Sunday, January 08, 2023

कम्प्यूटर म्यूज़ियम की सैर



आज कंप्यूटर म्यूज़ियम देखने गए। यहाँ पिछले 2000 साल से अब तक के गणना के इतिहास का हिसाब किताब मौजूद है। माउंटेन व्यू में जहां यह म्यूज़ियम है वह जगह फ़ास्टर सिटी से क़रीब 17.2 मील मतलब 27.68 किलोमीटर है। 20 मिनट का रास्ता।
म्यूज़ियम जाने के लिए लिफ़्ट की सेवा ली गयी। पाँच मिनट में पधार गयी गाड़ी। टेस्ला गाड़ी टैक्सी के रूप में चलती देख थोड़ा ताज्जुब हुआ। हमको यह लगता था कि टेस्ला बहुत महंगी गाड़ी है, बहुत अमीर लोगों के क़ब्ज़े में ही रहती होगी। लेकिन यहाँ तो टैक्सी के रूप में चल रही है। क्या बात।
ड्राइवर से बतियाने के लिहाज़ से आगे ही बैठे। पता चला ड्राइवर नसीर यूथोपिया के मूल निवासी हैं। 33 साल से अमेरिका में हैं। 23 साल से यहाँ के नागरिक हैं। यूथोपिया आते -जाते रहते हैं। यहाँ वोट देते हैं। सरकार बनवाते हैं।
यूथिपिया के नागरिक को दस साल में अमेरिका की नागरिकता मिल गयी। भारतीय लोगों को बीस-तीस साल तक इंतज़ार करना होता है।
नसीर ने बताया कि उनके पास खुद की कार है लेकिन उसका चलाने का खर्च ज़्यादा है (गैस के दाम ज़्यादा होने के कारण) इसलिए उसको घर में खड़ी किए हुए हैं और किराए की गाड़ी चलाते हैं। 500 डालर हफ़्ते के हिसाब से टेस्ला गाड़ी किराए पर लिए हैं। अब कुछ कम हुए हैं गैस के दाम। लेकिन फ़िलहाल गाड़ी किराए की ही चल रही है। हफ़्ते में सातों दिन चलाते हैं गाड़ी।
दिन में अधिकतम कितने घंटे गाड़ी चला सकते हैं? पूछने पर बताया -'ड्राइविंग टाइम 11 घंटे अधिकतम होता है। सुरक्षा कारणों से इससे अधिक गाड़ी नहीं चला सकते। 11 घंटे चलाकर गाड़ी खड़ी कर देनी होती है। ख़ाली टाईम सब कुल मिलाकर लगभग 15-16 घंटे चल जाती है रोज़ गाड़ी।
नसीर ने बताया क़ि गाड़ी कम्पनियाँ 25% कमीशन लिखा-पढ़ी में लेती है लेकिन और खर्चे मिलाकर आधे पैसे रखवा लेती हैं। कोई यूनियन नहीं है। कम्पनियाँ मनमानी करती हैं। अगर कोई यूनियन होती तो उनके अधिकारों के लिए लड़तीं। बिना यूनियन के जैसा कम्पनियाँ कहती हैं, लोगों को मानना पड़ता है।
कोरोना के समय टैक्सी बन्द थी। उस समय कोरोना से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने का काम करते थे नसीर।
अमेरिका के चुनाव के बारे में बात हुई तो ट्रम्प के मजे लेते हुये हंसते हुए कहा -'वो राजनीति का आदमी नहीं है। वो ड्रामेबाज है।'
भारतीय पिक्चरें भी देखते हैं नसीर। चलते समय बोले -'You look like मिथुन चक्रवर्ती।' हमने सोचा आजकल हमसे मौज लेने वाले बढ़ते जा रहे हैं। कोई स्मार्ट बताता है, कोई हैंडसम, कोई बोरिस जानसन तो कोई मिथुन चक्रवर्ती। 🙂
सेन होजे में किराए के घर में रहते हैं नसीर। ज़्यादातर कैलिफ़ोर्निया में ही गाड़ी चलाते हैं। चलते समय फ़ोटो खिंचाया साथ में। फ़ोटो खिंचाने के बाद नसीर ने कहा -'लाइए आप लोगों का फ़ोटो खींच दें। फेमिली फोटो।'
फ़ोटो खींचकर मुस्कराते हुए नसीर चले गए। हमने उनका नम्बर ले लिया था। फ़ोटो भेज दिया उनको।
म्यूज़ियम देखने का टिकट 17.50 डालर का था। 17.50 डालर मतलब 1440 रुपए लगभग। तीन लोगों के 4320 रुपए के टिकट के लगे। काउंटर बालक ने समझाया कि अंदर फ़ोटो फ़्लैश वाले नहीं लेने हैं। रास्ता बता दिया। जाइए देखिए गणना के इतिहास का म्यूज़ियम।
