Friday, October 25, 2024

शरद जोशी के पंच -18

 1. राजनीति में फँसे आदमी की दुर्दशा साहित्य में फँसे आदमी से अधिक होती है। 

2. नेतागीरी का पूरा धंधा विचित्र सहकारी स्तर पर , एक-दूसरे पर आधारित , जिसे परम हिंदी में अन्योन्याश्रित कहते हैं, चलता है। पहले नहीं था ,मगर आजकल तो है ही। बड़ा नेतृत्व छोटे नेतृत्व पर टिका रहता है और छोटा नेतृत्व बड़े नेतृत्व पर। दोनों मिलकर समाज और देश को एक क़िस्म के नेतृत्व की हवा में बांधे रहते हैं। जड़ें दोनों की नहीं हैं ,पर वे किसी तरह एक-दूसरे पर टिके हैं।

3. गहराई से सोचा जाए तो पब्लिक अयोग्य और अविश्वसनीय व्यक्तियों को नेता मान जैसे-तैसे प्रजातंत्र क़ायम रखे है और सौभाग्य है कि उनमें कुछ अच्छे भी हैं।

4. एक बार आप राजनीति में फँस गए तो कारवाँ के साथ कुत्ते की तरह दुम हिलाते, दबाते, घिसटते, थकते, चलने के अलावा कोई ज़िंदगी नहीं रह जाती।

5. प्रदूषण  को लेकर हमारी जो नीति और कार्य-प्रणाली है , साम्प्रदायिक मनमुटाव दूर करने के मामले में भी वही है। मतलब, हवा में थोड़े-बहुत जहर का घुलना हमें अनुचित नहीं लगता। उसे हम सहज-स्वाभाविक मान टाल देते हैं। 

6. हर शहर में एक-दो कारख़ाने हवा में जहर घोलते हैं, व्यवस्था  सहर्ष और सगर्व उन्हें ऐसा करने देती है। पर्यावरण विभाग को चिंता तब सताती है ,जब ज़हर अच्छा-ख़ासा घुल चुका होता है। हमारे देश में नालियों को नियमित करने की व्यवस्था है, नदियों को साफ़ करने की नहीं। नदी को हम शुद्ध-पवित्र मानकर चलते हैं।

7. यह चिंता तो सभी धर्मगुरुओं और भक्तों को रहती है कि  चढ़ावा ज़्यादा चढ़े और धार्मिक कोष में वृद्धि हो। मगर उसके लिए बैंक लूट लेना, दुकानों या घरों में घुस कर नक़दी या ज़ेवर बटोरना, धर्म की सेवा के नए आयाम हैं , जो इन्हीं वर्षों में विकसित हुए हैं।

 8. जो कुछ होना है, वह हो चुका होता है ,तब खबर के साथ एक पुछल्ला , एक जुमला या एक वाक्यांश हमेशा रहेगा कि स्थिति नियंत्रण में है।

9.  किसी ने पूछा कि  स्थितियाँ कहाँ हैं ? तो वह यदि अफ़सर हुआ तो कहेगा , नियंत्रण में हैं। नियंत्रण एक हास्टल है स्थितियों का। स्थितियाँ बाहर जाती हैं, जैसे गर्ल्स हास्टल की लड़कियाँ घूमने निकलें और वापस लौट आती हैं। उन्हें नियंत्रण में ही रहना है। दिन-दिन में नियंत्रण से बाहर गईं। रात तक लौट आईं। जैसे ही कर्फ़्यू लगा, स्थिति नियंत्रण में आ गई। कहाँ जाती? कर्फ़्यू में घूम-फिर तो सकती नहीं थीं।

10. लूटपाट ,हत्या, घमकियाँ, आतंक, भय, दंगे, चोरी ,तस्करी, डकैती, बलात्कार, मारपीट, लाठी, गोली, गिरफ़्तारी, ज़मानत, फ़ायर होने आदि खबरों में यह कितने सुकून और हौसला देने वाली बात है क़ि स्थिति नियंत्रण में है, मामले की सरगर्मी से जाँच हो रही है और कड़ा कदम उठने वाला है। सच कहा जाए तो आज भारतीय नागरिक इन वाक्यांशों , इन जुमलों के सहारे ही साँस ले रहा है। 


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