http://web.archive.org/web/20140419214950/http://hindini.com/fursatiya/archives/531
दुनिया में महान की मरने के बाद बड़ी कदर होती है।
जहां कोई लफ़ड़ा हुआ आवाजें उठती है- आज देश को गांधी की बहुत जरूरत है, एक भगतसिंह चाहिये, पटेल होते तो देश को ये हाल न देखने पड़ते, शास्त्रीजी ने नैतिकता के तहत इस्तीफ़ा दे दिया था।
कोई तो कोई तो और एंटीक महापुरुष चाहता है- पार्थ चाहिये गांडीव सहित, सच बोलने के लिये एक आदमी चाहिये जरा हरिशचन्द्र को भेजो, मर्यादा का लफ़ड़ा है बिना राम के न चलेगा काम, एक धर्म का मामला है युधिष्ठिर होते तो काम चल जाता।
अब बेचारे कहां-कहां जायेंगे ये निपट गये लोग।
कहीं ऐसा होता है भला।
ध्यान से देखा जाये तो जित्ते महान लोग हुये हैं दुनिया में ईरान से तूरान तक लेकर- सब अपना काम अधूरा छोड़ के गये हैं। अगर सबकी फ़ाइल मंगवा के देखी जाये सब मामला सामने आ जायेगा। अब चूंकि जाने के बाद केस बंद हो जाते हैं वर्ना सब लोग नप जाते अपने काम में लापरवाही के चार्ज में।
आप दुनिया भर का हिसाब-किताब देख लो जी, जो जित्ता बड़ा महापुरुष है उसने उत्ते ज्यादा काम छो़ड़े। या फ़िर जिसने जित्ते ज्यादा काम छोड़े वो उत्ता महान हो लिया। सीधा हिसाब काम छोड़ो-महान बनो। फ़ार्मूले में कहें तो किसी महापुरुष की महानता उसके द्वारा अधूरे छोड़े काम की समानुपाती होती है।
आज भले आपकी कदर न समझें लोग लेकिन कल जब आपके छोड़े काम लोगों को नजर आयेंगे तब पता चलेगा दुनिया को कि आप कित्ते महान थे। दुनिया भर में सारा काम ही काम छोड़े गये। सारा बिखरा पड़ा है कचरे की तरह इधर-उधर न जाने किधर-किधर। सब काम ही काम। जो छोड़ा खुले में छोड़ा, टोट्टल ट्रानस्पैरिसी। किसी स्विस बैंक का चक्करिच नईं जी। सब खुल्ले में छोड़ दिया जिसको मन आये आडिट कल्ले।
लोग कहेंगे -बड़े महान थे जी। घणे ग्रेट। इत्ता काम छोड़ गये हैं कि ससुरा गिनने में हमारा काम लग गया। गिनती ही नहीं हो रही है। अब तय किया गया है सब काम बोरे में भर के तौला जायेगा। तराजू से तो हो न पायेगा। बहुत काम है जी,धर्मकांटा लगवाया जा रहा है। तब शायद तौल जाये।
कहा जाता है कि महान वो होता है जो अपने से बाद में आने वालों को अपने से ज्यादा महान बनाये। हम ससुर इत्ते काम छोड़ के जायेंगे कि अगला जो आयेगा वो पटापट महान मन जायेगा। इधर पैदा हुआ , उधर उसको काम मिला और वो फ़ट से महान हो लिया। पहले के महान लोग थोड़ा सेल्फ़िस महान थे। खुद काम करके महान हो लिये।
इसीलिये हम तमाम सवाल परेशानियां लफ़ड़े किसी का कोई हल नहीं निकाल रहे। केवल बहस कर रहे हैं ताकि आने वाले लोगों को अन्दाजा रहे कि कैसे करना है सब काम धाम। हम भूख, गरीबी, अशिक्षा, धर्मान्धता, सांप्रदायिकता , भ्रष्टाचार और न जाने किस-किस समस्या के हल क्या जानते नहीं? क्या समझते हो हमें पता नहीं?
