1. नेताओं के सामने दो विकल्प हैं। या तो आप उनसे पार्टी मज़बूत करा लो या सरकार। वे दोनों एक साथ मज़बूत नहीं कर सकते।
2. पद्मश्री पर शहद लगाकर चाटा जाए तो शहद बड़ा फ़ायदा करता है। पद्मश्री के बहाने शहद चाटने में आ जाएगा।
3. कुछ लोग इस योग्य हो जाते हैं कि पद्मश्री के अलावा किसी योग्य नहीं रहते।
4. ख़ुशी की बात यह है कि पद्मश्री के बाद आदमी किसी काम का नहीं रहता और पद्मश्री उसे किसी काम का नहीं रखती। बल्कि उसे के पद्मश्री इस बात के लिए मिलनी चाहिए कि उसने पद्मश्री मिलने के बाद कुछ नहीं किया।
5. सहन करें क्योंकि सहन करने के अलावा हम क्या कर सकते हैं ? हम सहनशीलता के नमूने हैं। जिन्हें कुछ करना चाहिए, वे सहनशीलता के और बड़े नमूने हैं। हमारी रीढ़ पूरी तरह झुकी हुई कितनी खूबसूरत लगती है।
6. महंगाई एक ऐसी आग है जिसके बुझने का डर बना रहता है। वातावरण में ऊष्मा बनाए रखने के लिए सरकार और व्यापारी निरंतर उसकी आँच उकसाते रहते हैं। वस्तु का सम्मान बनाए रखने के लिए लगातार कोशिशें जारी रहती हैं। अभाव बना रहे ,तो भाव बने रहते हैं।
7. महंगाई से आदमी को अपनी औक़ात का पता चलता है। आदमी जितना ऊँचा है, महंगाई उससे ऊँची रहती है।
8. अधिकांश लोग जब अपनी आर्थिक ऊँचाई से महंगाई की ऊँचाई नापते हैं, उन्हें लगता है कि वे ताड़ के वृक्ष के नीचे खड़े हैं।
9. आज़ादी के बाद एक अद्भुत आर्थिक संसार विकसित हुआ है। आदमी वस्तुओं को देखता है और ठिठका हुआ खड़ा रहता है। अधिकांश भारतवासियों के पास केवल सड़क पर चलने के अधिकार हैं। उनके दुकानों में घुसने के अधिकार समाप्त हो गए हैं।
10. पेट्रोल के दाम बढ़ने से टैक्सी का भाड़ा बढ़ा। गरीब तो टैक्सी में बैठता नहीं। देश में असली गरीब के पास तो लोकल ट्रेन या बस में चलने के भी पैसे नहीं। सब्ज़ी महँगी होगी। गरीब सब्ज़ी खाता ही नहीं। गरीब आदमी को इस हालत में पहुँचा दिया गया है कि उसका मंहगाई से संबंध ही नहीं रहा।
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