फॉस्टर सिटी में कई दिनों के बदली वाले मौसम के बाद धूप वाला दिन खिला। ऐसे ऑसम मौसम में घूमने के लिये हम लोग गोल्डन ब्रिज देखने गए। सैनफ्रांसिस्को और मैरीन काउंटी को जोड़ने वाला यह गोल्डन ब्रिज अपने तरह का अनूठा पुल है। तेज समुद्री लहरों और बहुत तेज हवाओं के कारण यह पुल बनना बहुत मुश्किल माना जाता था। लेकिन बना।
फॉस्टर सिटी से गोल्डन गेट पुल 28.6 मील (लगभग 46 किलोमीटर) दूर है। नक़्शे के हिसाब से 55 मिनट का रास्ता। कोई हड़बड़ी थी नहीं। समय इफरात में था। इंतजार करने वाली टैक्सी की। बुकिंग के 10 मिनट के अंदर आने का बताया एप ने। बुक कर दी। लेकिन गाड़ी बुकिंग करते आने की सूचना मिली और आ भी गयी। हम चल दिये।
ड्राइवर का नाम इस्लाम था। कुरगिस्तान के मूल निवासी। कुरगिस्तान पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। सोवियत संघ के विघटन के बाद अलगाव हुआ। पहले केंद्रीय सोवियत सत्ता होने के कारण व्यवस्था थी। आजादी के बाद तमाम बदलाव हुआ।
इस्लाम ने बताया कि कुरगिस्तान के सोवियत संघ से अलग होने के बाद वहां सत्ता परिवर्तन के लिये तीन क्रांतियां हो चुकी हैं। हर क्रांति के बाद सत्ता अराजक लोगों के हाथों जाती रही। हर बदलाव के बाद कुरगिस्तान के हालात बदतर होते गए।
इस्लाम ने बताया कि कहने को देश आजाद है लेकिन उस पर रूस का प्रभाव है। कारण यह कि तमाम चीजों के लिए देश रूस पर निर्भर है।
इस्लाम खुद विदेश नीति की पढ़ाई करके अमेरिका में आये हैं। 2015 में पहली बार आये थे। फिर आते-जाते रहे। पत्नी भी अमेरिका में ही हैं। एक बच्चा है। देश से लगाव के चलते बच्चे की पैदाइश के समय कुरगिस्तान चले गए थे। पत्नी किसी कम्प्यूटर कम्पनी में काम करती हैं। इस्लाम काम की तलाश में हैं। फिलहाल खर्च चलाने के लिए टैक्सी चलाते हैं। सुबह तीन-चार घण्टे चलाते हैं। फिर शाम को तीन-चार घण्टे। बाकी समय पढ़ाई करते हैं। बच्चे की देखभाल करते हैं।
विदेश नीति की पढ़ाई करके टैक्सी चलाने का काम करते जहीन शख्सियत के मालिक इस्लाम के साथ बात करते हुए अनायास मुहावरा याद आया -'पढ़ें फारसी बेंचे तेल' याद आया। सच पूछा जाए तो आज के समय यह बात तमाम जीनियस लोगों पर लागू होती है।
जहीन लोगों के इस हाल को बयान करते हुए परसाई जी कहते थे -'वे शेर हैं लेकिन सियारों की शादी में बैंड बजाते हैं।'
घर-परिवार और देश दुनिया के बारे में बात करते हुए इस्लाम ने बताया कि उनके घर वालों को हिंदी फिल्में बहुत पसंद हैं। ऋतिक रोशन, सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान उनके पसंदीदा एक्टर हैं। लेकिन उनके दादा जी की पसंदीदा पिक्चर अमिताभ बच्चन की बागबां है। पिक्चर को देखकर बार-बार कहते हैं बच्चों से कि हमारा कायदे से ख्याल रखना, अभिताभ बच्चन के बेटों की तरह हमारा बुढापा मत खराब करना।
गोल्डन गेट पुल पहुँचने पर टैक्सी का जीपीएस बहक गया। बार-बार इधर-उधर टहलते रहे। पुल के पास से गुजरते रहे लेकिन पुल नहीं आया। दूर से दिखता रहा पुल लेकिन हर मोड़ पर सड़क गाड़ी को पुल से दूर ही करती रही। इस चक्कर में गाड़ी 4 मील ज्यादा चल ली। आखिर में इस्लाम ने पुल के पास छोड़ दिया हमको और चले गए। हम लोग पैदल चलते हुए पुल पर पहुंचे।
48 किलोमीटर की यात्रा एक घण्टे में हुए और किराया ख़र्च हुआ 43 डॉलर मतलब 3500 रुपये लगभग।
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