हमें सब पता है। हमें पता है कि कैसे सब हल निकल सकते हैं। लेकिन हम जानबूझकर कुछ कर नहीं रहे। हम कर लेंगे तो अगली पीढी क्या करेगी। हम स्वार्थी नहीं हैं जो महान कहलाने के लिये के लिये हर फ़साद के फ़टे में टांग अड़ा दें और उसे आधा निपटा के चले जायें और महान कहलायें, जयंतियां मनवायें अपनी मूरत पर कौवे-कबूतरों से बीट करवायें।
ये तो कोई भी कर सकता है। जिसने किया वो महान कहलाया।
हम खुद महान नहीं बनना चाहते, अगली पीढी के लिये महान बनने के मौके छोड़ रहे हैं हम।
आज भले कोई हमें जाहिल, कामचोर, हरामखोर ,धूर्त, देशद्रोही और भी न जाने क्या-क्या बताये लेकिन हमें पता है कि हमारे छोड़े हुये कामों को ही पूरा करके अगली पीढी महान कहलायेगी। दुनिया आज नहीं लेकिन कल हमारे योगदान को पहचानेगी।
हम हालत ऐसे करके जायेंगे कि लोग जरा सा मेहनत करें और पट से महान बन जायें।
दुनिया ऐसी कर देंगे कि कोई जरा सा मेहनत करेगा और दुनिया को बेहतर बना देगा। मैगी महान बनेंगे लोग। हालत इत्ती खराब कर देंगे कि जरा सी ईमानदार मेहनत से लोगों को लगेगा कि दुनिया कित्ती सुन्दर होगयी। हम खुद महान बनने के बजाय अगली पीढी के लिये महान बनने के मौके छोड़ के जायेंगे।
हमारे बाद के लोग जैसे ही आयेंगे ,चार्ज लेंगे तो उनको ऐसी ऐतिहासिक परिस्थियां मिलेंगी कि बिना ज्यादा कुछ किये महान बन जायेंगें। जित्ते में आज आदमी अपनी अकेली की जिन्दगी के लिये खटता है उत्ती मेहनत में हमारे जाने के बाद आदमी महान बन लेगा।
महान बनने से बेहतर है लोगों को महान बनने के अवसर प्रदान करना।
हम आने वाली पीढियों को महान बनने के मौके प्रदान कर रहे हैं।
अभी तक के महापुरुष अपने अधूरे काम छोड़ के गये। हम महानता छोड़ के जायेंगे।
पुनश्च: अफ़लातूनजी भी हमारे समय के एक महान हैं। बहुत काम छोड़ रखें हैं इन्होंने अगली पीढी के लिये। महान लोगों लिये महानता के मौके कैसे होंगे उसका नमूना उन्होंने पेश किया बजरिये अपने पसंदीदा कवि राजेन्द्र राजन:
तुम फ़ड़फ़ड़ाते ही रहोगे
बाज के चंगुल में
तुम्हें बचाने कोई परीक्षित न आयेगा।
क्योंकि,
परीक्षित आता है
सिर्फ़ इतिहास के निमंत्रण पर
किसी की बेबसी पसीजकर नहीं।
अनूप शुक्ल
काम छोड़ो-महान बनो
By फ़ुरसतिया on September 27, 2008
जहां कोई लफ़ड़ा हुआ आवाजें उठती है- आज देश को गांधी की बहुत जरूरत है, एक भगतसिंह चाहिये, पटेल होते तो देश को ये हाल न देखने पड़ते, शास्त्रीजी ने नैतिकता के तहत इस्तीफ़ा दे दिया था।
कोई तो कोई तो और एंटीक महापुरुष चाहता है- पार्थ चाहिये गांडीव सहित, सच बोलने के लिये एक आदमी चाहिये जरा हरिशचन्द्र को भेजो, मर्यादा का लफ़ड़ा है बिना राम के न चलेगा काम, एक धर्म का मामला है युधिष्ठिर होते तो काम चल जाता।
अब बेचारे कहां-कहां जायेंगे ये निपट गये लोग।
सच
बोलने को यहां पड़ा है हरिशचन्द्र निकल लिये स्वर्ग की ओर, मर्यादा अननिभी
पड़ी है और राम ने बताओ आत्महत्या कर ली सरयू में जलसमाधि लेकर। देश को
आधी-अधूरी आजादी थमा के गांधीजी -हे राम! कहकर चल दिये।
हम उनका इंतजार करते रहे हैं वे आके ही नहीं देते। बहुत झमेला किया इन
महापुरूषों ने। आके चले गये और अपने-अपने हिस्से के इत्ते-इत्ते काम छोड़
गये। सच बोलने को यहां पड़ा है हरिशचन्द्र निकल लिये स्वर्ग की ओर, मर्यादा
