Tuesday, April 01, 2008

अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन

http://web.archive.org/web/20140419214949/http://hindini.com/fursatiya/archives/419

अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन

आज एक अप्रैल है।
बड़ी मुश्किल से आता है।
दुनिया भर के लोग इसका इन्तजार करते हैं।
सोचते हैं दूसरों को बेवकूफ़ बनायेंगे। उनका बहुमत हो जायेगा। हर किसी को अपनी सरकार बनाने की पड़ी रहती है।
होता है कि जिसे आप बेवकूफ़ बनाने की सोचते हैं वह किसी और को बनाने की फ़िराक में है।शेर भी अर्ज कर दिया यार - फ़िराक तो उसकी फ़िराक में है जो तेरी फ़िराक में है।
दफ़्तरिये अपनी पिछले साल की दुकान बन्द करके नये साल का खाता खोलते हैं। नये लक्ष्य , नये काम, नया उत्साह। सब कुछ अच्छी तरह से करने का संकल्प। पिछले साल की गलतियां न दोहराने का संकल्प। सब कुछ कायदे से, समय से, नियम से, तरीके से करने का संकल्प।
नयी फ़ाइलें, नयी नम्बर सीरीज, नया वित्त वर्ष। सब कुछ लागे नया -नया।
सब नया पन वैसे ही जैसे पिछ्ले साल था। :)
बनो, बनाओ। दुनिया में बेवकूफ़ों की संख्या बढाओ। कब तक कृत्तिम बनें रहेंगे।
लोग एक दूसरे को बेवकूफ़ बनाने के लिये तमाम तरह की हरकतें करते हैं। अपने-अपने ब्लाग की इमली पर तरह की पोस्ट-दंड पेलते हैं। लेकिन लोग समझ जाते हैं। बेवकूफ बनने से इंकार कर देते हैं। ऐसे होता है कहीं! लेकिन कोई भी अपने वास्तविक रूप में नहीं आना चाहता। जो है वह स्वीकार नहीं करना चाहता।
बेवकूफ़ बनाने वालों को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। सच बड़ा कठिन काम है किसी को बेवकूफ़ बनाना। लोग समझदारी की चादर ओढ़ के बैठे हैं। एक अप्रैल की शाम को ही उतारेंगे। जस की तस धर देंगे। लेकिन दिन भर बेवकूफ़ न बनेंगे। अजीब बेवकूफ़ी है जी। साल भर जिस मुद्रा में रहते हैं उससे एक दिन बचते घूम रहे हैं। ऐसे होता है कहीं?
विडम्बना तो यह है कि ऐसे ही रहा है। इरफ़ान झांस्वी का एक शेर है-

संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।
आप बनें, बनायें। अपना दिन सार्थक करें।
हम तो चले। नये साल के नये संकल्प लेने। नया वित्त वर्ष शुरू हो गया न!

19 responses to “अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    नए साल का संकल्प बताइगा।
  2. Dr. Ajit kumar
    लोग कम से कम एक दिन तो समझदार बनने की (कु/सु)चेष्टा करते तो हैं.
  3. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    नये साल का संकल्प लें कि 366 मूर्ख बनायेंगे – 1 प्रति दिन और एक खुद! बहुत पुनीत कार्य होगा मौज के महत लक्ष्य के लिये!
  4. आलोक पुराणिक
    अजी हम तो परमानेंट फूल मोड में ही रहते हैं। कोई हमें क्या बनायेगा।
  5. संजय बेंगाणी
    आपने किसी को या किसी ने आपको बेवकुफ बनाया क्या? एक पोस्ट बनती ही बनती है. :)
  6. पिरमोद कुमार गंगोली
    मुझे नोबेल मिल गया (पता नहीं किस क्षेत्र में मिला है) मगर देख रहा हूं, आपने बधाई नहीं दी! एक गाय या साइकिल मिली होती तो आप खामखा लड़ि‍या रहे होते.. अच्‍छी बात है?
  7. प्रियंकर
    साल के पहले आधिकारिक मूर्ख दिवस और नए वित्तीय वर्ष का संकल्प : ‘बीन की बजाय दूरबीन के लिए वित्त-प्रबंधन’ ज्यादा उपयुक्त है .
  8. अजीत जी पब्लिक को ऐसे भी फूल ना बनायें
    [...] अभी ऑफिस के लिये तैयार हो रहा था कि अनूप जी उर्फ फुरसतिया का फोन आया. कहने लगे.. छा गये गुरु…क्या झक्कास ईमानदार चिरकुटई की है. अभी हमारे साथ वाले कानपुर वाले हॉस्टल के किस्से भी लिखोगे. ज्यादा ना लिखियो वरना वैसा ही कंटाप पड़ेगा जैसा रैगिंग के समय में पड़ा था. (यहाँ पर मैं यह बताता चलूँ कि कानपुर के हॉस्टल में अनूप जी ,जिन्हे तब हम सभी सीनियरों की तरह अनूप भाईसाहब कहते थे, हमारे सीनियर होते थे. जब इन्हे पता चला कि हम भी कुछ कविता वगैरह करते हैं तो इन्होने रात रात भर बैठाकर अपनी ढेर सारी कविताऐं हमें सुनायी थीं. ). हम सोचे कि अनूप जी सुबह सुबह किस मूड में हैं. हमने पूछा आखिर बात क्या हुई.बोले वो अजीत जी के ब्लॉग पर तुम्हारे बकलमखुद का पहला भाग पढ़ा था.तो अनूप जी का फोन तो रखवाया लेकिन हमारे भेजे में हमेशा की तरह उनकी बात कुछ समझ में ना आयी. [...]
  9. kakesh
    आपका फोन आने के बाद दिल बहुत दुखा. इस दुख में हमने आपका और अपना वाला राज अपने ब्लॉग पर बता दिया. अब आपका भी दिल दुखे तो एक टिप्पणी कर दीजियेगा.
    नये साल की बधाइयां.
  10. Dr. Chandra Kumar Jain
    क्षणिक चितन इतना
    शाश्वत भी हो सकता है !
    कमाल है शुक्ल जी आपकी शैली का
    कि मूर्ख बनकर भी स्थिरता का
    भरोसा कायम रहता है.
    सरकारों को भी तो टिके रहना गवारा है सरकार !
    अक अप्रैल का यह पोस्ट भी है धारदार-जानदार.
  11. anitakumar
    नये साल में आप का मूर्ख बनने का खाता लबालब भरा रहे॥:)
  12. anand chourey
    aap orkut par kab aa rahe ho.
  13. neeraj tripathi
    संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
    सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं। bahut barhiya…Ek दूरबीन to hamare paas bhi hai :)
  14. namitha
    write names of the flowers in hindi
  15. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन [...]
  16. देवांशु निगम
    :) :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..पं. पोंगादीन लप्पाचार्य से विस्फोटक बातचीत
  17. Dr. Monica Sharrma
    सही भी है ….. जो बनना चाहे बन ले
    Dr. Monica Sharrma की हालिया प्रविष्टी..बावला बनने का सुख
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