गणित म्यूज़ियम में 20 भागों में हज़ार के क़रीब गणित के नमूने, कलाकृतियाँ कालक्रम के अनुसार मौजूद हैं। 2000 साल पहले से शुरू हुआ गणना का इतिहास विभिन्न दौरों से गुजरते हुए आजतक पहुँचा है। जगह-जगह विभिन्न कृतियों के मतलब बताने के लिए चित्र, वीडियो और आडियो मौजूद हैं। पूरे म्यूज़ियम को देखने और समझने के लिए कम से पूरा एक दिन और गणित की घटनाओं में रुचि ज़रूरी है। बीस म्यूज़ियम के 20 भाग निम्नवत थे:
1. Calculator (कैलकुलेटर)
2. Punch Card (पंच कार्ड)
3. Analog Computer (अनालाग कम्प्यूटर)
4. Birth of the Computer (कम्प्यूटर की शुरुआत)
5. Early Computer Companies (शुरुआती कम्प्यूटर कम्पनियाँ)
6. Real Time Computing (रियल टाइम कम्प्यूटिंग)
7. Main Frames (मेन फ़्रेम)
8. Memory and Storage (मेमोरी और स्टोरेज)
9. Software Theater (साफ़्टवेएर थिएटर )
10. Supercomputers (सुपरकम्प्यूटर)
11. Minicomputer (मिनीकम्प्यूटर)
12.Digital Logic (डिजिटल लाजिक)
13.Artificial Intelligence and Robotics (कृत्रिम बुद्धि और रोबोटिक्स)
14.Computer Graphics Music and Art(कम्प्यूटर ग्राफ़िक, संगीत और कला)
15. Input & Output (इनपुट और आउटपुट )
16.Computer Gemes (कम्प्यूटर गेम्स)
17. Personal Computers (व्यक्तिगत कम्प्यूटर)
18. Mobile Computing (मोबाइल गणना)
19. Networking & the Web (नेटवर्किंग और बेव)
20. What's Next (आगे क्या? )
शुरुआती दौर की गणना पद्धति से लेकर आधुनिक समय तक की प्रगति को बहुत रोचक तरीक़े से विस्तार से समझाया गया है म्यूज़ियम में। दुनिया भर में न जाने कितने लोग एक ही समय में एक ही समस्या को अलग-अलग तरीक़े से हल करने की कोशिश में लगे हुए थे। लोगों की ज़िंदगी भर की मेहनत कुछ समय बाद गए जमाने की बात होते हुए अगली खोज का कारक कैसे बनती है यह इस म्यूज़ियम को देखकर लगा। कुछ लोग वहाँ गेम भी खेल रहे थे, कुछ लोग टीवी देख रहे थे।
क़रीब घंटा भर म्यूज़ियम में बिताने के बाद हम बाहर आ गए। म्यूज़ियम बंद होने का समय हो गया था। बाहर लाबी में भविष्य की बिना ड्राइवर की कार खड़ी थी। बिना इंजन की डब्बा नुमा केबन जैसी कार। 1914 में डिज़ाइन की गयी कार अपने अगले चरण में चलकर अब सही में सड़क पर चलना शुरू होगी यह वहाँ नहीं पता चला।
वहीं लाबी में काफ़ी की दुकान थी। वहाँ मौजूद कुर्सियों पर बैठने के बाद काफ़ी का आर्डर देने गए। वहाँ दुकान पर मौजूद बालक ने हमारे सामने नीचे दुकान बंद का बोर्ड उठाकर काउंटर पर रखा और दुकान बंद होने की घोषणा कर दी। हमने कहा -'यार काफ़ी पिला दो। अभी-अभी तो खुली थी दुकान।'
लेकिन बालक ने दुकान पर दूध, काफ़ी और चीनी की मौजूदगी के बावजूद असहाय सी मुद्रा में काउंटर बंद हो गया कहकर मना कर दिया। हमने फिर ज़िद की तो उसने सामने इशारा करते हुए बताया -'स्टारबक्स का काउंटर खुला है। वहाँ मिल जाएगी काफ़ी।'
बाहर हल्का पानी बरसने लगा था। हम टहलते हुए स्टारबक्स आए और चाय और चिप्स का आर्डर दिया। नाम पूछने पर किसी गड़बड़ी से बचने के लिहाज़ से इस बार हमने ठहर कर नाम की वर्तनी भी बता दी। उसने बिल बना दिया। बिल भुगतान में टिप का आपशन भी था। 15 डालर के बिल पर 10%, 20% टिप का विकल्प था। हालाँकि शून्य टिप का भी विकल्प था लेकिन कोई माँगे तो टिप न देना भी ठीक नहीं लगता। लिहाज़ के मारे 10% टिप पर टिक करके कुल बिल का भुगतान कर दिया।