अननिभी पड़ी है और राम ने बताओ आत्महत्या कर ली सरयू में जलसमाधि लेकर। देश
को आधी-अधूरी आजादी थमा के गांधीजी -हे राम! कहकर चल दिये। कहीं ऐसा होता है भला।
ध्यान से देखा जाये तो जित्ते महान लोग हुये हैं दुनिया में ईरान से तूरान तक लेकर- सब अपना काम अधूरा छोड़ के गये हैं। अगर सबकी फ़ाइल मंगवा के देखी जाये सब मामला सामने आ जायेगा। अब चूंकि जाने के बाद केस बंद हो जाते हैं वर्ना सब लोग नप जाते अपने काम में लापरवाही के चार्ज में।
आप दुनिया भर का हिसाब-किताब देख लो जी, जो जित्ता बड़ा महापुरुष है उसने उत्ते ज्यादा काम छो़ड़े। या फ़िर जिसने जित्ते ज्यादा काम छोड़े वो उत्ता महान हो लिया। सीधा हिसाब काम छोड़ो-महान बनो। फ़ार्मूले में कहें तो किसी महापुरुष की महानता उसके द्वारा अधूरे छोड़े काम की समानुपाती होती है।
आप
दुनिया भर का हिसाब-किताब देख लो जी, जो जित्ता बड़ा महापुरुष है उसने
उत्ते ज्यादा काम छो़ड़े। या फ़िर जिसने जित्ते ज्यादा काम छोड़े वो उत्ता
महान हो लिया। सीधा हिसाब काम छोड़ो-महान बनो
इस बात को लोग आज अच्छी तरह समझते हैं कि महान बनने के लिये काम छोड़ना
पड़ता है। आज का कल पर, कल का परसों पर। परसों का नरसों पर। दिनों का महीनों
पर, महीनों का वर्षों पर। और आगे और आगे। वहां तक जहां तक कहा जाता है
सितारों के आगे जहां और भी है, अभी काम की इंतहा और भी है। आज भले आपकी कदर न समझें लोग लेकिन कल जब आपके छोड़े काम लोगों को नजर आयेंगे तब पता चलेगा दुनिया को कि आप कित्ते महान थे। दुनिया भर में सारा काम ही काम छोड़े गये। सारा बिखरा पड़ा है कचरे की तरह इधर-उधर न जाने किधर-किधर। सब काम ही काम। जो छोड़ा खुले में छोड़ा, टोट्टल ट्रानस्पैरिसी। किसी स्विस बैंक का चक्करिच नईं जी। सब खुल्ले में छोड़ दिया जिसको मन आये आडिट कल्ले।
लोग कहेंगे -बड़े महान थे जी। घणे ग्रेट। इत्ता काम छोड़ गये हैं कि ससुरा गिनने में हमारा काम लग गया। गिनती ही नहीं हो रही है। अब तय किया गया है सब काम बोरे में भर के तौला जायेगा। तराजू से तो हो न पायेगा। बहुत काम है जी,धर्मकांटा लगवाया जा रहा है। तब शायद तौल जाये।
कहा जाता है कि महान वो होता है जो अपने से बाद में आने वालों को अपने से ज्यादा महान बनाये। हम ससुर इत्ते काम छोड़ के जायेंगे कि अगला जो आयेगा वो पटापट महान मन जायेगा। इधर पैदा हुआ , उधर उसको काम मिला और वो फ़ट से महान हो लिया। पहले के महान लोग थोड़ा सेल्फ़िस महान थे। खुद काम करके महान हो लिये।
महान
वो होता है जो अपने से बाद में आने वालों को अपने से ज्यादा महान बनाये।
हम ससुर इत्ते काम छोड़ के जायेंगे कि अगला जो आयेगा वो पटापट महान मन
जायेगा।
लेकिन हम लालची न हैं जी। हम नहीं चाहते कि हम अकेले महान बन जायें। हम
चाहते हैं कि हम ऐसी परिस्थितियां छोड़ जायें कि हमसे बाद की जो पीढी आये वो
दनादन महान बन जाये। किसी को महान बनने के लिये काम की कमी न रहे।इसीलिये हम तमाम सवाल परेशानियां लफ़ड़े किसी का कोई हल नहीं निकाल रहे। केवल बहस कर रहे हैं ताकि आने वाले लोगों को अन्दाजा रहे कि कैसे करना है सब काम धाम। हम भूख, गरीबी, अशिक्षा, धर्मान्धता, सांप्रदायिकता , भ्रष्टाचार और न जाने किस-किस समस्या के हल क्या जानते नहीं? क्या समझते हो हमें पता नहीं?
