखा। पूछताछ के बाद बाहर आ गए।
बाहर आकर लौटने के लिए टैक्सी के एप देखने शुरू किए। उबर और लिफ़्ट दो टैक्सी के एप मेरे मोबाइल में जुड़े हैं। दोनों में बेटे का क्रेडिट कार्ड जुड़ा है। अपन का क्रेडिट कार्ड जितनी बार भी जोड़ने की कोशिश की, कोई न कोई कमी बताकर मना होता रहा। यात्रा ख़त्म होते ही क्रेडिट कार्ड से पैसे कट जाते हैं। ड्राइवर के टिप के पैसे आप चाहे तो जोड़ सकते हैं। वैसे किसी ड्राइवर ने टिप या फिर रेटिंग अच्छी देने का अनुरोध नहीं किया।
मिलब्रे स्टेशन पर जब गाड़ी बुलाने के लिए कोशिश की तो एप ने पूछा -‘किधर आना है? मिलब्रे ईस्ट या मिलब्रे वेस्ट।’ हमको पता नहीं था कि हम किधर खड़े हैं -मिलब्रे ईस्ट या वेस्ट। हमने सोचा कि टैक्सी बुलाने के पहले पता कर लें। कानपुर में एक बार ऐसा हो चुका है कि सेंट्रल स्टेशन पर गाड़ी बुक की तो ड्राइवर घंटाघर की तरफ़ था, हम प्लेटफ़ार्म नम्बर एक कैंट की तरफ़ था। फ़ोन किया तो बेचारा आया। लेकिन यहाँ तो ड्राइवर को फ़ोन करने का चलन कम है। हमने सोचा थोड़ा आगे बढ़कर थोड़ा चाय-वाय पी ली जाए तब बुलाएँ टैक्सी।
आगे बढ़कर मुख्य सड़क पर आए। फुटपाथ पर खड़े होकर सड़क का ट्रैफ़िक देखते रहे कुछ देर। सामने ही मिलब्रे मुस्कान केंद्र (Millbrae Smile Center) नाम से डेंटिस्ट का क्लिनिक था। बग़ल में मनोचिकित्सक का ठिकाना। गाड़ियाँ तेज़ी से सड़क से गुजर रहीं थीं। कुछ देर आती-जाती गाड़ियाँ और सामने की इमारतों को देखते रहे।
बग़ल में ही एक रेस्टोरेंट दिखा- पीटर्स कैफ़े (Peters Cafe)। अंदर घुसते ही लाबी नुमा जगह जहां शायद इंतज़ार के लिए सोफ़े लगे थे। हमने अंदर घुसने से पहले पूछा -‘यहाँ चाय मिलेगी?’ काउंटर पर मौजूद महिला ने चाय के लिए हामी भारी और हम अंदर घुस गए।
चाय के लिए आर्डर देते ही चाय आ गयी। उसके पहले हमको एक अंडाकार मेज़ के सामने एक ऊँची कुर्सी पर बैठा दिया गया। कुर्सी और मेज़ का गठबंधन देखकर क्लबों आदि में पीने-पिलाने की व्यवस्था याद आ गयी। वहाँ बग़ल की मेज़ों में कुछ ग्राहक खाने-पीने में तल्लीन थे।
हमको बैठाकर काउंटर की महिला ही हमारे लिए चाय ले आयी। हमारा कार्ड लिया। कार्ड से पैसे काट लिए और बिल एक फ़ोल्डर में रखकर सामने धर दिया। 3.50 डालर का चाय का बिल और साथ में फ़ोल्डर। फ़ोल्डर शायद ‘टिप’ के लिए था। लेकिन हमको एहसास नहीं हुआ कि यहाँ टिप भी देनी है। हमको लगा कि पैसे काट लिए खुद चाय के तो अब क्या कुछ और देना।
चाय पत्ती पड़ा उबला पानी और दूध अलग-अलग था। चीनी बग़ल में रखी थे। हमने तीन बार में पूरी चाय ख़त्म की। चाय पीते हुए आसपास के नज़ारे भी देखे। कैफ़े के काँच के बाहर सड़क का नजारा साफ़ दिख रहा था। सामने खाना खाती हुई महिला सिगरेट सुलगाते हुए सामने बैठे साथी से बात कर रही थी। इस बीच कैफ़े में घुसी एक महिला दरवाज़े के पास ही लड़खड़ाकर गिर गयी। उसके साथ के बुजुर्ग ने उसको सहारा देने की कोशिश की लेकिन वह महिला सहारे की अनदेखी करते हुए खुद उठी और बुजुर्ग के साथ अंदर आकर एक मेज़ के सामने कुर्सी पर बैठ गयी। बैठते ही वे लोग मीनू देखने में तल्लीन हो गयी। ऐसा लगा ही नहीं उनके हावभाव से महिला कुछ देर पहले दरवाज़े के पास लद्द से गिरी थी।
चाय ख़त्म करके हमने काउंटर पर मौजूद महिला से बातचीत करने के लिए कैफ़े के बारे में पूछा। कितना पुराना है कैफ़े? उसने बताया कि क़रीब 30 साल पुराना है कैफ़े। बाद में देखा नेट पर उसके हिसाब से कैसे 1990 में शुरू हुआ था। हमने कैफ़े के फ़ोटो लेने के बारे में पूछा। उसने कहा -‘ले लो। कोई गल्ल नहीं।’ कैफ़े के फ़ोटो लेने के बाद अपन ने उसका भी फ़ोटो लेने की अनुमति चाही। उसने कहा -‘कोई समस्या नहीं। ले सकते हैं।’ हमने कहा -‘मास्क तो उतारो।’ उसने मुस्कराते हुए मास्क उतारा और हमने उसका फ़ोटो लिया।
