सुबह-सुबह सूरज भाई आसमान में दिखे। हमको लगा कि रंग के डर से निकलते उचक गये हैं। हमने सोचा कि होली कि शुभकामनाएँ दे दें। देरी करने में क्या पता वो कोई बड़ा सा वीडियो भेज दें जिसको खोलने में ही तमाम डाटा निपट जाए। आजकल त्योहारों पर इतने संदेश हमले होते हैं कि इंसान का सारा त्योहार धन्यवाद , आपको भी मुबारक कहते हुए ही निपट जाता है।
सोचा सूरज भाई को सीधे-सीधे ‘होली की शुभकामनाएँ’ कह दें। फिर लगा कि ये तो ‘शुभकामना हमला’ टाइप लगेगा। फिर सोचा होली को ‘पावन पर्व ‘ लिख दें और कह दें -‘होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ।’ लेकिन फिर लगा कि कहीं वो बाल की खाल न निकालने लगें -‘इतनी गंदगी मचाते हो होली में तो काहे का पावन पर्व।’ क्या पता वो यह भी पूछ लें -‘होली पावन पर्व है तो क्या बाक़ी त्योहार अपावन हैं।’
हमने अपने पास कई होली के संदेश देखे। कुछ में लिखा था -‘बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक त्योहार होली की शुभकामनाएँ।’ फिर लगा कि यह देखते ही सूरज भाई मजे लेंगे -‘विजय का प्रतीक मतलब लड़ाई झगड़ा। बिना बुराई-भलाई को लड़वाये त्योहार तक नहीं मना सकते। ये तो एकदम अमेरिका टाइप हरकत हुई। किसी को मिसाइल बेंचों तो उसके पड़ोसी को मिसाइल से बचने के उपाय। और फिर बुराई-भलाई तो सापेक्ष है। जो चीज एक के लिए बुरी है वो दूसरे के लिए अच्छी हो सकती है। न समझ में आये तो पढ़ लो चित्रलेखा भगवतीचरण वर्मा की फिर से। उसमें बताया गया है पाप-पुण्य के बारे में।’
अब हम चित्रलेखा दुबारा क्या पढ़ते? पास में रखी , ख़रीदी तमाम किताबें अनपढ़ी हैं इसी लिए तो पुस्तक मेला नहीं गये। गये होते तो दूसरों की फ़ोटो देखते हुए झूठी तारीफ़ करने की बजाय पाट देते हम भी अपनी दीवार खींची हुई फ़ोटुओं से। अब चित्रलेखा खोजकर दुबारा पढ़ें। कठिन काम।
हम अचकचा गये। बड़ा बवाल है शुभकामना देना भी। इतनी पूछताछ तो कोई जाँच एजेंसी भी न करती होगी त्योहार के मौक़े पर जितना सूरज भाई कर सकते हैं।
हम सोचते ही रह गये और सूरज भाई और ऊपर उचक गये आसमान में। लगता है एकदम आसमान के एवरेस्ट पर चढ़कर ही रुकेंगे।
इस बीच हमारे मोबाइल पर शुभकामनाओं की झड़ी लगी है। कोई शुभकामना लिख रहा है, कोई फ़ोटो संदेश, कोई वीडियो। फ़ोटो और वीडियो सब फ़ारवर्डेड हैं। किसी के पास आया उसने देखा और आगे बढ़ा दिया। त्योहारों में मिले सस्ते उपहारों की तरह। सबके जवाब देने हैं। उधारी की तरह होती हैं इस तरह की शुभकामनाएँ। जितनी जल्दी चुक जायें उतना अच्छा।
इस बीच सूरज भाई का जलवा पूरी कायनात में पसर गया है। वे सबको होली की शुभकामनाएँ दे रहे हैं।लेकिन हमको लग रहा है कि वे ख़ासकर हमारे लिए होली की शुभकामनाएँ दे रहे हैं। सपरिवार दे रहे हैं। अब परिवार में दुनिया शामिल हो जाए तो क्या बुरा।
हम भी सूरज भाई को सपरिवार होली की शुभकामनाएँ भेज रहे हैं। आप भी उनके परिवार में शामिल हैं तो आप तक भी पहुँच ही गई होंगी।
आप सभी को रंगारंग त्योहार होली की बधाई। शुभकामनाएँ।
https://www.facebook.com/share/p/2LEcBeEXmdiD4QRk/
No comments:
Post a Comment