हमें सब पता है। हमें पता है कि कैसे सब हल निकल सकते हैं। लेकिन हम जानबूझकर कुछ कर नहीं रहे। हम कर लेंगे तो अगली पीढी क्या करेगी। हम स्वार्थी नहीं हैं जो महान कहलाने के लिये के लिये हर फ़साद के फ़टे में टांग अड़ा दें और उसे आधा निपटा के चले जायें और महान कहलायें, जयंतियां मनवायें अपनी मूरत पर कौवे-कबूतरों से बीट करवायें।
ये तो कोई भी कर सकता है। जिसने किया वो महान कहलाया।
हम खुद महान नहीं बनना चाहते, अगली पीढी के लिये महान बनने के मौके छोड़ रहे हैं हम।
आज भले कोई हमें जाहिल, कामचोर, हरामखोर ,धूर्त, देशद्रोही और भी न जाने क्या-क्या बताये लेकिन हमें पता है कि हमारे छोड़े हुये कामों को ही पूरा करके अगली पीढी महान कहलायेगी। दुनिया आज नहीं लेकिन कल हमारे योगदान को पहचानेगी।
हम हालत ऐसे करके जायेंगे कि लोग जरा सा मेहनत करें और पट से महान बन जायें।
दुनिया ऐसी कर देंगे कि कोई जरा सा मेहनत करेगा और दुनिया को बेहतर बना देगा। मैगी महान बनेंगे लोग। हालत इत्ती खराब कर देंगे कि जरा सी ईमानदार मेहनत से लोगों को लगेगा कि दुनिया कित्ती सुन्दर होगयी। हम खुद महान बनने के बजाय अगली पीढी के लिये महान बनने के मौके छोड़ के जायेंगे।
हमारे बाद के लोग जैसे ही आयेंगे ,चार्ज लेंगे तो उनको ऐसी ऐतिहासिक परिस्थियां मिलेंगी कि बिना ज्यादा कुछ किये महान बन जायेंगें। जित्ते में आज आदमी अपनी अकेली की जिन्दगी के लिये खटता है उत्ती मेहनत में हमारे जाने के बाद आदमी महान बन लेगा।
महान बनने से बेहतर है लोगों को महान बनने के अवसर प्रदान करना।
हम आने वाली पीढियों को महान बनने के मौके प्रदान कर रहे हैं।
अभी तक के महापुरुष अपने अधूरे काम छोड़ के गये। हम महानता छोड़ के जायेंगे।
पुनश्च: अफ़लातूनजी भी हमारे समय के एक महान हैं। बहुत काम छोड़ रखें हैं इन्होंने अगली पीढी के लिये। महान लोगों लिये महानता के मौके कैसे होंगे उसका नमूना उन्होंने पेश किया बजरिये अपने पसंदीदा कवि राजेन्द्र राजन:
हम नहीं जानते क्या है सार्थक क्या है व्यर्थ
कैसे लिखी जाती है आशाओं की लिपि! हम इतना भर जानते हैं
एक भट्ठी – जैसा हो गया है समय
मगर इस आंच पर हम क्या पकाएं
ठीक यही वक़्त है जब अपनी चौपड़ से उठ कर
इतिहास पुरुष आएं
और अपनी खिचड़ी पका लें।
मेरी पसन्द
हीरामन ,तुम फ़ड़फ़ड़ाते ही रहोगे
बाज के चंगुल में
तुम्हें बचाने कोई परीक्षित न आयेगा।
क्योंकि,
परीक्षित आता है
सिर्फ़ इतिहास के निमंत्रण पर
किसी की बेबसी पसीजकर नहीं।
अनूप शुक्ल
” bhut steek likha, mhan bnne ke liye acccha farmula hai, khud bhee bno or duson ko bhee bnao, krara vyeng”
Regards
जबरदस्त पोस्ट.