चलने से पहले और बातचीत हयी उसके अनुसार वह महिला शुरू से ही पीटर्स कैफ़े से जुड़ी हैं। मूलतः ताइवान की रहने वाली हैं। नाम है -‘टिफिनी।’ इस नाम का मतलब क्या होता है ताइवान में यह पूछना रह गया।
वापस लौटने के लिए हमने साझे की टैक्सी का विकल्प चुना। आते समय 27.79 डालर (2259 रुपए) लगे थे। साझा टैक्सी का विकल्प 14.63 डालर (1189 रुपए) का था। मतलब 1070 रुपए की बचत।
टैक्सी बुक करते ही सूचना आ गयी- ड्राइवर रोलैंडो (Rolando) टोयोटा गाड़ी (Toyota Prius) में तीन मिनट में पहुँच रहे हैं। बाहर आकर खड़े हो जाएँ। तीन मिनट बाद संदेश आया -‘ड्राइवर आ गया है। पाँच मिनट बाद वह वापस चला जाएगा।’ हमने इधर-उधर देखा। गाड़ी और ड्राइवर नहीं दिखा। कानपुर में होते हैं तो ड्राइवर फ़ोन करता है। यहाँ ऐसा कोई चलन नहीं। हमने सोचा हम ही कर लें। हमने फ़ोन मिलाया तब तक बग़ल की पार्किंग में एक गाड़ी वाला अपना हेडलाइट लुपलुपाते दिखा। हम पास गए। उन्होंने पूछा -‘अनूप?’ हमने जबाब में पूछा -‘रोलैंडो।’ दोनो के जबाब हाँ में थे। हम गाड़ी में बैठ गए।
गाड़ी में बैठते ही बात हुई। रोलैंडो ने बताया कि सुबह उसे उनकी 15 वीं ड्राइव है यह। नौ बजे से एक बजे तक 15 सवारी मतलब काफ़ी काम हो गया। बाद में जब फिर पूछा तो उन्होंने बताया कि पास-पास की सवारी थीं। वैसे भी यहाँ सड़क पर जाम नहीं लगता। केवल दूरी तय करनी होती है।
हमने पूछा -‘ उमर कितनी है आपकी?’
रोलैंडो ने हंसते हुए बताया -‘मैं 21 साल का हूँ। तुमको क्या लगता है कि मेरी उमर कितनी है?’
हमने कहा -‘हमको तो लगता है 16 साल से ज़्यादा नहीं है तुम्हारी उमर।’
इस बार हंसते हुए उन्होंने पहले अपनी उमर 48 बताई। जिसे हमने मान लिया। लेकिन आख़िर में उन्होंने अपनी उमर 65 साल की बताकर उस पर ताला लगा दिया।
इसके बाद हुई बातचीत में रोलैंडो ने अपने परिवार के किससे बताए-‘ पहली शादी 22 साल की उम्र में हुई थी। उससे दो बच्चे हुए। 16 साल साथ के बाद उससे तलाक़ हो गया। तलाक़ का कारण यह था कि उसको किसी दूसरे पुरुष के साथ देख लिया था रोलैंडो ने। साल भर बाद दूसरी शादी की। दूसरी शादी को 26 साल हो गए। दूसरी पत्नी के दो बच्चे और उनसे खुद के दो बच्चे हैं। कुल मिलाकर छह बच्चों के पिता हैं रोलैंडो।
दूसरी शादी चार साल लिव-इन में रहने के बाद की। इस तरह देखा जाए तो पहली पत्नी के साथ रहते हुए तीन साल दूसरी महिला के साथ लिव-इन में रहे। पहली से तलाक़ का कारण उसका दूसरे पुरुष से सम्बन्ध था। वही काम उन दिनों खुद कर रहे थे।
पहली पत्नी के बारे में पूछने पर बताया -‘मुझे पता नहीं कहाँ हैं, होंगी कहीं।’
आम तौर पर तलाक़ लेने में यहाँ कितना समय लगता है? मेरे यह पूछने पर रोलैंडो ने बताया -‘अगर लेन-देन और सम्पत्ति मुआवज़े के लफड़े न हो तो महीने भर में तलाक़ हो जाता है।’ उनकी बात सुनकर मुझे अपने कई दोस्त याद आए जो तलाक़ के इंतज़ार में बुढ़ा रहे हैं । तारीख़ पर तारीख़ पड़ रही हैं।
हावी पूछने पर रोलैंडो ने बताया -‘घर पहुँच कर खाना बनाना अच्छा लगता है। पत्नी काम से आती है तब तक खाना बना लेते हैं।’
बतियाते हुए हमारी मंज़िल आ गयी। उतरने के बाद साथ में फ़ोटो ली। गले मिले रोलैंडो से। इसके बाद वो चले गए।
मज़े की बात कि हमारी टैक्सी साझे की थी। लेकिन कोई और सवारी रास्ते में नहीं मिली। पर हमारे पैसे 14.63 डालर ही कटे। जाते समय कुल खर्च हुआ था 27.79 डालर। लौटे समय कुल खर्च हुआ 24.13 डालर {14.63 डालर (साझा टैक्सी) + 6 डालर (मेट्रो टिकट +3.50 डालर (चाय) } इस तरह लौटते में हमने 3.66 डालर मतलब 297.50 रुपए बचाए । पैसे बचाए मतलब पैसे कमाए।
कुल मिलाकर एक अनुभव भरा दिन रहा अमेरिका में। मेट्रो की भूलभुलैया और साझे की टैक्सी के अनुभव का दिन।

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