चाय पीते हुए बाहर बरसते पानी और स्टारबक्स में मौजूद लोगों को देखते रहे। बग़ल की कुर्सी पर बैठी एक लड़की बहुत सुंदर राइटिंग में अपनी कापी पर कुछ लिख रही थी। जापानी या कोरियान या चीनी घराने की लिखाई थी। मन किया उससे बात करके पूछें कि क्या लिख रही। लेकिन जब तक पूछने की हिम्मत जुटाएँ तब तक बच्ची अपनी कापी पर सर रखकर सो गयी। कुछ देर बाद वह उठी और उठकर अपने घरवालों के साथ चली गयी।
चाय पीकर हमने लौटने के लिए टैक्सी के लिए एप देखे। उबर 33 डालर बता रही थी, लिफ़्ट 27 डालर। हमने लिफ़्ट पर टैक्सी बुक कर दी। खबर आयी कि पाँच मिनट में आ रही है गाड़ी। दो मिनट बाद ड्राइवर का नाम बदल गया। इस बार तीन मिनट बाद आने की सूचना थी।
तीन मिनट बाद मेसेज आया -'ड्राइवर इंतज़ार कर रहा है। अगर पाँच मिनट में नहीं पहुँचे तो ड्राइवर चला जाएगा।'
हमने मेसेज लिखा -'स्टारबक्स के सामने आओ। वहाँ इंतज़ार कर रहे हैं।'
तब तक सामने से एक गाड़ी बार-बार बत्ती जलाते-बुझाते हुए हमारी तरफ़ इशारा करती दिखी। हम उधर गए तो बता चला कि हमारी ही गाड़ी थी। जहां हम पहले इंतज़ार कर रहे थे वहाँ गाड़ी खड़ी होने की अनुमति ही नहीं थी।
इस बार जो ड्राइवर था वो फ़िलिपीन्स के रहने वाले थे। पैदाइश अमेरिका की। तीन साल रहे यहाँ। फिर चले गए फ़िलिपीन्स। बाद में वापस आए। टूर एंड ट्रेवल काम करते हैं। वही मुख्य काम है। मुख्यतः फ़िलीपींस से आने वालों को अमेरिका घुमाते हैं। चार- पाँच लोगों के ग्रुप में। कभी-कभी गाड़ी भी चला लेते हैं। खुद की तीन गाड़ियाँ हैं। अमेरिका और फ़िलिपींस दोनो जगह की नागरिकता है। 57 के हो गए हैं। साठ साल के होने पर चले जाएँगे फ़िलीपींस। वहीं रहेंगे।
गोवानी नाम बताया ड्राइवर साहब ने। बाद में कार्ड भी दिया। फेसबुक खाता देखने पर पता चला कि इंडोनेशिया, वियतनाम में भी काम किया है।
गाड़ी में बैठने पर बातचीत शुरु हुई नहीं कि पूछा -'घूमने आये हैं, बेटे/बेटी के पास आये हैं, पढ़ता है या नौकरी करता है? इसी घराने के लोग आमतौर पर आते हैं अमेरिका।
'अमेरिका और फ़िलिपींस की ज़िंदगी में क्या अंतर है?' पूछने पर बताया -'अमेरिका में युवा लोगों को कमाने के अवसर हैं। पैसा है। लेकिन मेहनत बहुत है। फ़िलिपींस में 3000 डालर की कमाई में आप ऐश की ज़िंदगी जी सकते हैं, नौकर-चाकर रख सकते हैं जबकि अमेरिका में इतने में आप ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं।
टैक्सी कंपनियो के बारे में इनकी भी राय भी लगभग वही थी जो यूथोपिया के नसीर की थी। बताया कि कम्पनियाँ कंपटीशन के चक्कर में अपने दाम कम करते जाती हैं। झेलना ड्राइवर को पड़ता है। इसीलिए वे टैक्सी चलाना कम पसंद करते हैं।
गाड़ी के बारे में बताते हुए कहा -'यहाँ गाड़ी बनवाने की खर्च बहुत है। लेबर महँगा है। इसीलिए तीन-चार साल में गाड़ी बदल देते हैं।इतने में गाड़ी काफ़ी चल भी जाती है।'
सैनफ्रांसिसको में पुस्तैनी घर है गोविनो का। हमने वहाँ के मौसम के बारे में पूछा तो बताया कि तूफ़ान आने की सूचना है। दो-तीन दिन घूमने लायक़ नहीं है।
बात करते हुए हमारी मंज़िल आ गयी। हम गोवानी को बाय बोलकर चले आए। पैसे अपने आप कट गए जाएँगे क्रेडिट कार्ड से। इसमें भी ट्रिप के बारे में फ़ीडबैक देते हुए टिप का विकल्प मौजूद रहता है। आपकी मर्ज़ी जो देना चाहो दे सकते हैं। सुबह देखेंगे वह हिसाब।
फ़िलहाल तो आधी रात हो गयी है। बाहर बादल गरज रहे हैं। लगता है तूफ़ान सही में आया है तगड़ा वाला। ग़नीमत है कि बिजली और इंटरनेट अभी साथ दे रहे हैं।

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