फ़ुरसतिया

हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै

Tuesday, November 08, 2011

मेरे व्यंग्य-लेखन का एक ऐतिहासिक क्षण- श्रीलाल शुक्ल

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Saturday, November 05, 2011

वो मोहब्बत किस काम की जिसमें जुदाई न हो

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ऐसे पेन का क्या फ़ायदा जिसमें रौशनाई(स्याही) न हो, वो मोहब्बत किस काम की जिसमें *जुदाई न हो! *मोहब्बत में धोखे के समर्थक ’ जुदाई ’ के स्...
Tuesday, November 01, 2011

साहित्य के लिये मेरी कसौटी- श्रीलाल शुक्ल

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http://web.archive.org/web/20140419213033/http://hindini.com/fursatiya/archives/2322 Browse: Home / पुरालेख / साहित्य के लिये मेरी क...
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योगदानकर्ता

अनूप शुक्ल
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