बहुत उम्दा ! सही में आपका चिंतन बहुत सही है ! लाजवाब !
– शास्त्री जे सी फिलिप
– बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
वो क्या है की महान लोग आज का काम कल पर छोड़ देते है
अमां छोड़ो! महानता शहानता की बात, परफेक्शन का जमाना गया, फास्ट फूड का जमाना है।
वो कपड़े की दुकानों पर बोर्ड लगा देखा नही है ?
फैशन के इस युग मे गुणवत्ता और गारंटी की उम्मीद ना करें।
अब टिप्पणी भी करवाओगे क्या ?
आज रहे देते हैं, आने वाली ब्लागर पीढ़ी करेगी !
बुरा मान भी जाओ तो क्या, अभी अभी तो मुझपर
महान टिप्पणीकार होने का तमगा लगते लगते बचा है !
वाकई, आनन्द आया आपके महान लेखन को पढ़कर!!
वैसे, जबरदस्त लिखा है। धारदार…
arse se aap ko padh anandit rahe.alas me tipiyane se bache.aaj pata chala ki baithe baithaye ham bhee mahano me samay gaye.
vaise guru aapke yahan kya bhav tutpunjia teepakon ka ?jab itane mahan log tokare pe tokre tipiya rahe hon to ? lekin khujalee khansee khoon khair vagairah kee tarah hee apnee khushi ko thame thame ham ! manhooson kee mahanata nibhate bhee to kab tak ? surrender karate hain ! VAH VAH ! HA HA !………LAGE RAHO……..vo bhee fursat se………!
शीष स्थान पर रखने के लिये काफी है ..लिखते रहीये ..
बहुत अच्छा लगा ये आलेख और कविता भी !
- स्नेह,
- लावण्या
अऊर यू का होत है “मैगी महान” ?
टेस्टी लागत है, यहै बनाय देयो.
हमार महानता ठीक से द्याखौ, १ महिन्ना में २० पोस्ट लिखिन रहै, अउर ई महिन्ना मा फीरो पब्लिक का ऊही पढ़इबै.
कित्ते महान हैं, बोरा लाय के नापौ तो ज़रा.
बाद केस बंद हो जाते हैं वर्ना सब लोग नप जाते अपने काम में लापरवाही के चार्ज में। ”
——— कफ़न के पहले के सारे कपडे छोटे होते हैं .. दाग धब्बे दिख जाते हैं .. कफ़न सबको ढँक
देती है .. महान बना देती है !!!
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…
करारी और कारगर पोस्ट.
शुक्रिया.
“” ये लेओ हमका तो पता ही नहीं था की हमही सबसे महान है ,(कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे बन माहि ) आज तक कौनो काम नहीं पूरा किये सब शुरू करके छोड़ दिए तमाम रायता फैला दिए हैं अब दूसरी पीढ़ी आवेगी और समेटेगी और हमसे भी महान बनेगी लेकिन जैसे गाँधी के साथ गोडसे याद किया जाता है वैसे ही हम भी याद किये जायेंगे की हमारा अधूरा काम पूरा करके लोग महान बन गए |:) धन्यवाद फुरसतिया हमरा बल याद दिलाने के लिए